Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बिहार चुनाव 2025: बागी बिगाड़ रहे खेल, एनडीए और महागठबंधन की बढ़ी बेचैनी

बिहार चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर लगभग सभी दलों में असंतोष है। पार्टी हाई कमान के फैसले के खिलाफ हर दल के बागी चुनाव मैदान में उतर गए हैं। जो कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी का खेल बिगाड़ रहे हैं।

3 min read
Google source verification

बिहार चुनाव में करीब चार दर्जन से ज्यादा सीटों पर बागी चुनाव लड़ रहे हैं। इन्होंने बीजेपी, जदयू, कांग्रेस और आरजेडी के अधिकृत प्रत्याशियों की नींद उड़ा दी है। पार्टी इनको मनाने का अपने स्तर से पूरा प्रयास कर रही है। लेकिन ये मानने को तैयार नहीं हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तो कई नाराज नेताओं को मना कर उनको पार्टी के मोर्चे पर खड़ा भी कर दिया। बावजूद इसके अभी भी बीजेपी को कई सीटों पर अपने ही बागियों से जूझना पड़ रहा है। ये पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में ललकार रहे हैं। कई पर पार्टियां पहले अनुशासन फिर निष्कासन का डंडा चलाया। बावजूद ये मानने को तैयार नहीं हैं। इसकी वजह से ही चुनावी समीकरण उलझते जा रहे हैं।

बागी बिगाड़ रहे खेल

बिहार चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर ये सभी तपे-तपाए नेता अपने बल पर (निर्दलीय) चुनावी मैदान में उतर गए हैं। कुछ तो ऐसे हैं जिनकी अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। उन्होंने चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। कुछ सीटों पर बागी से ही अधिकृत प्रत्याशी की सीधी लड़ाई है। इसकी वजह से ये विपक्ष के लिए वरदान बन गए हैं। कई बाग़ी, पूर्व विधायक, स्थानीय नेता और जातीय आधार पर मजबूत चेहरे से सबसे ज्यादा अधिकृत प्रत्याशी को परेशानी हो रही है।

वैशाली: विजय किसकी हार तय करेंगे?

वैशाली में महागठबंधन के दो उम्मीदवारों की वजह से मतदाता पहले से ही उलझन में हैं। पूर्णिया सांसद पप्पू यादव का अप्रत्यक्ष समर्थन मिलने की वजह से निर्दलीय विजय मंडल भी चुनाव मैदान में हैं। विजय मंडल का यादव और अतिपिछड़ा वोट बैंक पर पकड़ मजबूत है। इनके चुनाव मैदान में रहने से जहां महागठबंधन की परेशानी बढ़ गई है वहीं एनडीए प्रत्याशी खुश हैं।

मुजफ्फरपुर: महागठबंधन और एनडीए के बागी मैदान में

मुजफ्फरपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी अजय निषाद को इस दफा अपने ही दल के बागी प्रत्याशी से बगावत का सामना करना पड़ रहा है। अजय निषाद के करीबी और पार्टी के सीनियर नेता शंभू पटेल टिकट नहीं मिलने पर बागी हो गए हैं। निषाद और कुर्मी समुदाय में अच्छी पकड़ रखने वाले पटेल के चुनाव मैदान में उतरने से एनडीए प्रत्याशी की परेशानी बढ़ गई है। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. अमरेश चौधरी भी निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। शिक्षा,स्वास्थ्य और सामाजिक कामों के लिए ये अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। चौधरी के चुनाव मैदान में होने से एनडीए और राजद दोनों को वोट बैंक में सेंधमारी का डर सता रहा है।

मधेपुराः दो निर्दलीयों के कूदने से बढ़ा रोमांच

मधेपुरा में आरजेडी के चंद्रशेखर यादव और जदयू के उमेश मंडल के मुकाबले को निर्दलीय प्रणव प्रकाश और अजय रंजन की एंट्री ने रोचक बना दिया है। अजय रंजन पूर्व सांसद शरद यादव के करीबी माने जाते हैं। पप्पू यादव का अप्रत्यक्ष समर्थन मिलने की वजह से यह चुनाव रोचक हो गया है। इसी प्रकार प्रणव प्रकाश शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा नाम हैं। इसकी वजह से उनका जनाधार मजबूत हुआ है।

बागी पर चला अनुशासन का डंडा

बागीकहां से चुनाव लड़ रहे हैं
छोटे लाल रायपरसा विधानसभा (आरजेडी)
मो. कामरानगोविंदपुर विधानसभा (आरजेडी)
रितू जायसवालपरिहार विधानसभा (आरजेडी)
सरोज यादव बड़हरा विधानसभा (आरजेडी)
राजीव रंजन उर्फ पिंकु भइया जगदीशपुर विधानसभा (आरजेडी)
अनिल यादव नरपतगंज विधानसभा (आरजेडी)
अक्षय लाल यादवचिरैया विधानसभा (आरजेडी)
रामसखा महतो चेरिया बरियारपुर विधानसभा (आरजेडी)
भगत यादव शेरघाटी विधानसभा (आरजेडी)
मुकेश यादव संदेश विधानसभा (आरजेडी)
संजय राय महनार विधानसभा (आरजेडी)
कुमार गौरवदरभंगा विधानसभा (आरजेडी)
महेश प्रसाद गुप्ताजाले विधानसभा (आरजेडी)
पूनम देवी गुप्ता मोतिहारी विधानसभा (आरजेडी)
सुरेन्द्र प्रसाद यादव सोनपुर विधानसभा (आरजेडी)
डॉ. राम प्रकाश महतो कटिहार विधानसभा (आरजेडी)
प्रणव प्रकाश मधेपुराविधानसभा (आरजेडी)
अफजल अलीगौड़ाबौराम विधानसभा (आरजेडी)
राजेश रंजन घोसी विधानसभा (हम)
रितेश कुमार उर्फ चुन्नू शर्मा जहानाबाद विधानसभा (हम)
नंदलाल मांझी बोधगया विधानसभा (हम)
बीके सिंह मोरवा विधानसभा (हम)
रविशंकर प्रसाद अशोक सूर्यगढ़ा विधानसभा (लोजपा आर)