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राजस्थान: 1 लाख रुपए में कैसे होगा स्कूलों का रंग-रोगन? हल्के पीले और गुलाबी रंग का निर्देश बना सिरदर्द

राजस्थान के 70 हजार सरकारी विद्यालयों में से आधे से अधिक विद्यालयों के भवनों में अभी तक रंग-रोगन नहीं हो पाया है। माध्यमिक शिक्षा के 19,950 विद्यालय हैं तथा प्रारंभिक शिक्षा के 50 हजार विद्यालय हैं। बजट के अभाव में आधे से ज्यादा विद्यालय बिना रंग-रोगन के रह गए हैं।

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नागौर

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Arvind Rao

Oct 29, 2025

Rajasthan

कलर कोड बना संकट (पत्रिका फाइल फोटो)

नागौर: नागौर जिले में 1,613 विद्यालयों में से 800 से अधिक में रंग-रोगन का कार्य अधूरा है। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग तथा शिक्षा विभाग की ओर से कई बार निर्देश जारी करने के बावजूद जिले के अधिकांश विद्यालयों भवनों का रंग-रोगन नहीं हो पाया है।


सभी मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को पांच नवंबर तक विद्यालयों का रंग-रोगन कार्य पूरा कराने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने स्पष्ट किया है कि निर्धारित तिथि के बाद जिन विद्यालयों में यह कार्य अधूरा पाया गया। उनके संस्था प्रधानों से जवाब मांगा जाएगा।


गौरतलब है कि ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के शासन सचिव एवं आयुक्त डॉ. जोगाराम ने नौ अक्टूबर को आदेश जारी कर दिवाली की छुट्टियों (13 से 24 अक्टूबर) के बीच ग्राम पंचायतों को विद्यालय भवन का रंग-रोगन करवाने को कहा था। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने माध्यमिक विद्यालयों में 17 अक्टूबर तक मरम्मत के बाद रंग-रोगन कराने के निर्देश दिए थे। निर्धारित समय के 10 दिन बाद भी बहुत से विद्यालयों में रंग-रोगन नहीं हुआ है।


कलर कोड का अड़ंगा भारी


कुछ स्कूलें ऐसी हैं, जिनमें कुछ समय पहले ही रंग-रोगन किया गया, लेकिन पंचायतीराज विभाग व शिक्षा विभाग ने जो आदेश जारी किए, उसमें विद्यालय भवनों के लिए कलर कोड जारी किया गया। उच्च माध्यमिक विद्यालयों को हल्के पीले रंग में और राजकीय प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों को हल्के गुलाबी रंग से रंगने के निर्देश थे। इस अनुसार वापस रंग करना मुश्किल हो रहा है।


एक लाख में सभी स्कूलों के कैसे हो रंग-रोगन


विभाग ने ग्राम पंचायत को एक लाख रुपए स्कूलों के रंग-रोगन पर खर्च करने के कहा था, लेकिन कई ग्राम पंचायतों में 5 से 8 स्कूलें हैं। ऐसे में सभी स्कूलों में एक लाख रुपए से रंग करवाना संभव नहीं है। इस कारण एक ग्राम पंचायत में एक या दो स्कूलों में ही रंग हो पाया। कई ग्राम पंचायतों में एक भी स्कूल भवन पर रंग-रोगन नहीं हुआ।


दानदाता से मांगी मदद


अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिक स्तर के विद्यालयों के पास बजट नहीं होने से उन्हें ग्राम पंचायत पर निर्भर रहना पड़ा। अधिकारियों ने दबाव बनाया तो संस्था प्रधानों ने दानदाताओं से मदद मांगी।


फिर से दिए हैं निर्देश


जिले के जिन स्कूल भवनों पर रंग-रोगन नहीं हो पाया है, उनके संस्था प्रधानों को फिर से निर्देश देकर रंग-रोगन कराने को कहा है।
-ब्रजकिशोर शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, नागौर