ब्रह्म पुराण के अनुसार जो वस्तु उचित काल या स्थान पर पितरों के नाम पर उचित विधि से दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास का कहना है कि सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मुत्यु की तिथि याद ना हो या जिनकी मृत्यु अमावस्या या पूर्णिमा तिथि पर हुई हो। इस दिन श्राद्ध तर्पण के साथ ही कौवे, गाय, चींटी, देव और कुत्ते को भोजन दिया जाता है।
मान्यता है कि आज पितर ब्राह्राण और पशु पक्षियों के रूप में अपने परिवार वालों का दिया गया तर्पण स्वीकार कर उन्हें खूब आशीर्वाद देते हैं। इसलिए इस दिन विद्वान ब्राह्मण को आमंत्रित कर भोजन कराने का विधान है। इसके अलावा गरीबों को भी अन्न दान किया जाता है। पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन और दान आदि से पितृजन तृप्त होते हैं और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों और परिवार को आशीर्वाद देकर लौटते हैं।
इस तरह से शुभ मुहूर्त में पितरों की पूजा करने से व्यक्ति विशेष पर पूर्वजों की विशेष कृपा बरसती है। मान्यता है कि जिस घर के पितृ प्रसन्न होते हैं, उन्हें के परिवार में पुत्र प्राप्ति और मांगलिक कार्यक्रम होते हैं। यह भी माना जाता है कि इस दिन पितरों के लिए किया गया तर्पण उन्हें मोक्ष प्रदान करता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार गुरुवार का दिन पितरों के विसर्जन के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत प्रसन्न होते हैं। क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है। इस कारण सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का विसर्जन विधि विधान से कर, उन्हें विदा करना चाहिए। इससे पितृ देव वंशज के घर को खुशियों से भर देते हैं। आइये जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या के उपाय, जिसे जरूर अपनाना चाहिए…
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Updated on:
02 Oct 2024 03:16 pm
Published on:
02 Oct 2024 03:15 pm