
बेहतर नौकरी और उच्च शिक्षा की उम्मीद में रूस जाने वाले भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती करने की खबरें सचमुच चिंताजनक है। चिंताजनक इसलिए क्योंकि रूसी सेना में भर्ती किए गए युवाओं में से कई के वीडियो सामने आए हैं जिनमें यह बात सामने आ रही है कि नौकरी व स्टूडेंट वीजा का झांसा देकर उन्हें फांसा गया है और अब वे रूस-यूक्रेन युद्ध की आग में झोंके जा रहे हैं। इसे न केवल मानव तस्करी का काला अध्याय कहा जाएगा बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी घोर उल्लंघन है। जबरन सेना में धकेले गए ये युवा अब भारत सरकार से गुहार कर रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द रूस से निकाला जाए। संतोषजनक पक्ष यह है कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने सेना में जबरन भर्ती किए गए इन युवाओं को स्वदेश लाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
भारत सरकार ने रूस को अपनी सेना में भारतीयों की भर्ती बंद करने का न केवल सख्त संदेश दिया है बल्कि पिछले दिनों ही एक एडवाइजरी भी जारी की है। इसमें कहा गया है कि भारतीयों को रूसी सेना में भर्ती होने के लिए दिए जा रहे झांसों से बचना चाहिए। विदेश मंत्रालय की यह सलाह बताती है कि रूस की सेना में भारतीयों को भर्ती करने वाली एजेंसियां किसी न किसी रूप में सक्रिय हैं। पिछली जुलाई में ही राज्यसभा में सरकार ने जानकारी दी थी कि 127 भारतीयों नागरिकों के रूसी सेना में भर्ती किए जाने की सूचना मिली थी। जिनमें से 98 को कूटनीतिक प्रयासों से सेवा मुक्त कराया गया। रूस-यूक्रेन युद्ध में तब १५ भारतीयों के फंंसे होने की जानकारी मिली थी। तब भी यह बात सामने आई थी कि इन भारतीयों को रूस की तरफ से यूक्रेन के खिलाफ लडऩे के लिए बाध्य किया गया था। तब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे एजेंटों की धरपकड़ की थी जो भारतीयों को नौकरी देने के लालच में रूस ले जा रहे थे। रूसी सेना में जबरन भर्ती के शिकार युवाओं में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और तेलंगाना के नाम ज्यादा आए हैं। सीधे-सीधे ये धोखाधड़ी के शिकार भी हुए हैं जिन्हें मानव तस्करी गिरोह से जुड़े एजेंट 3-4 लाख रुपए लेकर रूस भेजते हैं। वहां रूसी अनुबंध पर हस्ताक्षर करवाकर इन्हें जबरन सैनिक बना दिया जाता है।
पिछले दो साल में ऐसे भारतीयों की संख्या बढ़ी है। नेपाल, क्यूबा, चीन और अफ्रीकी देशों के सैंकड़ों युवा ऐसी ही धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं। इनमें कितने ही युद्ध में मारे भी गए। यह सच है कि दूसरे देशों से युवा सस्ती पढ़ाई के लालच में यूक्रेन व रूस का रुख करते हैं। जबरन सैनिक बनाने का यह मामला सिर्फ यूक्रेन-रूस युद्ध से ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर युद्ध अपराध से भी जुड़ा है। संकट में घिरे युवाओं को निकालने के साथ देश में भी उस नेटवर्क को सख्ती से तोडऩे की जरूरत है जिनके झांसे में आकर युवा अपना भविष्य दांव पर लगा रहे हैं।
Published on:
17 Sept 2025 03:36 pm
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