Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छत्तीसगढ़ में यहां देखिए 1000 साल पुरानी बप्पा की मूर्ति

नृत्य गणपति की मूर्ति को करीतलई जबलपुर से लाया गया है। दसवीं सदी की मूर्ति मेें गणेश जी नृत्य करते हुए दिखाए गए हैं। वैसे तो देशभर में गणपति की कई मूर्तियां हैं लेकिन डांस थीम पर संभवत: पहली मूर्ति है।

2 min read
Google source verification
raipur news

raipur news

देशभर में इन दिनों गणपति बप्पा की धूम मची हुई है। सुबह-शाम आरती और प्रसाद के रूप में मोदक व लड्डु का वितरण किया जा रहा है। घरों से लेकर पंडालों में गणेशजी शान से विराजित हैं। अलग-अलग थीम पर पंडाल सजाए गए हैं। गणेशोत्सव के मौके पर हम संस्कृति विभाग परिसर स्थित महंत घासीदास संग्रहालय में एग्जीबिट गणेश प्रतिमाओं की जानकारी दे रहे हैं।

यहां स्थापित गणपति प्रतिमाएं दसवीं सदी की हैं। एक रेप्लिका भी है जो बारसूर एकाश्म गणेश की है. नृत्य गणपति की मूर्ति को करीतलई जबलपुर से लाया गया है। दसवीं सदी की मूर्ति मेें गणेश जी नृत्य करते हुए दिखाए गए हैं। वैसे तो देशभर में गणपति की कई मूर्तियां हैं लेकिन डांस थीम पर संभवत: पहली मूर्ति है।

2.25 मीटर ऊंची रेप्लिका

बारसूर जिला दंतेवाड़ा में एक अद्भुत कलात्मक धरोहर एकाश्म गणेश की मूर्ति स्थापित है। यह 11वीं-12वीं सदी ईसवी में निर्मित ग्रेनाइट पत्थर से बनी दो विशाल प्रतिमाएं हैं, जो धोती और यज्ञोपवीत धारण किए आसन मुद्रा में चित्रित हैं। इसकी रेप्लिका को म्यूजियम के ग्राउंड फ्लोर में एग्जीबिट किया गया है। इस रेप्लिका की विशेषता है इसकी विशालता जो 2.25 मीटर ऊंची है और भारत में दूसरी सबसे बड़ी प्रतिमा है। चतुर्भुजी गणेश के बाएं हाथों में क्रमश: मोदक और दंत है, जबकि ऊपरी दाहिना हाथ खण्डित है और निचले दाहिने हाथ में अक्षमाला है। यह प्रतिकृति न केवल कलात्मक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। यह प्रतिकृति बारसूर के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है।

सिरपुर की खुदाई में मिले बप्पा

दसवीं सदी की गणेशजी की एक अन्य मूर्ति जिसमें बप्पा को बैठा हुआ दिखाया गया है। यह महासमुंद के सिरपुर से लाई गई है। प्रतिमा का कुछ हिस्सा खंडित है।

दो दिन में 234 ने किए दर्शन

संग्रहालय से मिली जानकारी के अनुसार म्यूजियम में विजिट करने वालों की संख्या दो दिन में २३४ है। ७ सितम्बर को ८१ और ८ को १५३ ने गणपति के दर्शन किए।