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Interview : 37 दिन, 11 देशों की यात्रा… आखिर वैक्सीनेशन के लिए दो पायलट क्यों कर रहे ऐसा

Interview of pilots : ये दो पायलट अमेरिका और यूरोप में वैक्सीन को लेकर जागरूकता फैलाने का काम कर रहे हैं। ये करीब 11 देशों की यात्रा पर इसी उद्देश्य के साथ निकले हैं।

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Vaccine awareness real story, Vaccine news

वैक्सीन को लेकर जागरूकता फैलाने वाले दो पायलट | Photo- The Washington Post

Vaccine Awareness Real Story : रोटी, कपड़ा, मकान की तरह वैक्सीन (टीका) लगाना भी जरूरी है। यही वजह है कि अमेरिका के दो पायलट इस बात को समझाने निकले हैं। इनकी कहानी ना सिर्फ अमेरिका बल्कि, भारतीय या फिर हर देश के लिए मिसाल की तरह है, क्योंकि हेल्थ सबके लिए जरूरी है। चलिए, आज पत्रिका स्पेशल में हम इन दो पायलट की कहानी पढ़ते हैं। इन दोनों पायलटों के साथ 'द वाशिगंटन पोस्ट' की टीम ने बातचीत की है।

खसरा (Measles), को अमेरिका ने कभी लगभग समाप्त मान लिया गया था, पर फिर से वो फैल रहा है। अमेरिका के दो जगह यूटा और एरिजोना, जहां हाल के हफ्तों में कुल मिलाकर 100 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, अमेरिका में टीकाकरण दरों में गिरावट से जूझ रहे ये हाल के राज्य बताए जाते हैं। टेक्सास के कुछ स्कूलों में पिछले कुछ सालों में सबसे बुरा प्रकोप देखने को मिला।

अमेरिकियों के लिए ये आंकड़े सुनकर निराश होना आसान है। वो इस पर विचार करें कि वे जन स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही गलत और अविश्वास फैलाती सूचनाओं को रोकने के लिए क्या कर सकते हैं?

अमेरिका और यूरोप की यात्रा

ऐसे में, आपको एडविन गाल्किन और पीटर टीहेन (Edwin Galkin and Peter Teahen) जैसे लोगों पर विश्वास करना चाहिए। ये दो निडर और जागरूक पायलट कुछ ऐसा ही कर रहे हैं। ये दोनों एक इंजन वाले विमान में उत्तरी अमेरिका और यूरोप के 37 दिनों, 11 देशों की यात्रा पर निकले हैं। उन्होंने पोलियो और टीकों की शक्ति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए काम किया।

89 वर्षीय गाल्किन ऐसे विमान से अटलांटिक पार करने वाले सबसे बुजुर्ग व्यक्ति बन गए। इनका ये मिशन हमारे लिए प्रेरणा देने वाला है।

टीहेन ने बातचीत में बताया, "हमने अमेरिका और यूरोपीय देशों में ऐसा बहुत देखा है जहां लोगों ने कहा कि हमें पता ही नहीं था कि (वैक्सीन से रोके जा सकने वाली बीमारी) अब भी मौजूद हैं, और जब हमने उनको बताया तो वो सुनकर चौंक गए।"

उन्होंने आगे ये भी कहा कि यह बताना जरूरी है कि अभी भी दुनिया भर के बच्चों और परिवारों के लिए बहुत बड़े खतरे हैं।"

उदाहरण के लिए, वैक्सीनेशन पर संदेह करने वालों को यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि 200 में से 1 पोलियो संक्रमण (पैरालिसिस) बेहद घातक (जानलेवा या अधमरा करने वाला) होता है। ऐसे घातक लक्षणों से प्रभावित 10 में से 1 व्यक्ति की मृत्यु श्वसन पेशियों (सांस लेने वाले मसल्स) के काम करने से बंद होने के कारण होता है। बता दें, साल 1952 में हुए एक प्रकोप के दौरान, 3,000 से अधिक अमेरिकी मारे गए थे।

दर्दनाक किस्सा: जीवन के अंतिम 20 वर्ष व्हीलचेयर पर गुजरे

पायलट गल्किन ने अपने चचेरे भाई की कहानी बताई, जिसे बचपन में पोलियो हो गया था और सांस लेने में मदद के लिए उसे बहुत दर्दनाक अनुभव से गुजरना होता था। हालांकि दशकों तक वो सामान्य लाइफ जीता रहा, बाद में पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम हो गया, अपने जीवन के अंतिम 20 वर्ष तक व्हीलचेयर पर गुजारने पड़े थे।

गाल्किन इस दुखद घटना के साथ ये भी कहते हैं कि वो अपने पोते-पोती को इस तरह की लाइफ नहीं देना चाहते।

पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम को लेकर डॉक्टर भी जागरूक नहीं?

टीहेन भी अपना एक अनुभव शेयर किया था जिसमें एक 83 साल का बुजुर्ग व्यक्ति, जिनसे वे एक बार मिले थे, उसने बताया था कि बचपन में पोलियो से पीड़ित होने पर उन्हें कितना भयानक दर्द सहना पड़ा था। बाद में ठीक हुए लेकिन, उनके जीवन में वही दर्द फिर से लौट आया। उस पीड़ित व्यक्ति को यकीन था कि यह पोलियो से जुड़ा है। लेकिन न तो उनके डॉक्टर और न ही उनके परिवार ने उनकी बात पर विश्वास किया। हालांकि, टीहेन ने लक्षणों को जानने के बाद पोस्ट-पोलियो सिंड्रोम के रूप में पहचाना और उन्हें इस स्थिति के बारे में जानकारी भेजी।

रोटरी इंटरनेशनल के सदस्य, गाल्किन और टीहेन ने अपने अनुभव को शेयर करने के लिए संगठन के स्थानीय क्लबों की मदद ली ताकि, लोगों को अधिक से अधिक जागरूक किया जा सके। साथ ही लोगों को ऐसी बीमारियों का अनुभव ना हो इसलिए वो टीकाकरण को लेकर लोगों को जगाने में जुटे में हैं ताकि, बढ़ता और बदलता मेडिकल साइंस अधिक से अधिक आम जनों तक पहुंचे। साथ ही लोग समय पर बीमारियों से बचाव कर पाएं।

(वाशिंगटन पोस्ट का यह आलेख पत्रिका.कॉम पर दोनों समूहों के बीच विशेष अनुबंध के तहत पोस्ट किया गया है)


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