Indraprastha Vikas Party: आम आदमी पार्टी दिल्ली में बड़े उलटफेर के बाद सियासी भूचाल आ गया है। अन्ना आंदोलन के बाद राजनीतिक दल के गठन से लेकर दस साल तक दिल्ली की सत्ता पर बने रहने वाले अरविंद केजरीवाल के लिए यह किसी बड़े झटके से कम नहीं है। जब उनकी ही पार्टी के समर्पित नेताओं ने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देकर अपनी अलग पार्टी बना ली। इसके साथ ही इन नेताओं ने आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं। अब सवाल ये उठता है कि आखिर आम आदमी पार्टी को झटका देने और अलग पार्टी बनाने में किस नेता का हाथ है?
राजनीति के जानकारों की मानें तो नई पार्टी के गठन के बाद जो सबसे पहला लीडर बनता है। उसे ही सभी का नेता माना जाता है। ऐसे में AAP के 15 पार्षदों ने नई पार्टी बनाने के साथ ही अपने नेता के नाम की घोषणा भी की है। यानी आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देने के बाद बनाई गई इ्ंद्रप्रस्थ विकास पार्टी का नेता मुकेश गोयल को चुना गया है। मुकेश गोयल दिल्ली के आदर्श नगर से पार्षद और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता माने जाते हैं।
वह नगर निगम में भी आम आदमी पार्टी के अन्य पार्षदों से सीनियर नेता हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी से नाता तोड़ने वालों में हेमचंद्र गोयल, मुकेश गोयल, हिमानी जैन, डॉ रुणाक्शी शर्मा, उषा शर्मा, साहिब कुमार, राखी कुमार , अशोक पांडेय, राजेश कुमार, अनिल राणा, देवेंद्र कुमार, दिनेश और मनीषा जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। सभी ने एक साथ AAP से इस्तीफा देकर यह संकेत दिया कि नगर निगम में हालात अब ऐसे नहीं रह गए हैं कि विकास कार्य हो सकें। मुकेश गोयल ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की।
उनके साथ वरिष्ठ पार्षद हेमचंद गोयल भी मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने बताया कि AAP की सरकार ने पार्षदों को उनके क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी फंड तक नहीं दिए। उन्होंने कहा “ढाई साल पहले हमने जनता के हितों के लिए AAP के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब पार्टी का रुख टकराव और जनविरोधी हो गया है।” राजनीति के जानकारों की मानें तो आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल अपने नेताओं के मन की बात भांपने में विफल रहे। इसके साथ ही पार्टी नेताओं के साथ चुनाव हारने के बाद सामंजस्य बनाने में भी चूक हुई है।
इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी के गठन के बाद मुकेश गोयल ने कहा कि सदन में चर्चा और जनसमस्याओं को उठाने की बजाय आम आदमी पार्टी का मुख्य फोकस सिर्फ सत्ता सुख रह गया था। आम आदमी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व विकास कार्यों से विमुख हो चुका है। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्षदों को न तो उनके क्षेत्रों के विकास के लिए साधन उपलब्ध कराए गए और न ही सदन की कार्यवाही को ठीक से चलने दिया गया। यह स्थिति अब असहनीय हो चुकी थी। इसलिए सभी ने सामूहिक रूप से नई पार्टी का गठन किया।
मुकेश गोयल ने कहा "ढाई साल तक आम आदमी पार्टी दिल्ली नगर निगम की सत्ता में रही। इसके बावजूद पार्षदों को विकास के लिए फंड नहीं दिया गया। इस दौरान एक दिन भी सदन की कार्यवाही बेहतर तरीके से नहीं चली। पार्षद अपने ही क्षेत्र के मुद्दे नहीं उठा पा रहे थे। इसलिए हमने पार्टी से इस्तीफा देकर नई पार्टी का गठन किया।" वहीं आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पार्षद हेमचंद गोयल ने कहा "आम आदमी पार्टी ने महापौर पद का चुनाव नहीं लड़ा। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा। आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने विपक्ष पर फैसला लेते समय पार्षदों से कोई सलाह मशवरा तक नहीं किया।"
हेमचंद गोयल ने आगे कहा "आम आदमी पार्टी अपने ही पार्षदों को सम्मान नहीं दे रही थी। इसके चलते पार्षदों में पार्टी के प्रति विद्रोह बढ़ रहा था। इसी के चलते हमने नई पार्टी बनाने का फैसला लिया। अब हम लोगों के हितों और विकास से जुड़े मुद्दों को सदन की कार्यवाही के दौरान उठाएंगे।" वहीं पूर्व पार्षद हिमानी जैन ने कहा “बीते ढाई वर्षों में नगर निगम में कार्य नहीं हुए। जबकि हम सत्ता में थे। इसलिए हमने दिल्ली के विकास के लिए नई पार्टी बनाई है। हम उस पार्टी का समर्थन करेंगे। जो ईमानदारी से दिल्ली के हित में काम करना चाहती हो।”
दिल्ली में हुए इस घटनाक्रम से AAP की स्थिति नगर निगम में और कमजोर हो गई है। आम आदमी पार्टी के पास जहां पहले 113 पार्षद थे। वहीं अब यह संख्या घटकर 100 से नीचे पहुंच गई है। मुकेश गोयल ने बताया कि चूंकि शनिवार को निगम सचिवालय बंद रहता है। इसलिए सोमवार को सभी पार्षद सचिवालय जाकर अपने इस्तीफों और नई पार्टी के गठन की औपचारिक जानकारी देंगे। वहीं राजनीति के जानकारों की मानें तो आम आदमी पार्टी में इस उलटफेर से 12 वार्डों में होने वाले चुनाव भी प्रभावित होंगे। साथ ही वार्ड समिति के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए भी चुनाव होने वाले हैं। यह चुनाव भी इससे प्रभावित होने की संभावना है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम दिल्ली में स्थानीय राजनीति को नया मोड़ दे सकता है और AAP को आगामी चुनावों में रणनीतिक स्तर पर बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। दिल्ली में स्थायी समिति और वार्ड समिति के चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन कमजोर पड़ सकता है। 22 मई को प्रस्तावित वार्ड समिति के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद और स्थायी समिति के दो रिक्त पदों सदस्यों का चुनाव निगम प्रशासन ने बीते शनिवार को भारत-पाकिस्तान तनाव के चलते टाल दिया था। हालांकि अभी इन चुनावों की नई तिथियां सामने नहीं आई हैं। सूत्रों का कहना है कि सोमवार या मंगलवार को निगम सचिव कार्यालय चुनाव की नई तिथियों की जानकारी के तहत नोटिस जारी कर सकता है।
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Updated on:
17 May 2025 04:38 pm
Published on:
17 May 2025 04:28 pm