राजर्षि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय में होने वाली द्वितीय चरण के कामों( 61 करोड़ रुपए से) की क्वालिटी और थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन रिपोर्ट को लेकर विश्वविद्यालय और आरएसआरडीसी में विवाद शुरू हो गया है। विश्वविद्यालय ने निर्माणाधीन भवनों की क्वालिटी थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन आरएसआरडीसी से करवाया था, ताकि पता लग सके कि भवन में होने वाले निर्माण कार्य तय मानकों के अनुसार हो रहे हैं या नहीं। लेकिन निर्माण कार्य एजेंसी आरएसआरडीसी ने एक महीना बीत जाने के बाद भी विश्वविद्यालय को यह रिपोर्ट नहीं सौंपी। इस वजह से विश्वविद्यालय प्रशासन ने निर्माण कार्यों के बिलों की रोक दिया है। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों का कहना है पहले चरण में आरएसआरडीसी ने बनाए भवनों के के बेसमेंट में हल्की बारिश का भी भर रहा है, जिसकी वजह से बेसमेंट का उपयोग नहीं हो रहा है और आज तक बेसमेंट को सही नहीं किया गया है, जबकि कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से पत्राचार आरएसआरडीसी के साथ हो चुका है। वहीं, बताया जा रहा है कि ऐसा ही विवाद चलता रहा तो जल्द ही आरएसआरडीसी के मध्य हुआ एमयूओ कैंपस हो सकता है।
लाइट, सीसी सड़क और संविधान पार्क का अब तक नहीं हुआ हैंडओवर
मत्स्य विश्वविद्यालय में आरएसआरडीसी के द्वारा किए गए कामों में बेसमेंट की लाइट, सीसी सड़क, संविधान पार्क और इसकी लोहे की रेलिंग का अब तक भी हैंडओवर नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि इनकी राशि का भुगतान भी विश्वविद्यालय प्रशासन ने नहीं किया है। वहीं, बेसमेंट में भरने वाले पानी की वजह से लाइट खराब हो चुकी है। इसकी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरएसआरडीसी को सौंपी है, लेकिन अब तक कोई मामले का निस्तारण नहीं हुआ है।
बारिश के दौरान होगी परेशानी
भवन के एक बेसमेंट में विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से गोपनीय शाखा का संचालन किया जा रहा है और दूसरे में पानी जल्दा भरने की वजह से उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। बीते दिनों आई बारिश का पानी पहुंचा गया था। इस भवन के ऊपर विश्वविद्यालय का स्टाफ और बच्चे पढ़ाई करते हैं। ऐसे में बारिश के दिनों में पानी भरने की समस्या और बढ़ जाती है।
द्वितीय चरण में होने कामों का थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन करवाया गया है। इसके साथ ही क्वालिटी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। दोनों रिपोर्ट तैयार होने के बाद विश्वविद्यालय को यह भेज दी जाएंगी। भवन निर्माण के एमओयू पर कुलपति और रजिस्ट्रार को हस्ताक्षर है।
- मनोज श्रीवास्तव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आरएसआरडीसी, अलवर
Published on:
01 Jun 2025 11:50 am
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