सिर्फ स्त्रियों क्यों करती हैं करवाचौथ? (Image Source: Chatgpt)
Karwa Chath Vrat:करवाचौथ वो त्योहार है , जिसमें कई पत्नियां अपने पतियों की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन भूखी-प्यासी रह कर व्रत करती हैं। महिलाएं साड़ी, सोलह श्रृंगार, पूजा सबकुछ अपने पति के लिए करती हैं। हिंदू धर्म में करवाचौथ को प्यार और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। इसमें कोई शक नहीं कि यह प्यार और समर्पण का सबसे बड़ा प्रतीक है। लेकिन, मॉडर्न जमाने में ये सवाल भी उठता है कि जब रिश्ता दो लोगों का है, तो प्रेम और समर्पण सिर्फ एक ही क्यों करे? क्या पति को भी पत्नी के लिए व्रत नहीं रखना चाहिए? आइए जानते हैं इस सवाल का जवाब।
पुराने जमाने में, जब पुरुष जंग या लंबे सफर पर जाते थे, तो उनकी वापसी पक्की नहीं होती थी। ऐसे में औरतें डर और चिंता में उनकी सलामती के लिए यह व्रत रखती थीं। यह उनके अटूट प्रेम का प्रतीक था। लेकिन, अब समय बदल चुका है। आज पति-पत्नी कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं। ऐसे में, यह व्रत सिर्फ महिला की जिम्मेदारी क्यों है?
हमने कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट्स से उनकी राय पूछी। उनके जवाब साफ बताते हैं कि युवा पीढ़ी इस पर्व को अब जिम्मेदारी से ज्यादा, व्यक्तिगत पसंद के तौर पर देखती है।
नेहा, चित्रा और हिमेंश जैसे युवाओं ने कहा, "बराबरी होनी चाहिए।" अगर पत्नी व्रत रखती है, तो पति को भी रखना चाहिए, क्योंकि रिश्ते में समर्पण दोनों तरफ से जरूरी है। हिमेंश ने तो कहा, उनके मम्मी-पापा दोनों व्रत रखते हैं।
आदर्श जैसे कुछ युवा इसे 'जैसा है, वैसा' ही रखने के पक्ष में हैं। यानी की सदियों से चली आ रही परंपरा को बदलना नहीं चाहिए।
थलज और मोहसिना ने कहा कि यह आपसी समझ (Mutual Understanding) और पसंद (Choice) का मामला है, कोई जोर-जबरदस्ती नहीं। अगर किसी को व्रत रखना है तो वो अपनी खुशी से रखे, किसी पर भी कोई दवाब डालना सही नहीं है।
ज्यादातर युवाओं ने व्रत को प्यार का प्रमाण मानने से मना कर दिया। प्रतीक्षा का कहना है, "व्रत नहीं भी करें तो चलेगा, मगर पूरी केयर करें, हेल्प करें, खाना बनाएं, यही असली प्रमाण है।" वहीं, मधुर, चित्रा, और नेहा सब मानते हैं कि प्यार के प्रमाण के तरीके अलग हो सकते हैं, जैसे एक-दूसरे का ध्यान रखना और हर परिस्थिति में एक दूसरे केसाथ खड़े रहना।
दिलचस्प बात यह है कि कुछ युवा जैसे, हिमेंश और आदर्श अपनी पार्टनर के लिए जरूर व्रत रखेंगे, पर संदीप ने सीधे मना कर दिया कि वह ऐसा नहीं करेंगे।
युवाओं की बातचीत का निचोड़ यही है कि करवा चौथ अब अपनी भावनाएं खो रहा है और दिखावा या ट्रेंड बनकर रह गया है। जहां कई बार 'फोर्सफुली' व्रत रखना पड़ता है। सोशल मीडिया से देखादेखी करना लोगों का चलन बन चुका है। आज की पीढ़ी चाहती है कि यह पर्व प्रेम की साझेदारी को दिखाए, न कि किसी पर दबाव बने या दिखावे के लिए किया जाए। अगर व्रत रखना ही है, तो खुशी और बराबरी से रखो, वरना सालभर केयर और सम्मान ही सबसे बड़ा व्रत है।
Updated on:
09 Oct 2025 06:24 pm
Published on:
09 Oct 2025 06:22 pm
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