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Guest Editor : मेरी हर सांस देश के लिए धडक़ती है- कार्तिक

मेरी सफलता का रहस्य केवल दौड़ नहीं बल्कि पूरी जीवनशैली में निहित है। मेरी दिनचर्या बेहद सटीक होती है इतनी कि आप अपनी घड़ी उससे मिला सकते हैं। मेरे लिए फिटनेस का मतलब सिर्फ मसल्स बनाना या वजन कम करना नहीं है। बल्कि खुद के साथ संतुलन बनाना है।

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जयपुर

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Rakhi Hajela

Oct 19, 2025

kartik joshi

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]रनिंग - सिर्फ खेल नहीं, आत्मानुशासन की साधनाइंदौर: रनिंग केवल शरीर को फिट रखने का माध्यम नहीं, बल्कि यह आत्मानुशासन और मानसिक दृढ़ता का प्रतीक है। इंटरनेशनल अल्ट्रा रनर कार्तिक जोशी इसे ध्यान की एक गतिशील अवस्था कहते हैं। कार्तिक ने पत्रिका संवाददाता राखी हजेला से अपनी कहानी कुछ इस अंदाज में बयां की-

वे बताते हैं, जब मैं दौड़ता हूं, तो मेरे भीतर का शोर शांत हो जाता है। वहां सिर्फ कदमों की आवाज होती है — जो मुझे भीतर तक सुकून देती है। मेरे लिए दौड़ एक साधना है, जो मनुष्य को सीमाओं से परे ले जाती है।लंबी दूरी की दौड़ में शरीर से ज़्यादा परीक्षा मन की होती है। जब 200 किलोमीटर की अल्ट्रा रन में शरीर जवाब देने लगता है, तो केवल मानसिक शक्ति ही धावक को आगे बढ़ाती है। हर 10 किलोमीटर के बाद मेरा शरीर कहता है - बस कर, लेकिन मेरा मन कहता है - एक कदम और। मेरा मानना है कि रनिंग के लिए अनुशासन सबसे जरूरी है। सुबह 4 बजे का समय मेरे लिए मंदिर जैसा है। मैं रोज इसी समय उठता हूं। ध्यान लगाता हूं और फिर दौडऩे निकल पड़ता हूं। मेरा मानना है कि निरंतरता ही सच्ची सफलता की जननी है।
अगर आप रोज खुद को हर दिन थोड़ा बेहतर बनाते हैं, तो दुनिया की कोई ताकत आपको नहीं रोक सकती। रनिंग मेरे शरीर से ज़्यादा आत्मा का अनुभव कराती है। ट्रैक पर मैं किसी और से नहीं, बस खुद से मुकाबला करता हूं। यही कारण है कि मेरे लिए रनिंग कोई खेल नहीं बलिक जीवन का शुद्धतम रूप है- जहां हर कदम, आत्म-संवाद का क्षण बन जाता है।

फिटनेस मंत्र - अनुशासन, आहार और आत्मविश्वास
मेरी सफलता का रहस्य केवल दौड़ नहीं बल्कि पूरी जीवनशैली में निहित है। मेरी दिनचर्या बेहद सटीक होती है इतनी कि आप अपनी घड़ी उससे मिला सकते हैं। मेरे लिए फिटनेस का मतलब सिर्फ मसल्स बनाना या वजन कम करना नहीं है। बल्कि खुद के साथ संतुलन बनाना है।
ये है मेरा शेड्यूल
सुबह 4 बजे उठना — 20 मिनट ध्यान और प्राणायाम
फिर 5 से 7 बजे तक रनिंग — 25 से 35 किलोमीटर
सुबह का नाश्ता - दलिया, फल, मूंगफली और दूध
इसके बाद दोपहर में स्ट्रेचिंग और मांसपेशियों को आराम देने के व्यायाम

शाम को हल्का योग और ध्यान और रात को जल्दी सोना, ताकि शरीर रिकवर हो सके। मैं जंक फूड, चीनी और कोल्ड ड्रिंक्स से दूर रहता हंू। वहीं खाता हूं जो दौड़ को एनर्जी दे न कि स्वाद को लुभाएं। मेरे खाने में नेचरल प्रोटीन, हरी सब्जियां, अनाज, और पर्याप्त पानी मुख्य हैं। मैं अपने शरीर को एक मंदिर की तरह मानता हूं, जहां शुद्ध आहार, नियमित व्यायाम और सकारात्मक विचार पूजा के समान हैं। मेरा मानना है कि मंजिल तक पहुंचने के लिए स्वस्थ शरीर की जरूरत होती है। मेरा मानना है कि फिटनेस केवल जिम जाने से नहीं आती, बल्कि हर दिन खुद के प्रति ईमानदार रहने से आती है।

जब गिरना भी सिखाता है जीतना
मेरा मानना है कि हर बड़ी सफलता के पीछे अनगिनत असफलताएं छिपी होती हैं। जब मैं पहली बार 100 किलोमीटर दौड़ा, तो मेरे पैरों में छाले पड़ गए थे, खून तक निकल आया था, लेकिन मैंने वहीं रुकने के बजाय जूते बांधे और आगे बढ़ा। रनिंग ने मुझे धैर्य, सहनशीलता और मानसिक मजबूती सिखाई। कई बार ट्रैक पर गिरना, हारना, थक जाना — लेकिन हार न मानना ही मेरा असली जज़्बा रहा।रनिंग ने मुझे बताया किथक जाना कमजोरी नहीं, रुक जाना गलती है। मैंने कई बार ऐसी परिस्थितियों में दौड़ लगाई जब नींद तक नहीं मिली। हर किलोमीटर एक परीक्षा थी — शरीर की भी, आत्मा की भी।लेकिन जब फिनिश लाइन सामने आती है, तो हर दर्द एक याद बन जाता है। कभी-कभी जीतना मतलब सिर्फ फिनिश लाइन पार करना नहीं होता, बल्कि खुद को साबित करना होता है कि मैं कर सकता हूं।
मेरा मानना है कि प्रेरणा बाहर से नहीं आती, वह तब जन्म लेती है जब आप खुद से वादा करते हैं कि आज मैं नहीं रुकूंगा। मेरा मानना है कि सपना छोटा या बड़ा नहीं होता, बस उसकी दिशा में रोज एक कदम बढ़ाते रहो, मंजिल खुद तुम्हें ढूंढ लेगी।

हर कदम भारत के नाम- जब दौड़ बन गई देशभक्ति की मिसाल
मैं जब अंतरराष्ट्रीय ट्रैक पर दौड़ता हूं तो मेरे कदमों के साथ देश का तिरंगा भी उड़ता है।जब मैं किसी विदेशी भूमि पर दौड़ता हूं और वहां का दर्शक India India चिल्लाते हैं, तो मेरी हर सांस में देश की धडकऩ महसूस होती है।
यादगार रनिंग
मेरी सबसे यादगार रनिंग कॉमरेड मैराथन (दक्षिण अफ्रीका) रही जिसमें मैंने 90 किलोमीटर की पहाड़ी चुनौती को स्वीकार करते हुए सिल्वर मेडल जीतकर भारत का नाम इतिहास में दर्ज किया। जब मैंने फिनिश लाइन पार की, तो मैं रो पड़ा था।तिरंगा कंधे पर था और मैं गर्व से झुका नहीं, सीधा खड़ा था।
मैं अपनी संस्कृति, अपने धर्म के प्रति अगाध आस्था रखता हूं इसलिए मैंने इंदौर से अयोध्या तक 1008 किमी की रनिंग की। 14 दिनों की यह रनिंग भगवान राम को समर्पित थी। उस रन ने मुझे समझाया कि जब आपका उद्देश्य पवित्र हो, तो थकान भी आशीर्वाद बन जाती है।

जूते भी बोलते हैं संघर्ष की कहानी
जब मैं 11 साल का था, तब मैंने इंदौर से राजस्थान के चारभुजानाथ तक 445 किमी पैदल यात्रा की थी। उस यात्रा ने मेरी जिंदगी की दिशा तय कर दी — वहीं से रनिंग मेरा धर्म बन गई। स्कूल की पढ़ाई के बीच दौड़ का जुनून बढ़ता गया। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, पर हौसला अडिग था। पिता ओम जोशी की चाय की दुकान परिवार की रीढ़ थी और उसी दुकान से दौड़ का सपना शुरू हुआ। वो दिनभर दुकान पर मेहनत करते और रात में उसी जगह सो जाते थे। कोविड में जब दुकान बंद हुई, तब घर भी चला गया। मैंने ठान लिया कि अब उनकी मेहनत का फल मैं दूंगा — अपने कदमों से।तब से अब तक मेरे 92 जोड़ी जूते रिटायर हो चुके हैं। हर जोड़ी जूता करीब 1100 किलोमीटर तक साथ देता है। मेरे हर फटे जूते में मेरी मेहनत की गंध है। वो सिर्फ स्पोट्र्स शूज़ नहीं, मेरी डायरी हैं। मेरी इस सफलता में मेरे परिवार को बड़ा योगदान है। मैं कई बार रेस के लिए गया तो होटल में रुकने के पैसे नहीं थे। स्टेशन पर सोया, ब्रेड और अचार खाकर दिन काटे। लेकिन एक चीज नहीं टूटी — हौसला।

41 घंटे की दौड़ जिसने बदला जीवन
हरियाणा में आयोजित इंडिया बिग डॉग बैकयार्ड अल्ट्रा मैराथन में मैंने 41 घंटे लगातार दौड़ लगाकर 274 किलोमीटर की दूरी बिना नींद, बिना आराम किए तय की और देश का सबसे कम उम्र का अल्ट्रा रनर बना। 41 घंटे बस मैं, ट्रैक और मेरा हौसला था। उस दौड़ ने मुझे भीतर से बदल दिया।
हौसले की ऊंचाई — जब ट्रैक बना तपस्या
मनाली की सोलांग वैली (हिमाचल प्रदेश) की बर्फ़ीली चोटियों पर मैंने 100 किलोमीटर की स्काय रनिंग "दि हेल रेस" पूरी की। वहीं फरीदाबाद की ट्रेल अथोन मैराथन में 56 किमी दूरी 4 घंटे 25 मिनट में पूरी कर कोर्स रिकॉर्ड बनाया। मुझे लगता है कि रेगिस्तान की गर्मी हो या बर्फकी ठंड, असली दौड़ मन के भीतर होती है।

कॉमरेड मैराथन - भारत के पहले सिल्वर विजेता
वर्ष 2023 में दक्षिण अफ्रीका में हुई कॉमरेड मैराथन में मैंने ९० किलोमीटर की कठिन पहाड़ी दौड़ 7 घंटे 51 मिनट में पूरी की और 96 साल के इतिहास में सिल्वर मेडल जीतने वाला पहला भारतीय बना। उस दिन जब तिरंगा मेरे कंधे पर था, तब थकान भी गर्व में बदल गई।
मैं अब कॉलेजों और स्कूलों में जाकर युवाओं को प्रेरित करता हूं। चाहता हूं कि हर भारतीय फिट बने, क्योंकि फिटनेस आत्मबल की पहली सीढ़ी है। मेरी असली जीत तब होती है, जब कोई युवा कहता है मैंने भी जूते पहन लिए हैं।
रनिंग सिर्फ शरीर को नहीं, मन को भी प्रशिक्षित करती है। जब आप लंबी दौड़ में होते हैं, तो असल लड़ाई पैरों से नहीं, मन से होती है। लंबी दूरी की दौड़ शरीर को नहीं, सोच को मजबूत करती है। यह आपको सिखाती है कि हार कबूल करना आसान है, पर धैर्य रखना असली जीत है।
मेरा मानना है कि फिटनेस का कोई शॉर्टकर्ट नहीं है। फिटनेस का मतलब मसल्स नहीं, माइंडसेट है। मैं कई बार ट्रैक पर गिरा, पैरों में छाले हुए, खून निकला लेकिन कभी खुद से हार नहीं मानी। मेरा युवाओं से कहना है कि गति नहीं, निरंतरता जरूरी है। रनिंग में सफलता उन लोगों को मिलती है जो धीरे-धीरे पर लगातार बढ़ते हैं। हर फिनिश लाइन सिर्फ जीत नहीं, एक नया आरंभ होती है। देश के हर युवा को किसी न किसी क्षेत्र में दौडऩा चाहिए क्योंकि जब युवा दौड़ते हैं, देश आगे बढ़ता है। मेरे लिए जीत मेडल नहीं प्रेरणा है जो किसी और को जूते पहनने की हिम्मत दे।

प्रमुख उपलब्धियां
कॉमरेड मैराथन (दक्षिण अफ्रीका) 90 किमी में सिल्वर मेडल — 96 साल के इतिहास में पहले भारतीय
इंडिया बिग डॉग बैकयार्ड अल्ट्रा (हरियाणा)- 41 घंटे में 274 किमी — देश में पहला स्थान
वल्र्ड चैंपियनशिप (यूएसए)- तीन बार चयनित, 2023 में भारत का प्रतिनिधित्व किया
इंदौर-अयोध्या धार्मिक रन- 1008 किमी दूरी, 14 दिनों में पूरी
तिरंगा स्टेडियम रन, मध्य भारत -12 घंटे में 114 किमी — पहला स्थान और कोर्स रिकॉर्ड
हेंन्नूर बैम्बू अल्ट्रा (बेंगलूरु) -250 किमी — गोल्ड, 220 किमी — ब्रॉन्ज
मनाली स्काय रनिंग - दि हेल रेस -100 किमी कठिन ट्रैक पर सफलता
ट्रेल अथोन, फरीदाबाद 56 किमी — 4 घंटे 25 मिनट में कोर्स रिकॉर्ड