
न्यूयॉर्क मेयर चुनाव में भारतीय मूल के जोहरान ममदानी को बढ़त। फोटो: वॉशिंगटन पोस्ट, डिजाइन: पत्रिका
Zohran Mamdani: न्यूयॉर्क शहर में मेयर चुनाव की दौड़ में जोहरान ममदानी (Zohran Mamdani) की बढ़त ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। दरअसल न्यूयॉर्क के क्वींस से विधायक 34 वर्षीय डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ममदानी जून 2025 (NYC Mayor Election 2025) में डेमोक्रेटिक प्राइमरी में पूर्व गवर्नर एंड्रयू क्यूमो को 12 पॉइंट्स से हरा कर राजनीति में उभरे हैं। अब जनरल इलेक्शन में होने वाली वोटिंग से ठीक पहले, पोल्स में वे लीड डबल डिजिट्स में है। उन्हें रियल क्लियर पॉलिटिक्स के एवरेज के मुताबिक 46.1% वोट्स के साथ 14.3 पॉइंट्स की बढ़त मिली है। इंडिपेंडेंट क्यूमो 31.8% और रिपब्लिकन कर्टिस स्लिवा 16.3% पर हैं। पॉलीमार्केट जैसे प्रेडिक्शन मार्केट्स में उनकी जीत की संभावना 95% बताई जा रही है। अगर ममदानी जीतते हैं, तो वे न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम मेयर बनेंगे,एक ऐतिहासिक क्षण जो अमेरिकी राजनीति में समाजवादी विचारधारा (Socialist Policies US) की ताकत दिखाएगा। लेकिन यह जीत केवल न्यूयॉर्क तक सीमित नहीं है, यह डोनाल्ड ट्रंप जैसे पूंजीवादी नेताओं (rump Mamdani Clash) और भारत जैसे उभरते बाजारों के लिए एक बड़ी चेतावनी है।
ममदानी का सफर प्रेरणादायक है। युगांडा में जन्मे, भारतीय मूल के ममदानी ने ब्राउन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है और वे सन 2020 में न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली पहुंचे। उनकी राजनीति बर्नी सैंडर्स और अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कॉर्टेज (AOC) से प्रेरित है। जून प्राइमरी में क्यूमो जैसे दिग्गज को हराना उनके पॉपुलिस्ट मैसेज—सस्ती जिंदगी, मुफ्त सेवाएं और सामाजिक न्याय की ताकत दिखाता है। हाल ही में क्वींस में सैंडर्स और AOC के साथ हुई रैली में न्यूयॉर्क गवर्नर कैथी होचुल भी शामिल हुईं, जहां भीड़ ने "टैक्स द रिच" का नारा लगाया है। होचुल ने हल्के-फुल्के अंदाज में जवाब दिया, लेकिन यह डेमोक्रेटिक पार्टी में लेफ्ट विंग की बढ़ती ताकत का संकेत है। वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, ममदानी की मुस्लिम पहचान और गाजा समर्थन ने उन्हें युवा और इमिग्रेंट वोटर्स का मजबूत समर्थन दिलाया है। लेकिन वॉल स्ट्रीट जर्नल जैसे कंजर्वेटिव मीडिया ने उन्हें "रेडिकल" करार देकर चेतावनी दी है कि उनकी जीत शहर की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देगी।
न्यूयॉर्क में ममदानी की जीत न केवल अमेरिका, बल्कि भारत और ट्रंप जैसे नेताओं के लिए भी एक सतर्कता संदेश है, क्योंकि उनकी समाजवादी नीतियां वैश्विक आर्थिक मॉडल को चुनौती दे सकती हैं। ट्रंप ने हाल ही में क्यूमो को एंडोर्स किया है और ममदानी की जीत पर फेडरल फंडिंग कटने या ट्रूप्स भेजने की धमकी दी है। भारत के लिए, जहां मॉडलेट सिटी प्रोजेक्ट्स जैसे स्मार्ट सिटी पूंजीवाद पर टिके हुए हैं, ममदानी की पॉलिसी—जैसे हाउसिंग में सरकारी कंट्रोल—एक वैकल्पिक मॉडल पेश कर सकती है, जो वैश्विक निवेश को प्रभावित करे। ममदानी की "बैडअस" इमेज युवा वोटर्स को आकर्षित कर रही है, जो भारत में भी उभरते लेफ्ट लीडर्स के लिए प्रेरणा हो सकती है।
ममदानी की नीतियां, जैसे सरकारी किराना स्टोर और मुफ्त सेवाएं, पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ एक प्रयोग हैं, जो भारत जैसे देशों में भी चर्चा का विषय बन सकती हैं। वे मुफ्त चाइल्डकेयर, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और हाउसिंग मार्केट में राज्य का विस्तार चाहते हैं। पोलिटिको के मुताबिक, उनकी सेक्स वर्क डेक्रिमिनलाइजेशन पॉलिसी क्वींस के रूजवेल्ट एवेन्यू जैसे इलाकों में क्वालिटी ऑफ लाइफ बहस छेड़ रही है। भारत में, जहां निजीकरण और FDI पूंजीवाद की रीढ़ हैं, ऐसी नीतियां बहस छेड़ सकती है- जैसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करना। लेकिन ममदानी की पुरानी स्टेटमेंट्स, जैसे NYPD को "रैसिस्ट" कहना, विवादास्पद हैं। उन्होंने माफी मांगी है, लेकिन इजराइल पर उनकी आलोचना ने ज्यूइश वोटर्स को नाराज किया है। यह समाजवाद vs पूंजीवाद की जंग को गहरा बनाता है, जहां ट्रंप जैसे लीडर्स इसे "अस्तित्व का खतरा" मानते हैं।
ममदानी की लोकप्रियता यह दर्शाती है कि मतदाता पारंपरिक नेताओं से ऊब चुके हैं, जो भारत में भी उभरते नेताओं के लिए एक सबक हो सकता है। क्यूमो के सेक्शुअल हरासमेंट स्कैंडल्स और एरिक एडम्स के करप्शन चार्जेस ने डेमोक्रेटिक पार्टी को कमजोर किया है। जानकारी के अनुसार अर्ली वोटिंग 2021 से चार गुना बढ़ी है—7 लाख से ज्यादा वोट्स। ममदानी की सोशल मीडिया स्ट्रैटेजी ने युवाओं को मोबिलाइज किया है।
ममदानी की संभावित जीत डेमोक्रेटिक पार्टी के फ्यूचर को आकार देगी। ले मोंडे के अनुसार, उनकी कैम्पेन कॉस्ट ऑफ लिविंग पर फोकस्ड है, जो पार्टी के मॉडरेट विंग को चैलेंज कर रही है। न्यू जर्सी और वर्जीनिया गवर्नर रेस में मॉडरेट कैंडिडेट्स को पार्टी का फ्यूचर बताने वाले डेमोक्रेट्स अब चिंतित हैं। सन 2028 प्रेसिडेंशियल के लिए, ममदानी (युगांडा जन्म के कारण इनएलीजिबल) पार्टी के लेफ्ट शिफ्ट को सिम्बलाइज करेंगे। ट्रंप के लिए, यह चेतावनी है कि समाजवाद अमेरिका में सेंटर स्टेज ले सकता है। ट्रंप ने कहा है कि वे ममदानी की जीत पर फेडरल एड कटेंगे, जो शहर के 116 बिलियन बजट को हिट करेगा।
भारत के नजरिये से, ममदानी की जीत बहुआयामी प्रभाव डालेगी। भारतीय मूल के ममदानी की सक्सेस डायस्पोरा विशेषकर मुस्लिम और साउथ एशियन कम्युनिटी को को प्रेरित करेगी। न्यूयॉर्क में 9 लाख मुस्लिम्स के बीच उनकी पहचान एक ब्रेकथ्रू है, जो भारत के अल्पसंख्यक इश्यूज से जुड़ती है। लेकिन उनकी सोशलिस्ट पॉलिसीज भारत की इकोनॉमी को चैलेंज कर सकती हैं। भारत 8% GDP ग्रोथ के साथ पूंजीवाद का चैम्पियन है, इसमें ममदानी जैसी नीतियां जैसे सब्सिडाइज्ड हाउसिंग चर्चा छेड़ सकती हैं। क्या भारत में AAP या लेफ्ट पार्टियां इससे प्रेरित होंगी? या यह FDI को डराएगा? पोलिटिको के अनुसार, ममदानी की आलोचना से बिजनेस कम्युनिटी डरी हुई है, जो ग्लोबल पोस्ट इनवेस्टमेंट को प्रभावित करेगी। भारत के IT और फाइनेंशियल हब्स, जैसे बैंगलोर और मुंबई, न्यूयॉर्क से जुड़े हैं—क्या ममदानी की टैक्स द रिच पॉलिसी ग्लोबल चेन को ब्रेक करेगी ?
केवल एक फुल-टाइम जॉब (नॉन-प्रॉफिट काउंसलर) और स्टेट असेंबली का एक्सपीरियंस—अब वे 3 लाख एम्प्लॉयी और 116 बिलियन बजट हैंडल करेंगे। उनकी पुरानी स्टेटमेंट्स—NYPD पर रैसिस्ट टिप्पणी या इजराइल पर एलिमिनेशनिस्ट रेटरिक—विवादास्पद हैं। पोल्स में थोड़ी टाइटनिंग दिख रही है, लेकिन उनकी लीड सॉलिड है। न्यूजवीक के पोल में 43.9% के साथ 4.5 पॉइंट्स की लीड। अगर जीत हुई, तो ममदानी को इन्क्रिमेंटल अप्रोच लेना चाहिए—पायलट प्रोग्राम्स से शुरू। अन्यथा, न्यूयॉर्कर्स का एग्जोडस हो सकता है, जो इकोनॉमी को हिट करेगा।
फ्री मार्केट सपोर्टर्स ने न्यूयॉर्क में अपना केस कमजोर रखा। स्लिवा ने क्यूमो से नफरत और नीच इश्यूज पर फोकस किया। ममदानी की सक्सेस चेतावनी है कि सोशलिज्म बैड कहना काफी नहीं है। पूंजीवाद के फायदेजॉब्स, इनोवेशन—दिखाने होंगे। भारत में, जहां मोदी की पूंजीवादी पॉलिसीज सफल हैं, यह सबक है कि असंतोष को संभालना जरूरी है। ममदानी की जीत डेमोक्रेटिक पार्टी को लेफ्ट की ओर धकेलेगी, जो 2026 मिडटर्म्स में रिपब्लिकन्स को फायदा दे सकती है। ट्रंप के लिए, यह बैटलग्राउंड है-अगर न्यूयॉर्क गिरा, तो पूंजीवाद की जंग कठिन हो जाएगी।
बहरहाल ममदानी की संभावित जीत एक वाटरशेड मोमेंट है। यह दिखाती है कि पॉपुलिज्म कैसे सिस्टम को चैलेंज करता है। भारत और ट्रंप को इससे सीखना होगा: वैकल्पिक विचारधाराओं को नजरअंदाज न करें। अगर ममदानी मॉडरेट हुए, तो न्यूयॉर्क फल-फूल सकता है; वरना, चेतावनी सच हो जाएगी।
(वॉशिंग्टन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है।)
Updated on:
05 Nov 2025 09:18 am
Published on:
05 Nov 2025 06:00 am
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