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35 करोड़ की स्टांप ड्यूटी चोरी, प्रकरण दर्ज करके भूले, अब 40 साल पुरानी फाइलें निकली

The department limited itself to issuing notices, so the parties did not even come to submit their cases; the cases were detected during complaints, audits and inspections.

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The department limited itself to issuing notices, so the parties did not even come to submit their cases; the cases were detected during complaints, audits and inspections.

The department limited itself to issuing notices, so the parties did not even come to submit their cases; the cases were detected during complaints, audits and inspections.


Registration Department नए पड़ाव पुल के पास वर्ष 2008 में अशोक जैन अन्य ने रजिस्ट्री कराई। इस रजिस्ट्री से पंजीयन विभाग को 10 हजार रुपए का राजस्व मिला। इस रजिस्ट्री की शिकायत हुई तो विभाग ने पड़ताल की। 68 लाख 61 हजार 920 रुपए की स्टांप ड्यूटी चोरी निकली। इस स्टांप ड्यूटी चोरी को वसूलने के लिए कुर्की नोटिस जारी किए, लेकिन पैसा जमा नहीं हुआ। अब 3 अक्टूबर 2025 को फिर से कुर्की नोटिस जारी कर स्टांप ड्यूटी के 68 लाख 61 हजार 920 रुपए 15 दिन में जमा करने के लिए कहा है। पंजीयन विभाग का अकेला ऐसा केस नहीं है, जिसकी वसूली नहीं हो पा रही है। ऐसे 2000 से ज्यादा केस लंबित पड़े हैं। अब विभाग पुराने लंबित प्रकरणों की फाइलें खंगालना शुरू कर दी है। 40 साल पुराने प्रकरण निकल रहे हैं, जिन्हें कभी नहीं देख गया और न वसूली के प्रयास किए गए। इन प्रकरणों में करीब 35 करोड़ रुपए की स्टांप ड्यूटी वसूली है। वसूली के लिए विभाग ने नोटिस भेजना शुरू कर दिया है।

पते की आ रही दिक्कत, नोटिस नहीं हो पा रहे तामील

-1990 के बाद के बड़ी संख्या में प्रकरण लंबित है। जिन पक्षकारों ने स्टांप ड्यूटी चोरी की थी, उनके पते नहीं मिल रहे हैं। इसके चलते नोटिस तामील नहीं हो पा रहे हैं।

- स्टांप ड्यूटी चोरी वाली संपत्ति की दुबारा रजिस्ट्री होती है तो विभाग के पास पकडऩे की व्यवस्था नहीं है। दुबारा भी संपत्ति बिक चुकी हैं। ऐसे में वसूली में कठिनाई आ रही है।

- विभाग के पास कर्मचारियों की कमी है। संपत्ति कुर्क कर उसे सील नहीं कर पा रहे हैं। न नीलाम कर पा रहे हैं, जिसके चलते वसूली नहीं हो पा रही है।

मैनुअल व संपदा-1 की रजिस्ट्री में सबसे ज्यादा चोरी हुई

- 2015 के पहले रजिस्ट्री मैनुअल की जाती थी। 2015 के पहले उप पंजीयक को संपत्ति के निरीक्षण के अधिकार थे। फिर भी बड़ी संख्या में स्टांप ड्यूटी चोरी के प्रकरण दर्ज हुए।

- 2015 के बाद संपदा-1 सॉफ्टवेयर शुरू हुआ। रजिस्ट्री ऑनलाइन की गई। इस सॉफ्टवेयर में उप पंजीयक को संपत्ति के निरीक्षण के अधिकार खत्म कर दिए। सेवा प्रदाताओं ने मकान को प्लॉट, सडक़ से हटकर बताया। इससे स्टांप ड्यूटी चोरी हुई। संपदा-1 सॉफ्टवेयर की भी स्टांप ड्यूटी के प्रकरण लंबित है।

- अब संपदा-2 लागू हो चुका है लेकिन संपत्ति की लाइव लोकेशन ली जा रही है। इसमें स्टांप ड्यूटी चोरी की संभावना कम है, क्योंकि लोकेशन बदलकर रजिस्ट्री कराई तो संपत्ति विवादित हो जाएगी। सही लोकेशन दर्ज की तो रजिस्ट्री नहीं हुई है।

- स्टांप ड्यूटी के पुराने प्रकरण निकाले गए हैं। वसूली के लिए नोटिस भेजे जा रहे हैं। यदि पैसा जमा नहीं किया जाता है तो संपत्ति नीलाम करके राशि की वसूली की जाएगी।

अशोक शर्मा, जिला पंजीयक