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Newly Married Couple: नवविवाहिता को भूलकर भी खरमास में नहीं करना चाहिए ये काम, होता है बड़ा नुकसान

newly married couple: हिंदू धर्म में खरमास को अशुभ महीना माना जाता है, इस महीने में किए जाने वाले कार्यों में स्थायित्व की कमी से सभी शुभ मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए भारतीय धर्म शास्त्रों में नवविवाहिताओं या नवविवाहित कपल को भी कुछ काम करने से रोका गया है। क्या आपको पता है कि खरमास में नवविवाहिताओं को कौन से काम नहीं करना चाहिए (kharmas mein kya nahin karna chahie) ..

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newly married couple relationship kharmas: नवविवाहिताओं को खरमास में ये काम नहीं करना चाहिए

Newly Married Couple Relationship: भारत में विवाह गृहस्थ आश्रम की बुनियाद और धार्मिक संस्कार (शुद्धि, परिवर्धन) है, क्योंकि शुद्ध अंतःकरण ही सुखद दांपत्य जीवन का आधार बन सकती हैं।

यही दायित्व आगे चलकर उचित रीति से ब्रह्म विवाह करके पितरों के श्राद्ध-तर्पण के योग्य धार्मिक और सदाचारी पुत्र उत्पन्न करने से पितृऋण चुकता करने का आधार बनता है।


वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास में संसार में सूर्य की ऊर्जा की कमी से सारा जन जीवन प्रभावित होता है। सूर्य के शुभ प्रभाव में कमी आ जाती है। ऐसे में नवविवाहित कपल की छोटी सी भूल उसके दायित्व पालन में बाधा बन सकती है।

इसी कारण खरमास में नवविवाहिताओं को भूलकर भी इस काम को न करने के लिए सचेत किया गया है। आइये जानते हैं कि खरमास में नवविवाहित कपल को क्या नहीं करना चाहिए और इस समय किन कामों पर रोक रहती है …

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खरमास में नहीं करना चाहिए ये काम

1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार खरमास में आत्मा, ऊर्जा और शक्ति के कारक सूर्य की स्थिति कमजोर होने से इनके शुभ प्रभावों में भी कमी आ जाती है।

इसके कारण इस दौरान किए गए कार्यों में स्थायित्व की कमी आ जाती है। इसी कारण खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, नए व्यापार या किसी प्रकार की नई शुरुआत पर रोक रहती है। क्योंकि खरमास में इन कार्यों की सफलता की संभावना कम होती है।

2. खरमास में हवन, विवाह चर्चा, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, द्विरागमन, यज्ञोपवीत, विवाह या अन्य कर्मकांड आदि तक का निषेध रहता है।
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नवविवाहित कपल भूलकर भी न करें ये काम


Newly Married Couple Relationship Kharmas: खरमास के अशुभ प्रभाव को देखते हुए हिंदू कम्युनिटी में कोई भी धार्मिक कृत्य और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। यहां तक कि यह महीना घरेलू और पारम्परिक शुभकार्य की चर्चा तक को निषिद्ध किया गया है। इस कड़ी में खरमास में द्विरागमन (गौना) तक को वर्जित किया गया है।

यहां तक कहा गया है कि नवविवाहिता कन्या या नवविवाहित कपल को खरमास में संसर्ग तक नहीं करना चाहिए। वर्ना विवाह के उद्देश्यों को पूरा करने में बाधा आती है और अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इसी कारण देशाचार बनाया गया है कि पहली बार ससुराल गई विवाहिता को खरमास में मायके में आकर रहना चाहिए।


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