Vishnu mantra chanting in Kartik 2025|फोटो सोर्स – Grok
Kartik 2025 Vishnu Mantra: कार्तिक मास को भगवान विष्णु का विशेष मास माना जाता है, इस मास में विष्णु जी की पूजा और व्रत किए जाते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु को खुश करना चाहते हैं, तो आप विष्णु मंत्र का उच्चारण करें। इससे आपके जीवन में सुख-शांति आएगी, आर्थिक तंगी और परेशानियां दूर होंगी। जानिए कैसे करें विष्णु मंत्र का जाप।
1.ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्”।।
2.वृंदा,वृन्दावनी,विश्वपुजिता,विश्वपावनी |
पुष्पसारा,नंदिनी च तुलसी,कृष्णजीवनी ।।
एत नाम अष्टकं चैव स्त्रोत्र नामार्थ संयुतम |
य:पठेत तां सम्पूज्य सोभवमेघ फलं लभेत।
3. ॐ वासुदेवाय विघ्माहे वैधयाराजाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे अमृता कलसा हस्थाया धीमहि तन्नो धन्वन्तरी प्रचोदयात् ||
4.ॐ नमो भगवते धनवंतराय।
अमृताकर्षणाय धन्वन्तराय।
वेधासे सुराराधिताय धन्वंतराय।
सर्व सिद्धि प्रदेय धन्वंतराय।
सर्व रक्षा कारिणेय धन्वंतराय।
सर्व रोग निवारिणी धन्वंतराय।
सर्व देवानां हिताय धन्वंतराय।
सर्व मनुष्यानाम हिताय धन्वन्तराय।
सर्व भूतानाम हिताय धन्वन्तराय।
सर्व लोकानाम हिताय धन्वन्तराय।
सर्व सिद्धि मंत्र स्वरूपिणी।
धन्वन्तराय नमः।
5.मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुणध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥
ऊँ श्री प्रकटाय नम:
ऊँ श्री वयासाय नम:
ऊँ श्री हंसाय नम:
ऊँ श्री वामनाय नम:
ऊँ श्री गगनसदृश्यमाय नम:
ऊँ श्री लक्ष्मीकान्ताजाय नम:
ऊँ श्री प्रभवे नम:
ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
ऊँ श्री परमधार्मिकाय नम:
ऊँ श्री यशोदानन्दनयाय नम:
ऊँ श्री विराटपुरुषाय नम:
ऊँ श्री अक्रूराय नम:
ऊँ श्री सुलोचनाय नम:
ऊँ श्री भक्तवत्सलाय नम:
ऊँ श्री विशुद्धात्मने नम :
ऊँ श्री श्रीपतये नम:
ऊँ श्री आनन्दाय नम:
ऊँ श्री कमलापतये नम:
ऊँ श्री सिद्ध संकल्पयाय नम:
ऊँ श्री महाबलाय नम:
ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
ऊँ श्री सुरेशाय नम:
ऊँ श्री ईश्वराय नम:
ऊँ श्री विराट पुरुषाय नम:
ऊँ श्री क्षेत्र क्षेत्राज्ञाय नम:
ऊँ श्री चक्रगदाधराय नम:
ऊँ श्री योगिनेय नम:
ऊँ श्री दयानिधि नम:
ऊँ श्री लोकाध्यक्षाय नम:
ऊँ श्री जरा-मरण-वर्जिताय नम:
ऊँ श्री कमलनयनाय नम:
ऊँ श्री शंख भृते नम:
ऊँ श्री दु:स्वपननाशनाय नम:
ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:
ऊँ श्री हयग्रीवाय नम:
ऊँ श्री कपिलेश्वराय नम:
ऊँ श्री महीधराय नम:
ऊँ श्री द्वारकानाथाय नम:
ऊँ श्री सर्वयज्ञफलप्रदाय नम:
ऊँ श्री सप्तवाहनाय नम:
ऊँ श्री श्री यदुश्रेष्ठाय नम:
ऊँ श्री चतुर्मूर्तये नम:
ऊँ श्री सर्वतोमुखाय नम:
ऊँ श्री लोकनाथाय नम:
ऊँ श्री वंशवर्धनाय नम:
ऊँ श्री एकपदे नम:
ऊँ श्री धनुर्धराय नम:
ऊँ श्री प्रीतिवर्धनाय नम:
ऊँ श्री केश्वाय नम:
ऊँ श्री धनंजाय नम:
ऊँ श्री ब्राह्मणप्रियाय नम:
ऊँ श्री शान्तिदाय नम:
ऊँ श्री श्रीरघुनाथाय नम:
ऊँ श्री वाराहय नम:
ऊँ श्री नरसिंहाय नम:
ऊँ श्री रामाय नम:
ऊँ श्री शोकनाशनाय नम:
ऊँ श्री श्रीहरये नम:
ऊँ श्री गोपतये नम:
ऊँ श्री विश्वकर्मणे नम:
ऊँ श्री हृषीकेशाय नम:
ऊँ श्री पद्मनाभाय नम:
ऊँ श्री कृष्णाय नम:
ऊँ श्री विश्वातमने नम:
ऊँ श्री गोविन्दाय नम:
ऊँ श्री लक्ष्मीपतये नम:
ऊँ श्री दामोदराय नम:
ऊँ श्री अच्युताय नम:
ऊँ श्री सर्वदर्शनाय नम:
ऊँ श्री वासुदेवाय नम:
ऊँ श्री पुण्डरीक्षाय नम:
ऊँ श्री नर-नारायणा नम:
ऊँ श्री जनार्दनाय नम:
ऊँ श्री चतुर्भुजाय नम:
ऊँ श्री विष्णवे नम:
ऊँ श्री केशवाय नम:
ऊँ श्री मुकुन्दाय नम:
ऊँ श्री सत्यधर्माय नम:
ऊँ श्री परमात्मने नम:
ऊँ श्री पुरुषोत्तमाय नम:
ऊँ श्री हिरण्यगर्भाय नम:
ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:
ऊँ श्री माधवाय नम:
ऊँ श्री अनन्तजिते नम:
ऊँ श्री महेन्द्राय नम:
ऊँ श्री नारायणाय नम:
ऊँ श्री सहस्त्राक्षाय नम:
ऊँ श्री प्रजापतये नम:
ऊँ श्री भूभवे नम:
ऊँ श्री प्राणदाय नम:
ऊँ श्री देवकी नन्दनाय नम:
ऊँ श्री सुरेशाय नम:
ऊँ श्री जगतगुरूवे नम:
ऊँ श्री सनातन नम:
ऊँ श्री सच्चिदानन्दाय नम:
ऊँ श्री दानवेन्द्र विनाशकाय नम:
ऊँ श्री एकातम्ने नम:
ऊँ श्री शत्रुजिते नम:
ऊँ श्री घनश्यामाय नम:
ऊँ श्री वामनाय नम:
ऊँ श्री गरुडध्वजाय नम:
ऊँ श्री धनेश्वराय नम:
ऊँ श्री भगवते नम:
ऊँ श्री उपेन्द्राय नम:
ऊँ श्री परमेश्वराय नम:
ऊँ श्री सर्वेश्वराय नम:
ऊँ श्री धर्माध्यक्षाय नम:
ऊँ श्री प्रजापतये नम:
कार्तिक माह में आने वाली देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते हैं। यह वह शुभ समय होता है जब चातुर्मास, यानी तपस्या और उपवास का चार महीने का काल समाप्त हो जाता है। इसलिए, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अपार पुण्य और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। भक्तगण इस अवसर पर भगवान विष्णु को दीपक, तुलसी और जल अर्पित करते हैं तथा अपने घर में सुख, समृद्धि, दीर्घायु और शांति की कामना करते हैं। पूजा के दौरान तुलसी सहित अन्य पवित्र वस्तुओं का प्रयोग करने से पूजा का फल और भी अधिक बढ़ जाता है।
Published on:
11 Oct 2025 01:57 pm
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