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श्यामला गोली- डर को दूर करने के लिए सीखी तैराकी, बनाया रेकॉर्ड

बंगाल की खाड़ी में तैरी 150 किलोमीटर 52 वर्ष की उम्र में, तेलंगाना की श्यामला गोली गारू, जिन्हें गोली श्यामला के नाम से भी जाना जाता है, ने वह हासिल किया है जो अधिकांश लोग सपने में भी नहीं सोच सकते। एक एनिमेशन स्टूडियो निर्माता, रचनात्मक निर्देशक और राष्ट्रीय स्तर की तैराक के रूप में […]

जयपुर

Rakhi Hajela

Jul 03, 2025

goli shyamala
goli shyamala

बंगाल की खाड़ी में तैरी 150 किलोमीटर

52 वर्ष की उम्र में, तेलंगाना की श्यामला गोली गारू, जिन्हें गोली श्यामला के नाम से भी जाना जाता है, ने वह हासिल किया है जो अधिकांश लोग सपने में भी नहीं सोच सकते। एक एनिमेशन स्टूडियो निर्माता, रचनात्मक निर्देशक और राष्ट्रीय स्तर की तैराक के रूप में उन्होंने हाल ही में बंगाल की खाड़ी में 150 किलोमीटर की कठिन तैराकी पूरी की, जो विशाखापट्टनम के आरके बीच से काकीनाड़ा के एनटीआर बीच तक थी। ऐसा करने वाली वह पहली एशियाई महिला है। पत्रिका की संवाददाता राखी हजेला ने हुई बात में उन्होंने अपनी सफलता की जर्नी को कुछ इस तरह से साझा किया।

किया व्हेल और जेलीफिश का सामना
विशाखापट्टनम से काकीनाडा तक 150 किलोमीटर की तैराकी के बारे में वह बताती हैं कि इस अभियान में वे रोजाना औसतन 30 किलोमीटर तैरती थीं। दिन में तैराकी के बाद वह भोजन और रात के विश्राम के लिए नाव पर रुकती थीं। उनके साथ 12 सदस्यों की टीम थी, जिसमें एक पर्यवेक्षक, स्कूबा गोताखोर, डॉक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट शामिल थे। इस दौरान, पुदीमडाका बीच के पास ओलिव रिडले कछुओं के साथ तैरना उनके लिए अविस्मरणीय था। एक कछुआ उनके पैर को छूते हुए साथ तैरता रहा, जैसे वह उनका साथ दे रहा हो। उन्होंने एक व्हेल, जेलीफिश के झुंडों, समुद्री सांपों और व्हेल का सामना भी किया, जो रोमांचक और डरावना अनुभव था। इस अभियान में उन्होंने आंध्र प्रदेश के 52 समुद्र तटों को पार किया।
मानसिक और शारीरिक तैयारी
वह अपनी सफलता का श्रेय कठिन परिश्रम और अनुशासन को देती हैं। बंगाल की खाड़ी की तैराकी के लिए, उन्होंने दो साल तक प्रशिक्षण लिया, जिसमें रोजाना एक घंटे योग, सप्ताह में तीन बार जिम में ताकत और कार्डियो और पूल में 10-15 किलोमीटर तैराकी शामिल थी। वीकेंड में, वह 25-30 किलोमीटर तक तैरती थीं। उनका आहार उनकी सहनशक्ति का आधार था, जिसमें चार उबले अंडे, गुड़, शहद, अदरक-नींबू का रस, सेंधा नमक से बना पेय और घर का बना खाना शामिल था। उन्होंने पहले एक किलोमीटर, फिर दो किलोमीटर तैरने का अभ्यास शुरू किया, धीरे-धीरे अपनी क्षमता बढ़ाई।

एक्वाफोबिया से उबरने के लिए सीखी तैराकी
वह कहती हैं कि उन्होंने ४6 वर्ष की उम्र में उस समय तैरानी सीखने का निर्णय लिया था जब उन्हें लगा कि उन्हें एक्वाफोबिया से उबरना चाहिए। वर्ष 2016 में एक ग्रीष्मकालीन शिविर में शामिल होने के बाद उन्होंने तैराकी को अपनी थेरेपी बनाया। बस यहीं से उनकी जर्नी की शुरुआत हुई। वर्ष 2019 में, उन्होंने पटना में 13 किमी तैरकर अपनी तैराकी यात्रा शुरू की। इसके बाद उन्होंने विजयवाड़ा में कृष्णा नदी, पटना में गंगा नदी और कोलकाता में हुगली नदी को तैरकर पार किया। वर्ष 2020 में, उन्होंने दक्षिण कोरिया के ग्वांगजू में आयोजित एफआइएनए वल्र्ड मास्टर्स चैंपियनशिप में तेलंगाना का प्रतिनिधित्व किया।

फिर से बनाया रेकॉर्ड
वह कहती हैं कि वर्ष २०२१ में पाल्क स्ट्रेट को १३ घंटे ४३ मिनट में तैर कर पार करने में सफलता हासिल की। जिससे वह ऐसा करने वाली तेलंगाना की पहली और विश्व की दूसरी महिला बन गई। उन्होंने बताया कि पाल्क स्ट्रेट को तैरते समय, अंतिम पांच घंटों में अरब सागर में तेज हवाओं और टाइड्स का सामना करना पड़ा, लेकिन हार न मानने की उनकी जिद ने उन्हें सफलता दिलाई।
वह कहती हैं कि तैराकी के इस सफर में उन्होंने लक्षद्वीप समूह में किल्टन द्वीप से कदमत द्वीप तक ३८ किलोमीटर की दूरी १८ घंटे ३५ मिनट में तैरकर पूरी की और एक ही साल में दोनों उपलब्धियां हासिल करने वाली वह एशिया की पहली महिला बनीं।

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सीखा जीवन की चुनौतियों से उबरना
श्यामला के मुताबिक वर्ष 2015 में अपने एनिमेशन स्टूडियो में वित्तीय नुकसान के बाद वह डिप्रेशन में आ गईं थीं। ऐसे में तैराकी उनके लिए मानसिक स्थिरता का साधन बनी। खुद को मेंटली स्ट्रॉन्ग करने के लिए वह खुद को प्रेरित करती थीं। शीशे में खुद को देखकर कहती थीं, ‘मैं यह कर सकती हूं।’

सिर्फ तैराक नहीं, एक प्रेरणा
पारिवारिक दायित्वों को लेकर श्यामला कहती हैं कि वह सुबह का समय तैराकी के लिए और बाकी दिन अपने परिवार और काम को देती हैं। उनकी उपलब्धियों में 2018 में मास्टर्स एक्वाटिक चैंपियनशिप में पदक और 2019 में दिल्ली में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक शामिल हैं। वे कई मंचों पर 'वुमन अचीवर' के रूप में सम्मानित हो चुकी हैं। उनके पति और परिवार का सहयोग उन्हें हमेशा रहा है।

असली जीत डर पर विजय पाने में
श्यामला कहती हैं कि असली जीत डर पर विजय पाने में है। कोई भी व्यक्ति चाहे वह महिला हो पुरुष, फिटनेस और आत्मनिर्भरता के जरिए आत्मविश्वास हासिल कर सकता है। साहस, समर्पण और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। वे कहती हैं, खुद से प्यार करें और अपनी भलाई के लिए प्रतिदिन कम से कम एक घंटा दें। आत्म-देखभाल की यात्रा शुरू करने में कभी देर नहीं होती। अगर आप अपने जुनून के प्रति सच्चे हैं, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती। आज से अपनी जिंदगी में एक नया अध्याय शुरू करें।