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46 साल बाद संभल में फिर गूंजेगी आस्था, 1978 के दंगों के बाद रुकी परंपरा; 68 तीर्थ, 87 मंदिर और 19 प्राचीन कुएं बनेंगे आस्था के साक्षी

Sambhal News: संभल में 46 साल बाद ऐतिहासिक 24 कोसी परिक्रमा फिर से शुरू हुई है। 1978 के दंगों के बाद बंद हुई यह धार्मिक परंपरा अब बेनीपुर चक स्थित श्री वंश गोपाल तीर्थ से आरंभ हुई। यात्रा में 68 प्रमुख स्थल, 87 मंदिर और 19 प्राचीन कुएं शामिल हैं।

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सम्भल

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Mohd Danish

Oct 26, 2025

sambhal 24 kosi parikrama historical revival hindu pilgrimage

46 साल बाद संभल में फिर गूंजेगी आस्था | Image Source - 'FB'

24 Kosi Parikrama 2025 in Sambhal: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 46 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद ऐतिहासिक 24 कोसी परिक्रमा एक बार फिर आरंभ हो गई है। यह वही परिक्रमा है जो वर्ष 1978 में सांप्रदायिक दंगों के बाद बंद हो गई थी। इस बार यात्रा की शुरुआत बेनीपुर चक स्थित श्री वंश गोपाल तीर्थ से की गई, जहां सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी रही। इस परिक्रमा में 68 प्रमुख तीर्थ स्थल, 87 छोटे मंदिर और 19 प्राचीन कुएं शामिल हैं, जिनसे होकर यात्रा गुजरेगी।

सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में बड़ा कदम

परिक्रमा का मार्ग श्री वंश गोपाल तीर्थ से शुरू होकर भुवनेश्वर, क्षेमनाथ और चंदेश्वर जैसे प्राचीन धार्मिक स्थलों से होता हुआ वापस वहीं समाप्त होगा। इस यात्रा को न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक माना जा रहा है, बल्कि इसे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के पुनर्जीवन का प्रतीक भी कहा जा रहा है। स्थानीय लोग और संत समाज इसे संभल की पहचान लौटने का क्षण बता रहे हैं।

सरकार की कार्रवाई से मुक्त हुई 69 हेक्टेयर भूमि

1978 में दंगों के बाद इस क्षेत्र में धार्मिक संपत्तियों पर अवैध कब्जे बढ़ गए थे, जिससे परिक्रमा मार्ग बाधित हो गया था। सरकार ने अब उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 67 के तहत 495 मुकदमे दर्ज किए, जिनके जरिए लगभग 1000 से अधिक अवैध कब्जे हटाकर करीब 69 हेक्टेयर भूमि को मुक्त कराया गया। इसके साथ ही 37 अवैध संरचनाएं जिनमें मस्जिद, मजार, कब्रिस्तान और मदरसे शामिल थे, भी हटाए गए। प्रशासन का कहना है कि इन प्रयासों से अब परिक्रमा मार्ग पूरी तरह सुरक्षित और व्यवस्थित हो गया है।

उमड़ा भक्तों का सैलाब

शुक्रवार की रात से ही वंश गोपाल कल्किधाम तीर्थ पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। यहां फेरी परिक्रमा महोत्सव की पूर्व संध्या पर हवन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विश्व कल्याण और भगवान श्री कल्कि के शीघ्र प्राकट्य की कामना के साथ विशेष यज्ञ हुआ। मंदिर के महंत स्वामी भगवत प्रिय महाराज ने बताया कि देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। शनिवार की भोर में धर्म ध्वजा फहराकर परिक्रमा का शुभारंभ हुआ, जबकि विभिन्न स्थलों पर भक्तों के स्वागत के लिए व्यापक इंतजाम किए गए।

परिक्रमा प्रबंधन में जुटी टीमें

परिक्रमा समिति के प्रभारी राजेश सिंघल ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी इंतजाम पूरे कर लिए गए हैं। चंद्रेश्वर तीर्थ चंदायन में रात्रि विश्राम की व्यवस्था की गई है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग ने भी परिक्रमा के दौरान सुरक्षा के सख्त प्रबंध किए हैं। संरक्षक कमलकांत तिवारी के अनुसार, “हमने कोई भी बिंदु अधूरा नहीं छोड़ा। पूरी टीम तन-मन से आयोजन की सफलता के लिए जुटी है।”

तीन दशक तक रही परिक्रमा बंद, लेकिन परंपरा नहीं टूटी

संभल की 24 कोसी परिक्रमा की परंपरा अत्यंत प्राचीन मानी जाती है। 1978 के बाद करीब 30 वर्षों तक यह यात्रा बंद रही, लेकिन भक्तों का उत्साह कभी कम नहीं हुआ। नीमसार, सूरजकुंड और वंश गोपाल जैसे तीर्थों पर हर वर्ष छोटे मेले और फेरी आयोजन होते रहे। हिंदू जागृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार शर्मा बताते हैं कि वर्ष 2006 में जब इस परंपरा को फिर से जीवित किया गया, तब यह समाजिक एकता और आस्था का बड़ा प्रतीक बनकर उभरा था। अब 18 वर्ष बाद यह आयोजन फिर से संभल की धार्मिक पहचान को मजबूत कर रहा है।


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