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सरकार ने खेतों में निजी टांका निर्माण कार्यों पर लगाई रोक

ग्रामीण विकास विभाग का तर्क- टांकों से नहीं हो रही सिंचाई, केवल पीने के काम लेते हैं किसान, सरकार की नीयत पर संदेह, टांकों से खेतों में सिंचाई करना मुश्किल, पीने में बमुश्किल काम आता है पानी

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Tanka

नागौर. राज्य सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग ने मनरेगा के अंन्तर्गत व्यक्तिगत लाभ के कार्य की योजना ‘अपना खेत-अपना काम’ के तहत जारी होने वाले टांका निर्माण पर रोक लगा दी है। ग्रामीण विकास विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रेया गुहा ने दीपावली के मौके प्रदेश के सभी जिला कलक्टर्स एवं मनरेगा के जिला कार्यक्रम समन्वयकों को इस संबंध में निर्देश जारी किए।

अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रेया गुहा ने आदेश में कहा कि बताया कि महात्मा गांधी नरेगा अन्तर्गत व्यक्तिगत लाभ के कार्य की योजना ‘अपना खेत-अपना काम’ को लेकर जारी दिशा-निर्देशों में निजी कृषि भूमि में टांका निर्माण मय पक्का एवं कच्चा पायथन स्वीकृत किए गए थे, जिसे सिंचाई एवं भूमि संसाधनों का समग्र विकास कर ग्रामीण परिवारों की आजीविका में स्थाई सुधार किया जा सके। लेकिन ग्रामीण विकास मंत्रालय, ग्रामीण विकास विभाग, भारत सरकार की ओर से गठित एनएलएम (नेशनल लेवल मॉनिटर) ने बाड़मेर जिले में महात्मा गांधी नरेगा योजनान्तर्गत कार्यों की जांच के दौरान जारी दिशा-निर्देशों में यह टिप्पणी की है कि जिले में बह़ुतायत से कैटेगिरी ‘बी’ अन्तर्गत टांका निर्माण कार्य संपादित किए गए हैं, जिनका प्रमुख उद्देश्य पेयजल की आवश्यकता पूरी करना है। यह कार्य मनरेगा में अनुमत 266 कार्यों की लिस्ट में फार्म पॉण्ड कैटेगिरी में स्वीकृत किए जाते हैं, लेकिन इनको कृषि एवं सिंचाई के उपयोग नहीं किया जाता है। इसलिए यह कार्य मनरेगा के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं करते हैं। इसलिए एनएलएम की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों की अनुपालना में टांका निर्माण कार्य की स्वीकृति पर आगामी आदेशों तक रोक लगाई जाती है।

ये सवाल सरकार की मंशा पर खड़े कर रहे प्रश्न चिह्न

- पश्चिमी राजस्थान में टांकों से सिंचाई करना संभव नहीं है, क्योंकि मनरेगा में जो बड़े टांके बनाए जाते हैं, उनसे पूरे खेत में एक सिंचाई भी नहीं हो सकती।

- विभाग की एसीएस श्रेया गुहा ने अपने पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि अपना खेत-अपना काम योजना वर्ष 2011 में शुरू की गई, यानी पिछले 15 साल से यह योजना चल रही तो फिर सरकार को अब कैसे नजर आया कि योजना के उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो रही?

- सरकार ने पिछले काफी समय से पक्के कामों के साथ कच्चे कामों की स्वीकृति पर भी रोक लगा रखी है, ऐसे में स्पष्ट है कि सरकार मनरेगा का बजट कम करने पर तूली हुई है।

सरकार की नीयत में खोट

किसानों के लिए खेत में टांके बनने से पीने के पानी के लिए कोसों दूर से पानी लाने की समस्या का समाधान हो रहा था, लेकिन राज्य सरकार ने इस पर रोक लगाकर बता दिया कि भाजपा की सरकार किसान हित की केवल बात करती है, असल में नीयत में खोट है।

- हनुमान बांगाड़ा, कार्यकारी जिलाध्यक्ष, कांग्रेस, नागौर

नरेगा का बजट कम करना चाहती है सरकार

राज्य व केन्द्र की सरकार मनरेगा का बजट कम करने पर तूली हुई है, इसलिए व्यक्तिगत लाभ के टांकों की स्वीकृति पर रोक लगाई है। टांकों से कभी खेतों में न तो सिंचाई हुई और न आगे हो सकती है। टांकों का पानी केवल पेयजल के लिए काम आता है। पिछले काफी समय से मनरेगा के कार्य भी स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं।

- अशोक गोलिया, जिलाध्यक्ष, सरपंच संघ, नागौर