सीकर. शिक्षा विभाग ने प्रदेश की 3,737 महात्मा गांधी स्कूलों में 11,576 नए शिक्षकों की नियुक्ति कर दी है। अब इनमें पहले से मौजूद शिक्षकों के अधिशेष होने पर उन्हें अन्य हिंदी माध्यम स्कूलों में नियुक्त किया जाएगा। पर इस नियुक्ति प्रक्रिया को एक्सपर्ट्स महात्मा गांधी स्कूलों में गुणात्मक सुधार की बजाय शिक्षकों के तबादलों के रूप में ही ज्यादा देख रहे हैं। क्योंकि अधिशेष होेने पर यहां से जाने वाले और इनमें आए दोनों ही शिक्षक हिंदी माध्यम स्कूलों के ही है। दोनों के बीच एक विभागीय परीक्षा पास करने का ही अंतर है। ऐसे में एक्सपर्ट्स इसे तबादलों की गली ज्यादा मान रहे हैं तो शिक्षक संगठन भी महात्मा गांधी स्कूलों के गुणात्मक सुधार के लिए अलग कैडर की मांग करने लगे हैं।
महात्मा गांधी स्कूलों में स्तर सुधार के लिए शिक्षकों के अलग कैडर की मांग भी उठने लगी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों का अलग कैडर घोषित कर उनके लिए अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की ही भर्ती अलग से की जानी चाहिए। तभी गुणवत्ता में सुधार के साथ महात्मा गांधी स्कूलों की सार्थकता रहेगी।
प्रदेश में महात्मा गांधी स्कूलों का संचालन 2019 में हुआ। उस समय भी सरकार ने इनके लिए स्टाफ के अलग कैडर की घोषणा की थी। 2022 में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम का अलग स्टाफ नियुक्त करने की घोषणा की थी। लेकिन, 6 साल बाद भी योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। नई भाजपा सरकार ने भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।
महात्मा गांधी स्कूलों को प्राचार्य सहित कुल 11 हजार 576 शिक्षक मिले हैं। इनमें 380 प्राचार्य, 875 व्याख्याता, 1205 वरिष्ठ अध्यापक, 5138 लेवल- 1 तथा 3,978 लेवल- 2 के शिक्षक शामिल हैं।
2. महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षक भी अंग्रेजी माध्यम के ही होने चाहिए। इसके लिए सरकार को इन स्कूलों का अलग कैडर बनाना चाहिए। हिंदी माध्यम स्कूलों से ही नियुक्ति से इन स्कूलों के शैक्षिक स्तर के साथ शिक्षक लेने पर हिंदी माध्यम स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था भी प्रभावित होती है। नियुक्ति की वर्तमान प्रक्रिया तो तबादलों का ही एक रास्ता है।रेखाराम खीचड़, सेवानिवृत डीईओ, सीकर।
3. महात्मा गांधी स्कूलों में हिंदी माध्यम से शिक्षक प्रतिनियुक्त करने पर दोनों ही स्कूलों की व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सरकार को अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के लिए अंग्रेजी माध्यम के शिक्षकों की ही अलग से नियुक्ति करनी चाहिए। तभी वे निजी स्कूलों से मुकाबला करने लायक हो सकेगी।
उपेंद्र शर्मा, राजस्थान शिक्षक संघ (शे.)
Updated on:
04 Jul 2025 09:28 pm
Published on:
04 Jul 2025 09:27 pm