
लालू यादव और तेजस्वी यादव (फ़ोटो-फेसबुक)
Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अनुशासनहीनता के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने दल-विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाए गए 27 नेताओं को एक झटके में पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इस कार्रवाई की जद में दो मौजूदा विधायक, चार पूर्व विधायक और एक विधान पार्षद (MLC) आए हैं, जो अपने-अपने क्षेत्रों के कद्दावर चेहरे हैं।
RJD नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ना या पार्टी के हितों को नुकसान पहुंचाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विभिन्न जिलों से मिली रिपोर्टों के आधार पर, प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने यह निष्कासन किया है।
पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाए गए इन 27 नेताओं में, ये आठ बड़े नाम सबसे अधिक मायने रखते हैं, क्योंकि इनका निष्कासन बिहार के जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।
छोटे लाल राय सारण जिले की परसा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। ये आरजेडी के अनुभवी नेता रहे हैं, जिन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू के दिग्गज नेता चंद्रिका राय (जो लालू यादव के समधी भी हैं) को हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी। क्षेत्रीय सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में इनकी अच्छी पहचान रही है।
मो. कामरान नवादा जिले के गोविंदपुर विधानसभा क्षेत्र से RJD के वर्तमान विधायक हैं। उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में गोविंदपुर सीट से जीत हासिल की थी। कामरान नवादा जिले के नवादा नगर के निवासी हैं और उनकी शिक्षा इंटरमीडिएट स्तर तक है। वे पटना मुस्लिम साइंस कॉलेज से पढ़े हैं। अपनी क्षेत्रीय लोकप्रियता के लिए जाने जाने वाले कामरान कृषि और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं। उनकी राजनीति में मजबूत पकड़ है, और शिक्षा के क्षेत्र में भी उनका योगदान रहा है।
नरपतगंज के पूर्व विधायक अनिल यादव बिहार की राजनीति में एक जाना-माना चेहरा हैं। वे 2015 से 2020 तक नरपतगंज विधानसभा क्षेत्र से आरजेडी के विधायक रहे। राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में की, और 1978 के आपातकाल में भी सक्रिय भूमिका निभाई। हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में वे भाजपा के जय प्रकाश यादव से हार गए। पार्टी के निर्देशों और लाइन से हटकर काम करने के कारण उन्हें RJD से निष्कासित किया गया है।
राम प्रकाश महतो कटिहार विधानसभा सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं। वह RJD के वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते थे और एक समय बिहार सरकार में शिक्षा मंत्री के तौर पर कैबिनेट का हिस्सा भी रहे। उनका निष्कासन कटिहार क्षेत्र में पार्टी के आधार को प्रभावित कर सकता है।
अनिल सहनी एक समय मुजफ्फरपुर के कुढ़नी सीट से विधायक बने थे, हालांकि बाद में उन्हें एलटीसी घोटाले के एक मामले में सदस्यता गंवानी पड़ी थी। वह निषाद समुदाय का एक बड़ा चेहरा माने जाते हैं और उनका निष्कासन इस समुदाय के वोटों के समीकरण को बदल सकता है।
भोजपुर जिले के बड़हरा से पूर्व विधायक रहे सरोज यादव पिछड़े व यादव समाज के मुद्दों को मजबूती से उठाते रहे हैं। टिकट न मिलने पर उन्होंने पार्टी पर राजनीतिक उपेक्षा का आरोप लगाया और निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की, जो उनके निष्कासन का तात्कालिक कारण बना।
गणेश भारती बिहार विधान परिषद (MLC) के सदस्य रह चुके हैं। संगठन में उनकी अच्छी पकड़ थी और स्थानीय राजनीति में उनकी सक्रियता रही है। उन्हें भी पार्टी विरोधी गतिविधियों और अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ काम करने के आरोप में निष्कासित किया गया है।
हालांकि रितु जायसवाल विधायक या MLC नहीं हैं, पर वह निष्कासित नेताओं में सबसे चर्चित नाम हैं। वह RJD महिला प्रकोष्ठ की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रही हैं। वह पूर्व IAS अधिकारी अरुण कुमार की पत्नी हैं और सामाजिक तथा ग्रामीण विकास कार्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। मुखिया के तौर पर अपने पंचायत को मॉडल पंचायत के रूप में विकसित करने के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। पार्टी टिकट न मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया, जिसके चलते उन्हें निष्कासित किया गया है।
Updated on:
28 Oct 2025 11:04 am
Published on:
28 Oct 2025 11:03 am
बड़ी खबरें
View Allपटना
बिहार न्यूज़
ट्रेंडिंग

