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Kartik Purnima 2025 : कार्तिक पूर्णिमा: इस दिन देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इन 5 कामों से बचें

Kartik Purnima 2025 : कार्तिक पूर्णिमा 2025 इस साल 5 नवंबर को मनाई जाएगी। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और वो 5 काम जिनसे देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए बचना जरूरी है। इस दिन स्नान, दान और दीपदान का विशेष महत्व है।

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Kartik Purnima 2025

Kartik Purnima 2025 : कार्तिक पूर्णिमा 2025 में लक्ष्मी कृपा पाने के उपाय (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Kartik Purnima 2025 : कार्तिक माह हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है और इसे वर्ष के सबसे पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। यह वह समय है जब भगवान विष्णु अपनी चार महीने की योग निद्रा से जागते हैं। यह सभी शुभ कार्यों की वापसी का प्रतीक है। इस पवित्र माह की अंतिम पूर्णिमा, जिसे कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है, पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाई जाती है।

इस वर्ष, कार्तिक पूर्णिमा बुधवार, 5 नवंबर, 2025 को होगी। यह तिथि देव दीपावली और गुरु नानक जयंती के साथ भी मेल खाती है, जो इसके आध्यात्मिक महत्व को और बढ़ा देती है।

कार्तिक पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 4 नवंबर 2025 को रात्रि 10:36 बजे से शुरू होकर 5 नवंबर 2025 को शाम 6:48 बजे समाप्त होगी।

स्नान मुहूर्त: सूर्योदय से शाम 5:01 बजे तक
दान मुहूर्त: सूर्योदय से शाम 5:12 बजे तक
दीपदान मुहूर्त: शाम 5:15 बजे से शाम 7:51 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:46 बजे से सुबह 5:37 बजे तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 1:56 बजे से दोपहर 2:41 बजे तक
गोधुली मुहूर्त: शाम 5:40 बजे से शाम 6:05 बजे तक
चंद्रोदय: शाम 7:20 बजे

भक्तों का मानना ​​है कि इस दौरान गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से आत्मा शुद्ध होती है, पिछले पापों का नाश होता है और ईश्वरीय कृपा प्राप्त होती है।

कार्तिक पूर्णिमा का आध्यात्मिक सार

कार्तिक पूर्णिमा को आध्यात्मिक जागृति, भक्ति और कृतज्ञता का समय माना जाता है। दीये जलाना, भगवान विष्णु की पूजा करना और तुलसी की पूजा करना इस दिन के प्रमुख अनुष्ठान हैं। ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर किया गया एक छोटा सा दान या दान भी बहुत लाभकारी होता है, जिससे जीवन में शांति, समृद्धि और खुशियाँ आती हैं।

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तामसिक भोजन से बचें: इस पवित्र दिन पर, भक्तों को मांस, मछली, अंडे, लहसुन, प्याज और शराब जैसे तामसिक भोजन नहीं खाने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ये खाद्य पदार्थ आध्यात्मिक शुद्धता को भंग करते हैं। आध्यात्मिक अनुशासन बनाए रखने के लिए ब्रह्मचर्य का पालन करने की भी सलाह दी जाती है।

जरूरतमंदों को न लौटाएं: अगर कार्तिक पूर्णिमा पर कोई मदद मांगता है या आपके घर आता है, तो उसे बिना मदद के न लौटाएं। गरीबों और बुजुर्गों के प्रति दया दिखाना, उन्हें भोजन कराना या उनके लिए दयालु शब्द कहना भी बहुत पुण्य का काम माना जाता है।

तुलसी के पत्ते कभी न तोड़ें: तुलसी को देवी लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है, खासकर कार्तिक माह में। कार्तिक पूर्णिमा पर इसके पत्ते तोड़ना अनादर माना जाता है और दुर्भाग्य ला सकता है। इसके बजाय, तुलसी के पौधे के पास दीया जलाएँ और प्रार्थना करें।

चांदी या दूध का दान न करें: इस दिन दान करना शुभ होता है, लेकिन चाँदी के बर्तन और दूध जैसी कुछ चीज़ें दान नहीं करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से चंद्र दोष (चंद्र असंतुलन) और आर्थिक अस्थिरता हो सकती है।

हर कमरे में अच्छी रोशनी रखें और काले कपड़े पहनने से बचें: ऐसा माना जाता है कि अंधेरा देवी लक्ष्मी को दूर भगाता है। सुनिश्चित करें कि रात में आपके घर का हर कमरा रोशन हो। काले कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि इन्हें अशुभ माना जाता है और ये धन की देवी को नाराज़ कर सकते हैं।