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अस्पताल में परिजनों को ही ले जाना पड़ता है स्ट्रेचर, वार्ड बॉय नहीं करते मदद

मरीजों को भर्ती करने में होती है परेशानी, अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान

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Family members have to carry the stretcher to the hospital, ward boys do not help.

मरीज के परिजन स्ट्रेचर खींचते हुए

बीना. सिविल अस्पताल की लचर व्यवस्थाओं से हर कोई परेशान हैं, जिससे यहां आने वाले लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। इसके बाद भी व्यवस्थाओं को सुधारने पर अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं और आमजन परेशान हैं।

अस्पताल में छह वार्ड बॉय की पोस्टिंग है, लेकिन जब जरूरत पड़ती है तो कोई भी वार्ड बॉय मदद के लिए सामने नहीं आता है, जिससे लोगों को स्वयं ही स्ट्रेचर लाकर मरीजों के लिए भर्ती कराना पड़ता है। जबकि वार्ड बॉय का मुख्य काम यही रहता है। ऐसा आए दिन देखने के लिए मिलता है कि जब कोई भी एक्सीडेंट होता है या फिर कोई गंभीर बीमारी का मरीज अस्पताल आता है, तो मरीज के परिजन ही स्ट्रेचर लाकर उसे वार्ड तक पहुंचाते हैं। रेफर होने की स्थिति में भी एंबुलेंस तक परिजनों को लेकर आना पड़ता है, जबकि यह काम वार्ड वॉय का रहता है। यहां पर लगभग हर दिन ऐसी स्थिति देखने के लिए मिलती है।

यह वार्ड वॉय हैं अस्पताल में पदस्थ

अस्पताल में छह वार्ड वॉय नंदू, उपेन्द्र, सुरेन्द्र, अमर सिंह, सुरेश शर्मा, भगवानदास पदस्थ हैं, जो जरूरत पडऩे पर कभी भी मरीजों की मदद नहीं करते हैं। जबकि लोग भी इसकी कई बार शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन फिर भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं।

केस नंबर-1

करीब चार दिन पहले मालथौन-खिमलासा मार्ग पर हिरनछिपा गांव के पास मोटर साइकिल के लिए अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी थी, घटना में तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, इनमें से एक घायल को खुद वार्ड बॉय न होने के कारण अपने साथी के लिए सिविल अस्पताल में स्ट्रेचर लेकर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था।

केस नंबर-2

करीब एक सप्ताह पहले मुडिय़ा देहरा में दो पक्षों में मारपीट होने पर 28 लोग घायल हुए थे, जिनमें से कई के लिए सिविल अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। इस दौरान भी वार्ड बॉय के मदद न करने के कारण मरीजों के परिजनों के लिए ही मरीजों को स्ट्रेचर ले जाकर भर्ती कराना पड़ा था।