Bear in kumbhalgarh
राजसमंद. केलवाड़ा-दुर्ग मार्ग पर स्थित गवार ग्राम पंचायत के बीड़ की भागल क्षेत्र में इन दिनों एक जंगली भालू ने ग्रामीणों की नींद हराम कर दी है। पिछले करीब दो सप्ताह से यह भालू गांव के आसपास घूमता हुआ देखा जा रहा है और कई बार तो बस्ती में घुसकर मंदिरों में तोड़फोड़ कर चुका है। भालू की हरकतों से गांव में भय और असुरक्षा का माहौल गहराता जा रहा है।
ग्रामीणों के अनुसार, जैसे ही शाम ढलती है, यह भालू गांव की तरफ आ जाता है। बीड़ की भागल के निवासी किशन सिंह ने बताया कि पिछले 15 से 20 दिनों में भालू को चार–पांच बार गांव में देखा गया है। उन्होंने कहा, “यह भालू अक्सर मंदिरों के आसपास दिखता है। तीखी माता मंदिर और हनुमानजी मंदिर में तो इसने घंटियां, घुमट और छज्जे तक तोड़ दिए। कई बार तो हम लोगों ने इसे अपने खेतों के पास भी देखा है। किशन सिंह और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि मंदिरों में हुई तोड़फोड़ के सीसीटीवी फुटेज उन्होंने वन विभाग को भेज दिए हैं। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
गुरुवार रात को भी यह भालू गांव के हनुमान मंदिर में जा पहुंचा। वहां लगी घंटी, मंदिर का छज्जा और घुमट पर लगा कलश तक उसने तोड़ दिया। ग्रामीणों के मुताबिक, उन्होंने जब शोर मचाया तो भालू भाग गया, लेकिन कुछ देर बाद फिर पास के खेत में घूमता दिखाई दिया। ग्रामीणों का कहना है कि वे अब रात में बाहर निकलने से डरते हैं। कई परिवारों ने बच्चों को खेतों की तरफ जाने से मना कर दिया है। यहां तक कि कुछ परिवारों ने रात को पशुओं को बाहर बांधना भी बंद कर दिया है।
वन विभाग के रेंजर प्रेमचंद कुमावत ने बताया कि विभाग को अब तक इस मामले में कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने कहा, संभव है कि भालू को मंदिरों में रखे प्रसाद की ओर आकर्षण होता हो, क्योंकि भालू को मीठी वस्तुएं बहुत पसंद होती हैं। ग्रामीणों को सलाह दी गई है कि वे मंदिरों में मिठाई, गुड़ या प्रसाद की वस्तुएं खुले में न रखें और रात को विशेष सावधानी बरतें। रेंजर ने यह भी कहा कि यदि भालू के मूवमेंट की पुष्टि होती है तो विभाग ट्रैप लगाने या उसे सुरक्षित रूप से जंगल में वापस भेजने की कार्रवाई करेगा।
भालू की बढ़ती सक्रियता से ग्रामीणों में भय के साथ-साथ कई तरह की अफवाहें भी फैल रही हैं। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने दो भालू देखे हैं, जबकि कुछ का दावा है कि एक ही भालू बार-बार अलग-अलग दिशाओं से गांव में आता है। एक ग्रामीण ने बताया, “पहले यह केवल जंगल की तरफ दिखता था, लेकिन अब यह सीधे बस्ती में घुस जाता है। दो दिन पहले यह हमारे खेत के पास बने गोठ में घुस गया था। हमने टॉर्च जलाई तो वह भाग गया।”
ग्रामीणों ने बताया कि इलाके में न तो किसी तरह का अलर्ट जारी किया गया है, न ही रात में गश्त की व्यवस्था। यहां तक कि ग्रामीणों के फोन कॉल के बाद भी वन विभाग का कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। गांव के युवकों ने स्वयंसेवी तौर पर रात में पहरा देना शुरू कर दिया है। वे टॉर्च और डंडे लेकर मंदिरों और बस्तियों के आसपास गश्त करते हैं, ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके।
कुंभलगढ़ वन क्षेत्र में इस तरह के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। पहाड़ी और जंगलों से घिरे इस इलाके में भालुओं की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है। पिछले साल भी केलवाड़ा और मावली के बीच एक भालू ने खेतों में काम कर रहे दो किसानों पर हमला कर दिया था, जिससे दोनों घायल हो गए थे। वन विशेषज्ञों के अनुसार, जंगलों में भोजन की कमी या इंसानी बस्तियों के नजदीक फलदार पेड़ों की उपलब्धता के कारण भालू बस्तियों में भटक आते हैं। कई बार ये जानवर मंदिरों या दुकानों में रखे मीठे पदार्थों की गंध से आकर्षित होकर वहां पहुंचते हैं।
गवार पंचायत के ग्रामीणों ने वन विभाग से तत्काल निगरानी टीम भेजने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि विभाग समय रहते कार्रवाई नहीं करता तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है। गांव के सरपंच प्रतिनिधि ने कहा, “हमने विभाग को कई बार फोन किया लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। अब गांव में छोटे बच्चे तक डरे हुए हैं। हम चाहते हैं कि भालू को पकड़ा जाए या उसे जंगल में वापस भेजा जाए।”
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, भालू सामान्यतः मनुष्यों पर हमला नहीं करते, लेकिन यदि उन्हें खतरा महसूस होता है या वे भूखे होते हैं तो आक्रामक हो जाते हैं। राजस्थान वन्यजीव बोर्ड के एक विशेषज्ञ ने बताया, “यह जरूरी है कि ग्रामीण खुद से भालू को भगाने की कोशिश न करें। भालू देखने पर शोर मचाने या उसे घेरने से वह और अधिक आक्रामक हो सकता है। वन विभाग को जल्द से जल्द ट्रैंक्विलाइज़र टीम भेजकर उसे सुरक्षित पकड़ना चाहिए।
Published on:
18 Oct 2025 10:38 am
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