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इस समस्या का हल हनुमानजी ही निकाल सकते हैं… चालीसा के पाठ पर High Court का बड़ा फैसला

High Court Denied Recital to Hanuman Chalisa: कलकत्ता हाईकोर्ट ने हनुमान जयंती के अवसर पर शनिवार को रेड रोड पर हनुमान चालीसा का पाठ करने की अनुमति नहीं दी है।

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Calcutta High Court: हनुमान चालीसा, जो भक्तों के लिए श्रद्धा और शक्ति का प्रतीक है, हाल ही में एक कानूनी विवाद का केंद्र बन गई। कोलकाता के रेड रोड पर हनुमान जयंती के अवसर पर चालीसा पाठ की अनुमति को लेकर हिंदू सेवा दल की याचिका पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। इस निर्णय ने न केवल धार्मिक आयोजनों के लिए सार्वजनिक स्थानों के उपयोग पर बहस को जन्म दिया है, बल्कि यह भी सवाल उठाया है कि क्या भक्ति और कानून का संतुलन कैसे बनाया जाए।

रेड रोड पर नहीं होगा हनुमान चालीसा का पाठ

कलकत्ता हाईकोर्ट ने हनुमान जयंती के अवसर पर शनिवार को रेड रोड पर हनुमान चालीसा का पाठ करने की अनुमति नहीं दी है। मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवज्ञानम की खंडपीठ ने कहा कि, इस समस्या का समाधान हनुमानजी ही निकाल सकते हैं। अब हनुमान चालीसा का पाठ सुबह 5 बजे से 11 बजे तक राज्य सरकार की ओर से निर्धारित आरआर एवेन्यू या शहीद मीनार मैदान पर किया जाएगा।

हिंदू संगठन ने दिया तर्क

शहर के एक हिंदू संगठन ने रेड रोड पर पाठ की अनुमति के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। एकल पीठ के न्यायाधीश तीर्थंकर घोष की अदालत में पुलिस ने कहा कि रेड रोड पर इस प्रकार के धार्मिक आयोजन की स्थिति नहीं है और आरआर एवेन्यू या शहीद मीनार मैदान ही इसके लिए उपयुक्त स्थल हैं। हिंदू संगठन के अधिवक्ता राजदीप मजुमदार ने तर्क दिया कि, रेड रोड पर 15 अगस्त, 26 जनवरी और पूजा कॉर्निवल जैसे कार्यक्रम होते हैं। इस पर न्यायाधीश घोष ने कहा कि, ये कार्यक्रम देश के इतिहास से जुड़े हैं, जबकि हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन नया है। ऐसे आयोजनों की अनुमति से पहले सभी पक्षों की सहमति आवश्यक होती है।

सुनवाई के लिए तैयार नहीं न्यायधीश

बाद में अधिवक्ता ने मुख्य न्यायाधीश की अदालत का रुख किया। पहले तो मुख्य न्यायाधीश सुनवाई के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन जब यह तर्क दिया गया कि 15 अगस्त का कार्यक्रम रेड रोड पर हो सकता है तो हनुमान चालीसा पाठ क्यों नहीं, तब न्यायाधीश शिवज्ञानम ने कहा कि बंगाल के हजारों क्रांतिकारियों ने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया है। उन्होंने अधिवक्ता से कहा कि उन्हें सेल्युलर जेल जाकर देखना चाहिए कि वहां कितने बंगाली स्वतंत्रता सेनानियों के नाम अंकित हैं। 15 अगस्त का अपना विशेष महत्व है। अंततः न्यायालय ने निर्देश दिया कि पाठ केवल सरकार द्वारा निर्धारित स्थानों पर ही किया जा सकता है।

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