CG News: @ अजय रघुवंशी। जमीन से 32 हजार किलोमीटर की ऊंचाई से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सैटेलाइट अब राज्य सरकार की सरकारी विभागों की निगरानी करेगा। जल, जंगल, जमीन की निगरानी से लेकर सरकारी योजनाओं का डेटाबेस, मास्टर प्लान और अपराधियों को पकडऩे के लिए स्पेस टेक्नोलाजी की मदद ली जाएगी। इसरो के स्पेस टेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर और राज्य सरकार के छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिक परिषद ने मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया है।
राज्य में बढ़ती आबादी इसके आवश्यकताओं के अनुरूप संसाधनों की जरूरत के मुताबिक रिमोट सेसिंग पद्धति से सरकारी विभागों को लगातार डेटा मिलता रहेगा। हाल ही में इसरो के वैज्ञानिकों की मौजूदगी में विज्ञान प्रौद्योगिकी और सरकारी विभागों के आला अधिकारियों की मैराथन बैठक में इस प्रोजेक्ट पर काम किया गया, जिसके बाद नागपुर स्थित इसरो के रिजनल रिमोट सेसिंग सेंटर (आरआरएससी) को प्रस्ताव भेज दिया गया है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्यों में से सरकारी विभागों के कार्यों को स्पेस सर्विलांस के जरिए नजर रखना भी है।
जानकारी के मुताबिक इसरो की टीम और गृह विभाग के आला अधिकारियों के साथ लंबी चर्चा हुई है, जिसमें तकनीक के जरिए अपराध के रोकथाम को लेकर बातचीत हुई है। लाइव डेटाबेस को लेकर विभाग ने अलग-अलग प्रस्ताव दिया है।
इसरो के सैटेलाइट की क्षमता का अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि 32 हजार किमी की ऊंचाई से जमीन से 30 सेमी ऊपर की वस्तुओं को अपनी उच्च गुणवत्ता की तस्वीरों के साथ साझा किया जा सकता है।
इसरो की मदद से नवा रायपुर सहित 104 शहरों के मास्टर प्लान के लिए डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इसमें रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, राजनांदगांव, रायगढ़, अंबिकापुर, जगदलपुर सहित छोटे शहरों के विकास का रोडमैप तैयार होगा। विजन-2047 के तहत शहरों को सुव्यवस्थित करने के लिए रिमोट सेसिंग तकनीक की मदद की जाएगी।
आसमान से लेकर जमीन के भीतर तक आब्जर्वेशन करने वाला निसार-16 सैटेलाइट को दुनिया का सबसे महंगा उपग्रह माना जाता है। 30 जुलाई 2025 को सिविलियन अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट को आंध्रप्रदेश के हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया गया था। 13 हजार करोड़ की लागत से इसरो और नासा का यह संयुक्त मिशन दुनिया का पहला रडार सैटेलाइट माना जाता है, जिससे पृथ्वी पर मौजूद वस्तुओं की सटीक मैपिंग हो सकेगी।
निसार-16 सैटेलाइट को दुनिया का सबसे महंगा उपग्रह माना जाता है। 30 जुलाई 2025 को सिविलियन अर्थ इमेजिंग सैटेलाइट को हरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। 13 हजार करोड़ की लागत से इसरो और नासा का यह संयुक्त मिशन दुनिया का पहला रडार सैटेलाइट है, जिससे पृथ्वी पर मौजूद वस्तुओं की सटीक मैपिंग हो सकेगी।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से प्राप्त प्रस्ताव को इसरो मुख्यालय भेजा गया है। भविष्य की जरूरतों के मुताबिक इसरो राज्य को स्पेस टेक्नोलाजी के जरिए एप्लीकेशन तैयार करने में मदद करता है। -डॉ. आनंद कुमार, वैज्ञानिक, एस-5, रिजनल रिमोट सेसिंग सेंटर, इसरो (नागपुर)
राज्य सरकार के विभागों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से किस तरह लाभ मिल सकता है। इस पर विस्तार से चर्चा के बाद प्रस्ताव प्राप्त हुआ है, जिसे इसरो के क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किया गया है। -डॉ. एमके बेग, वैज्ञानिक-ई, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद
1जल, जंगल और जमीन का वास्तविक आंकड़ा तय करने।
2 सरकारी जमीनों व जंगल में बढ़ते अतिक्रमण पर नजर।
3 खनन क्षेत्रों पर नजर रखने के लिए।
4 शहरों के लिए सुव्यवस्थित मास्टर प्लान तैयार करने।
5 इंद्रावती, महानदी, अरपा-पैरी, खारून सहित अन्य नदियों के प्रवाह की मैपिंग।
6 सिंचित-असिंचित कृषि भूमि की जमीनी हकीकत।
7 भू-जलस्रोत की गणना और गुणवत्ता परखने के लिए।
8 फसल की स्थिति, पैदावार, मिट्टी के तत्वों पर नजर।
9 राजमार्ग सहित पीडब्ल्यूडी व शहरी सड़कों की मैपिंग।
10 प्राकृतिक आपदाओं पर नजर रखने के लिए।
11 यातायात व्यवस्था की निगरानी।
Published on:
16 Oct 2025 11:01 am
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