गुजरात के नवसारी जिले में रविवार को दांडी समुद्र तट पर घूमने आए चार जनों की डूबने से मौत हो गई। इस घटना से सबक लेने की कोई बात होती, उससे पहले ही मंगलवार को वडोदरा जिले के पोइचा में नर्मदा नदी में आठ जने डूब गए। एक को स्थानीय नाविकों ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया, जबकि सात की तलाश जारी है। गुजरात में पिछले तीन दिनों में लगातार हुई इन दो घटनाओं ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या नदी और समुद्र के किनारों पर घूमने आए पर्यटक सुरक्षित नहीं हैं? क्या उनकी सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं? क्या पर्यटन स्थलों पर प्रशासन को पर्यटकों की सुरक्षा के पूरे इंतजाम नहीं करने चाहिए? यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि अकेले सूरत शहर के आसपास सात बीच हैं। इन बीचों में सूरत शहर में सुवाली, डूमस, नवसारी जिले में उभराट व दांडी, वलसाड जिले में तिथल और दमण का देवका और जमपोर हैं। इसके अलावा गुजरात के बड़े हिस्से में दूसरे कई बीच हैं, जहां पर पर्यटक से लेकर स्थानीय लोग पहुंचते हैं। इन जगहों पर आम दिनों में भी पर्यटकों की आवाजाही रहती है, जबकि छुट्टियों के दिनों में भीड़ ज्यादा रहती है। बावजूद इसके सुरक्षा इंतजामों को लेकर कभी भी सरकार और प्रशासन ने गंभीर रवैया नहीं अपनाया।
अगर सूरत के आसपास के सात बीच की ही बात करें तो डूमस बीच को छोड़कर कहीं भी सुरक्षा चेतावनी का बोर्ड तक नहीं लगा है। ऐसे में पर्यटकों को यह कैसे मालूम होगा कि बीच कहां पर कितना गहरा है और उन्हें क्या सावधानी रखनी होगी? आम दिनों की छोडि़ए हाई टाइड (ज्वार) के समय में भी सुरक्षा इंतजाम के नाम पर व्यवस्था नहीं होती है। कभी-कभी पुलिस या होमगार्ड के जवान तैनात कर दिए जाते हैं, जो लोगों को समुद्र के किनारे जाने से रोकते हैं। लेकिन भीड़ के हिसाब से वह इंतजाम भी नाकाफी होता है। ऐसे में समुद्र के किनारे पर नहाते हुए लोग कब गहरे पानी में चले जाते हैं, पता भी नहीं चलता है। यह पहला मौका नहीं है, जब यहां पर इस तरह की घटनाएं हुई हैं। हर साल गुजरात के समुद्र तटों के किनारों पर डूबने से लोगों की मौतें हो रही हैं, बावजूद इसके सुरक्षा इंतजामों को लेकर सरकार और प्रशासन ने अभी तक गंभीर रवैया नहीं अपनाया है।
जरूरी है कि गुजरात सरकार को अपने यहां आने वाले पर्यटकों को लेकर गंभीर रुख अपनाना चाहिए। सवाल सिर्फ सुरक्षा भर का नहीं है, बल्कि भरोसे का है। उसे गोवा और दूसरे तटीय राज्यों से सीखना चाहिए कि वह कैसे अपने पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं। उन राज्यों में समुद्र के किनारे किस तरह से सुरक्षा चैक पोस्ट बनाई गई हैं, कैसे वहां पर लाइफगार्ड तैनात किए गए हैं और कैसे वहां पर उन्हें आपातकालीन स्थिति में काम करने की ट्रेनिंग दी गई है। सवाल संसाधनों का भी है कि लाइफगार्ड को जरूरी संसाधनों के साथ उन तटों पर तैनात किया जाए, जिन्हें पर्यटकों के लिए खोला गया है। अगर ऐसा नहीं होगा तो आने वाले दिनों में पर्यटक न केवल असुरक्षित महसूस करेंगे, बल्कि गुजरात की अपनी पर्यटकों को आकर्षित करने वाली नीति पर भी भरोसा खत्म होगा।
Updated on:
15 May 2024 03:43 pm
Published on:
15 May 2024 03:38 pm