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एमपी में यहां रास्ते पर लेट जाते हैं लोग, ऊपर से दौड़ती हैं गायें, अजब-गजब है परम्परा

Strange Tradition : मांगी गई मन्नत बीते साल में कभी भी पूरी होने पर यहां परम्परा के नाम पर खुद पर से गाय का झुंड दौड़ाते हैं ग्रामीण। बीते कई साल से भील समुदाय के लोग इस अनोखी पम्परा का पालन करते आ रहे हैं।

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Strange Tradition

बदरवास में मनाया जाता है गौ-गाय पर्व (Photo Source- Patrika Input)

संजीव जाट की रिपोर्ट

Strange Tradition : भारत देश अपने त्योहारों के साथ-साथ उनसे जुड़ी परंपराओं के लिए भी दुनियाभर में अपनी एक खास पहचान रखता है। बात करें हालिया देश के सबसे बड़े त्योहार दीपावली की तो इसे भी देशभर में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया है। दीपों के इस त्योहार से जुड़ी अलग-अलग इलाकों की अलग-अलग परम्पराएं है। एक ऐसी ही अनोखी परम्परा मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के अंतर्गत आने वाली बदरवास तहसील के ग्राम खैराई में दीपावली के अगले दिन मनाई जाती है।

यहां ग्रामीणों की पूरे साल में कभी भी मन्नत पूरी होती है तो वो दीपावली के अगले दिन यहां के लोग गाय की पूजा करते हैं। यही नहीं, पूजा के बाद परम्परा के नाम पर वो उन पूजी जाने वाली गायों को अपने ऊपर से भी गुजारते हैं। इस अनोखी परम्परा को 'गौ-गाय पर्व' के रूप में मनाया जाता है।

दिवाली के अगले दिन यहां मनाया जाता है 'गौ-गाय पर्व'

दरअसल, शिवपुरी जिले के बदरवास विकास खंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम खैराई में बीते सवा सौ साल से ये परम्परा मनाई जाती आ रही है। इस अनोखी और रोमांचित कर देने वाली परम्परा को स्थानीय ग्रामीणों ने इस बार भी बड़े हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया। मंगलवार को सबसे पहले ग्रामीणों ने गाय की पूजा अर्चना कर पर्व मनाया। इसके बाद गांव के वो लोग एक मार्ग पर इकट्ठे हुए। इनमें वो लोग एक स्थान पर आ गए, जिनकी सालभर में मांगी गई कोई मन्नत पूरी हुई है। ये लोग संबंधित मार्ग पर में लेट गए। इसके बाद उस सड़क से दर्जनों की संख्या में गायें दौड़ते हुए गुजरी और मार्ग पर लेटे लोगों के ऊपर से गुजर गईं। खास बात ये है कि, ये पूरा घटनाक्रम इतना हैरतंगेज होता है कि, कुछ देर के लिए मन्नत मांगने वालों से लेकर उन्हें देखने वालों तक की सांसें थम जाती हैं।

भील समुदाय के लोग मनाते हैं ये परम्परा

खास बात ये है कि, मन्नत के लिए ऊपर से गुजारी जाने वाली गायों को पहले विशेष ढंग से सजाया जाता है। इस पर्व विशेष रूप से गांव में रहने वाले भील समुदाय के लोग मनाते हैं। इस दौरान स्थानीय लोगों में खासा उत्साह भी देखने को मिलता है। इस परंपरा के तहत मन्नत मांगने वाले युवक 5 दिन तक गांव के बाहर बने हनुमान मंदिर में रहकर पूजा-अर्चना कर उपवास करते हैं। दीपावली के दूसरे दिन पड़वा लगने पर ये मन्नतधारी अपनी मनोकामना पूरी होने पर गाय की पूजा करते हैं। इस दौरान ये लोग गाय को नारियल, फूल चढ़ाकर भवानी माता की चुनरी के साथ पूरे गांव में घूमाते हैं।

कृप्या ध्यान दें

इसके बाद गायों को लेकर एक सकरी गली में लाइन लगाकर लेट जाते हैं और ये गाय उनके ऊपर से दौड़ते हुए गुजर जाती हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों का दावा है कि गायों के ऊपर से गुजरने के बावजूद मन्नत मांगने वाला कोई व्यक्ति अबतक घायल नहीं हुआ है। हालांकि, तमाम दावों के विपरीत ये परम्परा लोगों की जान से खिलवाड़ करती प्रतीत होती है, इसलिए पत्रिका.कॉम ऐसी किसी परम्परा का समर्थन नहीं करता। मात्र खबर के तौर पर ये जाकारी आपतक पहुंचा रहे हैं।