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‘केजरीवाल’ ने जानबूझकर हिन्दू त्योहारों पर प्रतिबंध लगाया…दिवाली में पटाखे जलाने की अनुमति पर BJP

Diwali in Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर दिल्लीवासियों को ग्रीन पटाखे जलाने की सशर्त अनुमति दे दी है। इसपर भाजपा सरकार आम आदमी पार्टी पर हमलावर हो गई है।

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Supreme Court allows green crackers on Diwali in Delhi BJP leaders attack AAP And Arvind Kejriwal

दिल्ली में ग्रीन पटाखे जलाने की अनुमति पर भड़की सियासत।

Diwali in Delhi: दिल्ली सरकार के मंत्री परवेश वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिवाली पर दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति दिए जाने पर कहा, "मैं सभी दिल्लीवासियों को हार्दिक बधाई देता हूं कि आपने दिल्ली में एक अच्छी सरकार चुनी है और सरकार के प्रयास सफल हुए हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा था इस बार दिल्ली को बिना पटाखों के दिवाली नहीं मनाने देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी हमारे प्रयासों की सराहना की। मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। अब हम बिना किसी चिंता के ग्रीन पटाखे जला पाएंगे। पिछले सालों में पटाखे जलाते समय लोगों को लगता था कि हम क्राइम कर रहे हैं, क्योंकि केजरीवाल सरकार ने पटाखे जलाने पर बैन लगा दिया था।"

कानून मंत्री कपिल मिश्रा ने केजरीवाल पर बोला हमला

दूसरी ओर, दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिवाली पर दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखे फोड़ने की अनुमति दिए जाने पर कहा, "मैं सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करता हूं। दिल्ली की जनता की आवाज़ सुप्रीम कोर्ट के सामने रखने के लिए मैं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का बहुत आभार और अभिनंदन करता हूं। पिछली सरकार भी ऐसा कर सकती थी। आज यह साबित हो गया है कि केजरीवाल सरकार ने जानबूझकर हिंदू त्योहारों पर प्रतिबंध लगाया था। पहली बार सरकार बदली और सरकार बदलते ही दिवाली पर प्रतिबंध बंद हो गया। ग्रीन पटाखों वाली दिवाली जैसी पूरी दुनिया मनाती है, वैसी ही दिवाली मनाने का अधिकार दिल्लीवासियों को भी इस बार मिला है।"

रेखा गुप्ता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये तर्क

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में पटाखे जलाने की अनुमति के समर्थन में कहा कि दिवाली जैसे पवित्र पर्व पर लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने दलील दी कि पूरी तरह से पटाखों पर प्रतिबंध लगाने से न केवल परंपरागत उत्सव की रौनक फीकी पड़ती है, बल्कि इससे पटाखा उद्योग और उससे जुड़े हजारों परिवारों की आजीविका भी प्रभावित होती है।

रेखा सरकार ने कोर्ट से आग्रह किया कि पर्यावरण संरक्षण और जनभावनाओं के बीच संतुलन बनाते हुए ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति दी जाए। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार प्रदूषण नियंत्रण के सभी उपायों का पालन करने और केवल नीरी-प्रमाणित ग्रीन पटाखों के उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। ताकि त्योहार की खुशियां और स्वच्छ हवा दोनों बरकरार रह सकें।

सुप्रीम कोर्ट ने पटाखे जलाने पर क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर के लोगों को बड़ी राहत दी है। चीफ जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने पटाखों पर लगे पूर्ण प्रतिबंध में आंशिक ढील देते हुए ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि पर्यावरणीय चिंताओं, त्योहारों की भावनाओं और पटाखा उद्योग से जुड़े लोगों की आजीविका को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल नीरी (NEERI) द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखे ही जलाए जा सकेंगे और वह भी निर्धारित स्थानों पर। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इन पटाखों की ऑनलाइन बिक्री नहीं होगी, दिल्ली-एनसीआर के बाहर से कोई भी पटाखा नहीं लाया जाएगा, और उल्लंघन करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही नीरी को औचक निरीक्षण और नमूना परीक्षण करने का अधिकार दिया गया है। अदालत ने यह भी कहा कि नकली ग्रीन पटाखे पाए जाने पर संबंधित दुकान या वितरक का लाइसेंस तुरंत निलंबित किया जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने तय किया पटाखे उपयोग का समय

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिवाली से एक दिन पहले और दिवाली के दिन ग्रीन पटाखों का उपयोग सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे तक ही किया जा सकेगा। सुनवाई के दौरान CJI गवई ने कहा कि “पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध न तो व्यावहारिक है और न ही आदर्श स्थिति,” इसलिए संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है। उन्होंने बताया कि हरियाणा के 22 में से 14 जिले एनसीआर में आते हैं और पिछले छह वर्षों में ग्रीन पटाखों से प्रदूषण में काफी कमी आई है। वहीं, कोर्ट ने यह भी माना कि प्रतिबंध के बावजूद तस्करी के जरिए पारंपरिक पटाखे दिल्ली में पहुंचते रहे हैं, जिससे अधिक प्रदूषण होता है। अदालत ने सरकारों और अधिकारियों को सख्ती से आदेश दिया कि वे केवल प्रमाणित ग्रीन पटाखों के उपयोग को ही सुनिश्चित करें, ताकि दिवाली का उत्सव और पर्यावरण दोनों सुरक्षित रह सकें।