
Raipur News: पुलिस के डायल 112 से लोगों को तत्काल मदद नहीं मिल पा रही है। कई बार कॉल करने के बाद डायल 112 की गाड़ियां पहुंच रही हैं। दूसरी ओर इमरजेंसी रिस्पांस व्हीकल (डायल 112 वाहन) चलाने के लिए टेंडर जारी किया गया है, लेकिन इसकी शर्तों में गुपचुप बदलाव कर दिया गया है। इसमें अब सोसायटी एक्ट के तहत किसी भी राज्य की पंजीकृत सोसाइटी को भी शामिल करने का क्लॉज जोड़ दिया है, जो पहले नहीं था।
पिछले टेंडर में केवल कंपनी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड कंपनी और लिमिटेड लाइबलिटिज पार्टनरशिप ही भाग ले सकते थे। सोसाइटी को जोड़ने के पीछे प्रदेश में एंबुलेंस का संचालन कर चुकी एक पुरानी संस्था को फायदा पहुंचाने की कवायद बताया जा रहा है। बदलाव के चलते दूसरी कंपनियां इसमें भाग नहीं ले पाएंगी। कुछ तो केवल औपचारिकता के तौर पर शामिल हो पाएगी। इसका सीधा असर इमरजेंसी रिस्पांस टाइम पर पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी वर्ष 2023 में डायल 112 के संचालन के लिए टेंडर प्रक्रिया की गई थी। उसमें एक विशेष कंपनी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई थी।
वर्तमान डायल 112 के आईटी का काम सीडैक कंपनी देख रही है। इसमें करीब 500 करोड़ खर्च हो रहे हैं। यह केंद्र सरकार की कंपनी है। इससे पहले टाटा कंपनी संचालित कर रही थी। डॉयल 112 की गाड़ियों के संचालन का ठेका देने की तैयारी चल रही है।
डायल 112 को पूरे प्रदेश में लागू करने के लिए 400 नई गाड़ियां खरीदी गई थी। वर्ष 2023 में टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। इसके चलते इन नई गाड़ियों का उपयोग नहीं हुआ। करीब दो साल से ये गाड़ियां खड़ी-खड़ी खराब हो रही हैं। अब कुछ गाड़ियों को थानों में पेट्रोलिंग के लिए दिया जा रहा है।
डायल 112 के वाहनों का संचालन के लिए पहले रजिस्टर्ड कंपनी और लिमिटेड लाइबलिटिज पार्टनरशिप ही भाग ले सकते थे, अब पंजीकृत सोसाइटी को भी शामिल कर दिया गया।
112 वाहनों के संचालन के लिए किसी भी संस्था को 100 इमरजेंसी वाहन का संचालन और 300 जीपीएस वाले वाहनों का संचालन करने वाला होना चाहिए। इमरजेंसी को लेकर पुलिस इमरजेंसी या फायर इमरजेंसी, एंबुलेंस इमरजेंसी स्पष्ट नहीं किया गया है। इसके लिए अनुभव भी घटा दिया गया है। पहले लगातार 5 साल का अनुभव रखा गया था, अब लगातार 3 साल का अनुभव का क्लॉज जोड़ दिया है।
छत्तीसगढ़ में इमरजेंसी नंबर डायल 112 की सेवा वर्ष 2018 में शुरू हुई थी। शुरुआत में प्रदेश के 11 जिलों में इसे लागू किया गया। इसके बाद 16 जिलों में बढ़ाया गया। इसमें कॉल करके पुलिस, फायर और एंबुलेंस की इमरजेंसी मदद ली जाती है। यह सुविधा 24 घंटे उपलब्ध रहती है। साल भर में 10 लाख से अधिक इमरजेंसी कॉल्स आती हैं।
Published on:
24 Oct 2025 02:08 pm
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