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सीता नवमी पर शुभ मुहूर्त में पूजा से मिलता है अखंड सौभाग्य का वरदान, जानें मां जानकी के प्रकट होने की कथा

Sita Navami Ka Fal : सीता नवमी 2025 कल है। इस दिन अखंड सौभाग्य के लिए माता सीता और भगवान राम की पूजा की जाती है। आइये जानते हैं सीता नवमी का महत्व और मां जानकी प्राकट्य की कहानी (Sita Janm Ki Kahani)

भारत

Pravin Pandey

May 04, 2025

Sita Navami Ka Fal
Sita Navami Ka Fal: सीता नवमी का फल

Sita Janm Ki Kahani: सीता नवमी पर मां सीता के ध्यान के लिए सीता जन्म की कहानी पढ़ने का विधान है। इस दिन मां सीता की पूजा के साथ इस कथा को भी पढ़ना चाहिए। ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा से जानते हैं सीता नवमी का महत्व और सीता जन्म की कहानी (Sita Navami Ka Fal)


सीता नवमी का महत्व (Sita Navami Ka Mahatva)

ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा के अनुसार सीता नवमी का दिन राम नवमी की तरह ही शुभ होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो राम-सीता का विधि विधान से पूजन करता है, उसे 16 महान दानों का फल, पृथ्वी दान का फल तथा समस्त तीर्थों के दर्शन का फल मिल जाता है।

वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए सीता नवमी का श्रेष्ठ माना गया है। सीता नवमी के दिन माता सीता को श्रृंगार की सभी सामग्री अर्पित की जाती हैं। साथ ही इस दिन सुहागिनें व्रत रखकर अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।

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माता सीता के जन्म की कथा (Sita Janm Ki Kahani)

ज्योतिषाचार्य नीतिका शर्मा ने बताया कि वाल्मिकी रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में भयंकर सूखा पड़ा था जिस वजह से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और खुद धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। राजा जनक ने अपनी प्रजा के लिए यज्ञ करवाया और फिर धरती पर हल चलाने लगे। तभी उनका हल धरती के अंदर किसी वस्तु से टकराया।


मिट्टी हटाने पर उन्हें वहां सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी एक सुंदर कन्या मिली। जैसे ही राजा जनक सीता जी को अपने हाथ से उठाया, वैसे ही तेज बारिश शुरू हो गई। राजा जनक ने उस कन्या का नाम सीता रखा और उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया।

सीता नवमी की तिथि (Sita Jayanti Muhurat)


नवमी तिथि का प्रारंभ: 05 मई सोमवार को सुबह 07:35 बजे
नवमी तिथि का समापन: 06 मई सुबह 08:38 बजे
ऐसे में उदया तिथि को देखते हुए सीता नवमी 05 मई को मनाई जाएगी।


पूजा का मुहूर्तः मान्यता के अनुसार मां सीता का प्राकट्य वैशाख शुक्ल नवमी को मध्याह्न में पुष्य नक्षत्र के संयोग में हुआ था। इसलिए पूजा अभिजित मुहूर्त में करना शुभ रहेगा।


सीता नवमी पूजा अभिजित मुहूर्तः सुबह 11:51 बजे से दोपहर के 12:45 बजे तक
अमृतकाल मुहूर्तः दोपहर में 12:20 बजे से 12:45 बजे तक