
डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर मनाया गया छठ महापर्व(photo-patrika)
Chhath Puja Special 2025: जीवन की रोशनी और ऊर्जा का प्रतीक छठ महापर्व इस बार भी आस्था और श्रद्धा के बीच पूरे उत्साह से मनाया गया। डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करने के साथ रविवार को पर्व के तीसरे दिन का समापन हुआ। यह पर्व सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में अनुशासन, शुद्धता और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
छत्तीसगढ़ के रायपुर महादेव घाट पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। व्रती महिलाएं और पुरुष पारंपरिक परिधान में सिर पर टोकरी और हाथों में पूजा सामग्री लेकर घाट की ओर बढ़ते दिखे। नदी के किनारे पूरे क्षेत्र में भक्ति संगीत, छठी मैया के गीत और ढोल-नगाड़ों की गूंज से माहौल भक्तिमय बन गया।
सूर्यास्त के समय जैसे ही सूर्यदेव क्षितिज की ओर ढलने लगे, व्रतधारियों ने नदी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। उनके साथ परिवार और स्थानीय लोग भी श्रद्धा के भाव से शामिल हुए। इस दौरान व्रतधारियों ने जल में खड़े होकर छठी मैया के पारंपरिक गीत गाए और अपने परिवार, समाज और राष्ट्र की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की।
आर.जे. नरेंद्र भी हमेशा की तरह इस वर्ष छठ पर्व के अवसर पर महादेव घाट पहुंचे। उन्होंने श्रद्धालुओं से बातचीत की और उनकी भावनाओं को करीब से समझा। आर.जे. नरेंद्र ने बताया, “महादेव घाट पर हर साल छठ पर्व का नजारा मन को छू लेने वाला होता है। हजारों की संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं। डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद कल सुबह उगते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित कर इस व्रत का समापन किया जाएगा।”
घाट पर सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर प्रशासन भी पूरी तरह सतर्क रहा। नगर निगम और पुलिस विभाग ने संयुक्त रूप से साफ-सफाई, रोशनी और यातायात की व्यवस्था की। वहीं, कई स्वयंसेवी संगठनों ने श्रद्धालुओं को फल, जल और आवश्यक सहयोग प्रदान किया।
छठ पर्व के इस पावन अवसर पर पूरा रायपुर शहर भक्ति की रोशनी में डूबा नजर आया। घरों, सड़कों और घाटों पर सजावट और दीपों की लौ ने वातावरण को आलोकित कर दिया।
इस विशेष अवसर की झलकियां और श्रद्धालुओं के अनुभवों को सुनने के लिए श्रोता एफएम टडका पर शाम 5 से 7 बजे के बीच प्रसारित होने वाले “The Evening Show” में आर.जे. नरेंद्र के साथ “छठ स्पेशल – आस्था का महापर्व” कार्यक्रम का आनंद ले सकते हैं, जहां छठ की परंपरा, लोकगीत और आस्था से जुड़ी कहानियों को साझा किया गया।
छठ महापर्व एक बार फिर यह संदेश दे गया कि जब श्रद्धा, अनुशासन और प्रकृति के प्रति समर्पण एक साथ आते हैं, तो जीवन में ऊर्जा, संतुलन और रोशनी का संचार होता है।
Published on:
27 Oct 2025 06:29 pm
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