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फोरम में 60 फीसदी आदेशों का पालन नहीं, अपने हक का पैसा लेने के लिए दुबारा आना पड़ रहा

अपने अधिकारों को लेकर उपभोक्ता जागरूक हुए हैं। इस कारण उपभोक्ता फोरम में हर सेक्टर के केस बढ़े हैं। इसमें बीमा, बिजली, स्वास्थ्य, बैंक, फायनेंस, रेलवे सहित अन्य विभागों के खिलाफ लोगों ने परिवाद दायर किए हैं। मेडिक्लेम को लेकर जो आदेश हुए हैं, उनका पैसा मिलने में पक्षकार को आसानी है। शेष सेक्टर की कंपनियां आसानी से पैसा नहीं दे रही हैं।

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District Consumer Disputes Redressal Commission

District Consumer Disputes Redressal Commission

महेंद्र सिंह ने जैतल कंस्ट्रक्शन में फ्लैट खरीदा, लेकिन बिल्डर ने जो वादे किए, उन्हें पूरा नहीं किया। जब पैसे मांगे तो वापस नहीं किए। महेंद्र ने 2017 में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (उपभोक्ता फोरम) में वाद पेश किया। फोरम ने 18 फीसदी ब्याज के साथ 3.50 लाख रुपए दिए जाने का आदेश दिया। बिल्डर ने 18 फीसदी ब्याज के आदेश राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग में चुनौती दी, लेकिन अपील में कोर्ई बदलाव नहीं हुआ। आदेश यथावत रखा। पैसा लेने के लिए कंटेम लगाया है और वसूली के लिए इजरा भी जारी हो गया, लेकिन पैसा नहीं मिल पाया। आरएन कुशवाह ने सहारा में निवेश किया था। सहारा से 10 लाख रुपए लेने हैं। आयोग से केस भी जीत गए। 2022 से पैस के लिए लड़ रहे हैं। अकले दो उपभोक्ता ऐसे नहीं है, जिनके पक्ष में आदेश के बाद पैसे के लिए लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। 60 फीसदी से अधिक लोगों को दुबारा कंटेम लगाना पड़ रहा है। वसूली के लिए इजरा भी लगा है। चिटफंड, बैंक, बिजली, हॉस्पिटल व सरकारी विभागों पैसा देने में आनाकानी करते हैं।

दरअसल अपने अधिकारों को लेकर उपभोक्ता जागरूक हुए हैं। इस कारण उपभोक्ता फोरम में हर सेक्टर के केस बढ़े हैं। इसमें बीमा, बिजली, स्वास्थ्य, बैंक, फायनेंस, रेलवे सहित अन्य विभागों के खिलाफ लोगों ने परिवाद दायर किए हैं। मेडिक्लेम को लेकर जो आदेश हुए हैं, उनका पैसा मिलने में पक्षकार को आसानी है। शेष सेक्टर की कंपनियां आसानी से पैसा नहीं दे रही हैं।

दो दिन ही सुनवाई, इसलिए लंबे खिंच रहे केस

- उपभोक्ता फोरम जजों की कमी से जूझ रहा है। ग्वालियर के जज के पास अंचल के उपभोक्ता फोरम के भी प्रभार है। इस कारण ग्वालियर के केसों की हफ्ते में दो दिन सुनवाई हो पा रही है। इस कारण केस का फैसला लंबा खिंच रहा है।

- वसूली के केस भी लंबित है। इसमें सबसे ज्यादा सहारा चिटफंड के खिलाफ प्रकरण लंबित है, क्योंकि सहारा ने लोगों के पैसे नहीं लौटाए हैं। डायरेक्टरों के गिरफ्तारी वारंट भी जारी हो चुके हैं।

इस तरह की शिकायतें अधिक

- चिटफंड कंपनियों ने लोगों के पैसे नहीं लौटाए हैं। प्रशासन के पास भी आवेदन लगाए, लेकिन अब लोग चिटफंड कंपनियों के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस लगा रहे हैं।

- बिजली कंपनी से जारी होने वाले बिल से लोगों को शिकायत है। बिजली कंपनी पर चोरी के पंचनामे गलत बनाने का आरोप है। फोरम में केस बढ़े हैं।

- फायनेंस, रेलवे, रेस्टोरेंट व हॉस्पिटल के मामले भी आ रहे हैं। इसके अलावा बिल्डरों के खिलाफ भी लोगों ने केस लगाए हैं।

- साडा व जीडीए के खिलाफ भी लोगों ने प्रकरण दर्ज किए हैं। साडा ने लोगों को प्लॉट का कब्जा नहीं दिया है।

एक्सपर्ट

- फोरम से आदेश होने के बाद कंपनी व बिल्डर आसानी से पैसे नहीं देते हैं। इसके लिए कंटेम लगाना पड़ता है। इजरा भी जारी हो गए हैं, उसके बाद मुश्किल से भुगतान करते हैं।

सत्या शर्मा, अधिवक्ता उपभोक्ता मामलों के