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पिता ने नाबालिग पर बनाया दबाव, बोले- ‘पढ़ाई छोड़ दी तो शादी करो’, ऐसे लिया मामले ने यू टर्न

Uttar Pradesh News: पिता ने नाबालिग पर शादी का दबाव बनाया। उन्होंने बेटी से कहा कि पढ़ाई छोड़ दी तो शादी करो। जानिए क्या है ये पूरा मामला?

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Shahjahanpur News

प्रतीकात्मक तस्वीर, फोटो सोर्स-Ai

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक गरीब परिवार की 16 साल की नाबालिग कोई काम सीख कर अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती है। उसका कसूर सिर्फ इतना है कि किताबों में दिलचस्पी नहीं होने के कारण वह पढ़ाई नहीं करना चाहती।

पांचवीं के बाद स्कूल जाना कर दिया था बंद

नाबालिग ने पांचवीं के बाद स्कूल जाना बंद कर दिया। उसके पिता बंटाई पर खेती करते हैं। नाबालिग के परिवार में एक बहन और एक भाई भी है, जिसमें वह सबसे बड़ी है। पढ़ाई नहीं करने की वजह से नाबालिग के परिजनों ने उसकी शादी का सोचा। इसके बाद बिना उससे पूछे उसकी शादी तय कर दी गई।

संयोग से इलाके में एक नागरिक समाज संगठन पार्टिसिपेटरी एक्शन फॉर कम्यूनिटी इंपावरमेंट (पेस) बाल विवाह के खिलाफ एक जागरूकता अभियान चला रहा था। पेस बाल अ‌धिकारों के लिए काम करने वाले जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) का सहयोगी संगठन है। जागरूकता कार्यक्रम के दौरान संगठन के सदस्यों को गांव के ही किसी व्यक्ति ने सूचना दी कि एक 16 साल की नाबालिग बच्ची का बाल विवाह होने जा रहा है।

जागरूकता कार्यक्रम से बचा नाबालिग का जीवन

इसके बाद संगठन के सदस्यों ने नाबालिग के पिता से मुलाकात की। शुरू में तो नाबालिग के पिता कुछ सुनने को राजी नहीं थे, लेकिन पेस ने उनको समझाया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (पीसीएमए) 2006 के तहत बाल विवाह गैरकानूनी है। इसके लिए सजा का प्रावधान है। उनको समझाया गया कि छोटी उम्र में विवाह से बच्ची के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा। साथ ही कम उम्र में मां बनने उसके और होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा।

समझाने-बुझाने के बाद नाबालिग के पिता मान गए और लिखित हलफनामा दिया कि बेटी के बालिग होने से पहले वे उसका विवाह नहीं करेंगे। नाबालिग को इस खबर से राहत मिली। हालांकि संगठन के सदस्यों ने उसे फिर से स्कूल जाने के लिए समझाया। बच्ची ने स्कूल जाने से साफ मना करते हुए कहा कि वह पढ़ने के बजाय कोई काम सीखना चाहती है।

सिलाई सीख रही है नाबालिग

इसके बाद पेस के कार्यकर्ताओं ने उसका एक कौशल विकास केंद्र में दाखिला दिला दिया जहां वह सिलाई सीख रही है। यह केंद्र भी पेस ही चलाता है। जिसमें पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों को हाथ का हुनर सिखाया जाता है। नाबालिग अपने लक्ष्य को लेकर स्पष्ट है। वह कहती है, “यह सही है कि मेरा पढ़ने में मन नहीं लगता था लेकिन इतनी जल्दी मैं शादी भी नहीं करना चाहती। मैं कुछ सीखना चाहती हूं जो मेरे काम आए। मुझे लगता है कि मैं सही जगह पहुंच गई हूं।”

पेस की निदेशक राजविंदर कौर का कहना है, “गांवों के गरीब परिवारों में अब भी जागरूकता का अभाव है। जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने के लिए छोटी उम्र में बच्चियों की शादी कर दी जाती है बिना यह सोचे कि इसका उसके भविष्य पर क्या असर पड़ेगा। हम बाल विवाह के खिलाफ गांव-गांव में जागरूकता अभियान चला रहे हैं और लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिला रहे हैं। इसी का नतीजा है कि नाबालिग जैसी बच्चियां शादी करके चूल्हा-चौका करने के बजाय अब कुछ काम सीख रही हैं और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। नाबालिग अब सिलाई सीख रही है और हम उसकी लगन और सीखने की क्षमता से काफी प्रभावित हैं।”