Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

सांसद सतना के लेटर हेड पर लिखे जा रहे हैं फर्जी पत्र!

पूर्व जिपं अध्यक्ष सुधा सिंह का भी फर्जी पत्र सामने आया, लेटर हेड पर पीएमसी ऑपरेटर के विरुद्ध की गई थी गंभीर शिकायत

3 min read
Google source verification
ganesh

सतना। जिले में एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें निर्वाचित सांसद गणेश सिंह के लेटरहेड और हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर फर्जी पत्र लिखे जा रहे हैं। इस मामले का खुलासा कलेक्टर की खाद्य शाखा में पदस्थ पीएमसी ऑपरेटर विजय सिंह परिहार के खिलाफ शिकायती पत्र की जांच के दौरान हुआ। सांसद ने स्वयं एक पत्र आयुक्त खाद्य को लिख कर स्पष्ट किया कि उनके लेटरहेड और हस्ताक्षर का दुरुपयोग किया गया है। इसके साथ ही, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुधा उमेश प्रताप सिंह के नाम से लिखे गए पत्र को भी उन्होंने फर्जी बताया गया है। आश्चर्यजनक रूप से, इस गंभीर मामले में अभी तक न तो कोई औपचारिक शिकायत दर्ज हुई है और न ही जांच शुरू हो सकी है।

मामले की शुरुआत

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के आयुक्त और संचालक को सांसद गणेश सिंह और पूर्व जिपं अध्यक्ष सुधा उमेश प्रताप सिंह के नाम से पत्र प्राप्त हुए। इन पत्रों में विजय सिंह परिहार, जो पहले पीएसओ मशीन इंजीनियर के पद पर थे, को गंभीर शिकायतों के बाद हटाए जाने और बाद में पीएमसी ऑपरेटर के रूप में सतना में नियुक्त किए जाने का उल्लेख था। पत्र में आरोप लगाया गया कि विजय सिंह ने तत्कालीन डीएसओ नागेंद्र सिंह के साथ मिलकर राशन दुकानों और समर्थन मूल्य खरीदी में अनियमितता की। नागेंद्र सिंह को निलंबित कर स्थानांतरित किया गया, लेकिन विजय सिंह नए डीएसओ के साथ भी वही अनुचित कार्य करने लगे। उनकी गतिविधियां कथित तौर पर राशन दुकानों से पैसे वसूलने तक सीमित थीं। पत्र में मांग की गई कि विजय सिंह को तत्काल सतना से हटाया जाए। इस शिकायत के आधार पर संयुक्त संचालक ने कलेक्टर को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

जांच में खुलासा

जांच शुरू होने पर सांसद के लेटरहेड के दुरुपयोग का मामला सामने आया। सांसद गणेश सिंह ने अपने लेटर हेड में 24 अगस्त 2025 को पत्र क्रमांक 214 में आयुक्त, खाद्य नागरिक को पत्र लिखकर कहा कि उनके लेटरहेड और हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर डीएसओ सम्यक जैन और विजय सिंह के खिलाफ फर्जी शिकायत की गई। उन्होंने सुधा उमेश प्रताप सिंह के पत्र को भी कूटरचित बताते हुए दोनों पत्रों को नस्तीबद्ध करने की मांग की। इस पत्र की प्रति कलेक्टर को भी दी गई।

सांसद के पत्र के दुरुपयोग की जांच नहीं

सांसद जैसे जनप्रतिनिधि के लेटरहेड और हस्ताक्षर के दुरुपयोग जैसे गंभीर मामले की जांच अभी तक शुरू न होना कई सवाल खड़े करता है। आखिर कौन लोग इस तरह का अपराध कर रहे हैं? साथ ही, यह भी स्पष्ट नहीं है कि फर्जी पत्र के आधार पर की गई शिकायत की जांच हुई या सांसद के पत्र के आधार पर उसे रद्द कर दिया गया। हालांकि संयुक्त संचालक ने 23 अक्टूबर को रिमाइंडर भेजकर कलेक्टर से 10 नवंबर तक जांच प्रतिवेदन मांगा है।

"शासन स्तर से अगर किसी पत्र के आधार पर जांच आई है तो हम उसकी जांच विधिवत करवाएंगे। जांच में जो तथ्य पाए जाएंगे उसके आधार पर कार्रवाई भी होगी। जैसा दूसरा पत्र बता रहे हैं तो हैं तो उस पर हम कोई कमेंट नहीं कर सकते हैं।"- डॉ सतीश कुमार एस, कलेक्टर