सतना। अमरपाटन थाना क्षेत्र के ककरा में शनिवार की रात 11 बजे के लगभग एक कार में 50 लाख रुपए अमरपाटन थाना पुलिस ने पकड़े। कार को थाने लाया गया। इसके बाद कार को छोड़ दिया गया। कार के पकड़े जाने से छोड़े जाने तक थाना पुलिस में जबरदस्त चुप्पी छाई रही। न तो थाना प्रभारी और न ही एसडीओपी फोन उठा रहे थे। पुलिस अधीक्षक ने भी फोन तो उठाया और ज्यादा जानकारी नहीं होने की बात कहते हुए एसडीओपी को मौके पर भेजने की बात कही। रविवार को एसपी का सधा सा जवाब रहा कि वैरीफिकेशन के बाद छोड़ दिया गया है। इसके बाद थाना प्रभारी ने अपनी कहानी बताई जो टोल के इर्द गिर्द घूम रही है। उधर कई अन्य चर्चाएं सोशल मीडिया में अलग चल रही हैं। हालांकि इस मामले में यह भी कहा जा रहा है कि उच्चाधिकारी के एक फोन के बाद 'तत्काल वैरीफिकेशन' हो गया, जिसके बड़े मायने हैं।
ऐसे चला घटनाक्रम
30 अगस्त शनिवार की रात लगभग सवा 11 बजे एक खबर सोशल मीडिया में वायरल होती है कि अमरपाटन पुलिस ने 50 लाख रुपए एक कार में जब्त किए हैं। यह राशि रीवा जिले के एक कद्दावर बाहुबली जनप्रतिनिधि की होना बताई जाने लगी थी। इसके बाद एक कार की फोटो सामने आती है जिसका नंबर एमपी 17जेडएल 3502 है, इसके थाने लाए जाने की खबर आती है। बताया जाता है कि अमरपाटन थाने में यह कार खड़ी है। इसके बाद से जब एसडीओपी अमरपाटन को संपर्क किया गया तो कई कॉल के बाद भी फोन नहीं उठाया। कमोवेश यही स्थिति थाना प्रभारी अमरपाटन की भी रही। पुलिस अधीक्षक मैहर से संपर्क किया गया तो उन्होंने मामले की जानकारी नहीं होने की बात कही और यह भी बताया कि उन्होंने मौके पर एसडीओपी को भेजा है। इसके बाद से किसी पुलिस अधिकारी ने आधिकारिक तौर पर इस मामले में कुछ नहीं बोला और पुलिस महकमे में रहस्यमय चुप्पी छा गई। हालांकि थोड़ी देर बात फिर एक खबर आई कि वाहन छोड़ा रुपयों सहित छोड़ दिया गया। आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई क्योंकि इस मामले में खाकी ने चुप्पी साध रखी थी। कुछ देर बाद फिर पुलिस सूत्रों के हवाले से खबर वायरल होती है कि 'रीवा के इशारे' पर छोड़ दिया गया। इसके बाद सोशल मीडिया में तमाम खबरे तैरने लगी तो चर्चाओं का भी बाजार गर्म हो गया। किसी ने हवाला की रकम बताया तो कोई दो नंबर की रकम बता रहा था. कोई रीवा के अधिकारी और जनप्रतिनिधि को कहानी में घसीट रहा था। फिर चर्चा इस मामले के भोपाल से जुड़े होने की भी होने लगी। लेकिन सच बताने के लिए पुलिस उपलब्ध नहीं थी।
सुबह थाना प्रभारी ने बताई यह कहानी
दूसरे दिन रविवार को थाना प्रभारी विजय परस्ते ने जरूर इस घटना पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि वे पेट्रोलिंग कर रहे थे। तभी 10 से 11 बजे रात के लगभग ककरा के पास एक कार खड़ी दिखी। दो व्यक्ति बाहर यूरिन कर रहे थे। संदेह होने पर कार की जांच की। दूसरी ओर जांच कर रहे स्टाफ ने यह कहते हुए बुलाया कि यहां आइये कुछ है। जाकर देखा तो कार में बैग रखा था और उसमें रुपए थे। जब संबंधितों से इस रुपए के संबंध में जानकारी ली गई तो वे कुछ बता पाने में अक्षम रहे न कोई दस्तावेज दिखा सके। लिहाजा इन्हें थाने लाया गया। इन्होंने पूछताछ में बताया कि यह उदित इन्फ्रा स्ट्रक्टर प्रा.लिमि. रीवा का पैसा है जिसके संचालक मयंक राय है। यह राशि बैतूल टोल से उमरिया होते हुए लाई जा रही थी। राशि रीवा ले जाई जा रही थी। इसके बाद वाट्सएप में एक दस्तावेज उनके यहां से भेजा गया। जिसमें 29 अगस्त का कैश पेमेंट बाउचर था। जिसकी राशि 45 लाख 50 हजार रुपए थी। इस आधार पर वैरिफिकेशन करके इन्हें जाने दिया गया। उन्होंने बताया कि एसडीओपी को इसकी सूचना दे दी थी। एसपी साहब से तत्काल में बात नहीं हो पा रही थी।
नंबर प्लेट खोलेगी राज
उधर जानकारों का कहना है कि जो कार छोड़ी गई है उसकी नंबर प्लेट संदिग्ध है। अगर इसकी जांच की जाए तो पूरी कहानी खुल जाएगी। इसके अलावा तमाम सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि फास्ट टैग के जमाने में टोल में इतना अधिक कैश कैसे इक्कठा हो सकता है? अगर इक्कठा भी हो गया था तो संबंधित टोल या कंपनी के बैंक अकाउंट में भी बैतूल में भी डाले जा सकते हैं, जिसे कहीं भी निकाला जा सकता था। लेकिन कैश लाने की जरूरत क्या पड़ी? इस मामले में पूरी रात पुलिस ने चुप्पी क्यों साध रखी थी और जो फोन उठा रहे थे उन्हें कोई जानकारी नहीं थी? क्या नंबर प्लेट की थाना पुलिस ने जांच की या बिना जांच किए छोड़ दिया? वाट्सएप में जो कैश पेमेंट वाउचर आया था उसकी सत्यतता की पुष्टि चंद मिनटों में कैसे कर ली गई? हालांकि सवाल कई है। बहरहाल रीवा संभाग में यह घटना जनचर्चा का विषय बनी हुई है।
Published on:
31 Aug 2025 01:41 pm
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