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नागौर में अमन और मोहब्बत का पैगाम, ऊंटनी का जुलूस रहा आकर्षण का केंद्र

नागौर में अमन और मोहब्बत का पैगाम, ऊंटनी का जुलूस रहा आकर्षण का केंद्र, सूफी संत हजऱत हमीदुद्दीन नागौरी के बड़े उर्स पर देशभर से पहुंचे हजारों जायरीन, अजमेर ख्वाजा साहब की दरगाह से नागौर पहुंची चादर, कव्वालियों और अखाड़े के करतबों ने बांधा समा

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सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैह का 774वें उर्स मुबारक के मौके पर शनिवार को बड़ा उर्स

सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैह का 774वें उर्स मुबारक के मौके पर शनिवार को बड़ा उर्स शरीफ बड़ी ही श्रद्धा, उल्लास और कौमी एकता के माहौल में मनाया गया

नागौर. बारगाह-ए-सूफी दरगाह हजऱत सूफी हमीदुद्दीन नागौरी रहमतुल्लाह अलैह का 774वें उर्स मुबारक के मौके पर शनिवार को बड़ा उर्स शरीफ बड़ी ही श्रद्धा, उल्लास और कौमी एकता के माहौल में मनाया गया। इस मौके पर देशभर से हजारों की तादाद में अकीदतमंदों ने सूफी संत की दरगाह शरीफ पर हाजिरी दी और अमन-चैन की दुआएं मांगी। दरगाह परिसर और आसपास के इलाकों में जायरीनों का सैलाब उमड़ पड़ा। उर्स के अवसर पर निकाला गया पारंपरिक ऊंटनी का जुलूस इस वर्ष भी आकर्षण का मुख्य केंद्र रहा, जिसमें बाहर से आए जायरीनों के साथ शहरवासियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

उर्स की शुरुआत नमाज़-ए-जुहर के बाद मस्जिद-ए-शाहजानी गांधी चौक से हुई, जब अजमेर शरीफ दरगाह से लाई गई चादर को जोधपुर शहर के काज़ी अब्दुल वहीद उस्मानी ने ऊंटनी पर बैठकर तहसील चौक, मच्छियों का चौक, बाज़ारवाड़ और माही दरवाज़ा होते हुए दरगाह तक पहुंचाया। दरगाह के सदर हाजी शमशेर खान और अन्य सदस्यों की मौजूदगी में अब्दुल वहीद उस्मानी ने मजार-ए-मुबारक पर चादर पेश की। रास्ते में जगह-जगह स्थानीय नागरिकों ने जुलूस का स्वागत किया और मिठाई, शरबत तथा चाय का वितरण किया। जुलूस के दौरान ‘हजऱत हमीदुद्दीन नागौरी जिंदाबाद’, ‘अमन का पैगाम - सूफी दरगाह से आम’ जैसे नारे गूंजते रहे। शहर का माहौल पूरी तरह धार्मिक उत्साह और सद्भाव से भरा रहा। मुस्लिम समाज के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोगों ने भी इस अवसर पर भाग लेकर गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल पेश की। उर्स के अवसर पर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। जुलूस के दौरान व दरगाह परिसर एवं आस-पास के इलाकों में पुलिसकर्मी तैनात रहे।

70 से 80 हजार जायरीनों को लंगर खिलाया

उर्स में देशभर से आए जायरीनों की भारी भीड़ को देखते हुए दरगाह कमेटी ने विभिन्न समितियों का गठन किया। वक्फ कमेटी, खिदमत-ए-खल्क टीम, दावत-ए-इस्लामी ग्रुप और अन्य स्थानीय संगठनों ने मिलकर व्यवस्थाएं संभाली। उर्स के दौरान करीब 70 से 80 हजार जायरीनों को लंगर खिलाया गया। हर साल की तरह इस बार भी उर्स में राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों से जायरीन पहुंचे। नागौर का यह उर्स राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदुस्तान में सूफी परंपरा और कौमी एकता का प्रतीक बन चुका है।

ये रहे मुख्य अतिथि

बड़े उर्स के मौके पर आए मुख्य अतिथियों में राजस्थान मुस्लिम वक्फ बोर्ड के चेयरमैन खानू खां बुधवाली, अजमेर शरीफ दरगाह के सज्जादानशीन हजऱत सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती, पीसीसी के सचिव राघवेंद्र मिर्धा, उलेमा सैयद मसूद जमा, सैयद हासमी, जावेद अली, साबिर अली, नौशाद अली सहित सहित धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी मौजूद रहे। पंजाब से आई चादर पेश करने वाली टीम में बाबा सतनाम सिंह, शरीफ सिंह, हरपाल सिंह सहित अन्य शामिल थे, जिन्होंने आस्ताना-ए-सूफी पर फूल और चादर पेश कर अमन और भाईचारे की दुआ की।

रात में चला कव्वाली का सिलसिला, देश के मशहूर कव्वालों ने दी प्रस्तुतियां

इशा की नमाज के बाद उर्स में देभर के अलग-अलग स्थानों से आई कई कव्वाल पार्टियों ने कव्वालियां पेश की। दरगाह सूफी साहब नागौर के सरफूद्दीन व नईमुद्दीन, अब्दुल लतीफ व मोहम्मद हुसैन जयपुर से, चांद अफज़ल कादरी (दिल्ली), फिरोज साबरी (जोधपुर), सलीम रज़ा (मुंबई), जुबैर नईमी (अजमेर), नौशाद चिश्ती (कलयर शरीफ) सहित कई कलाकारों ने सूफियाना कलाम पेश कर समां बांध दिया। मशहूर कव्वालों ने ‘दर पे जो आए हैं वो खाली न जाएंगे...’ जैसे कलाम पेश किए, जिन पर लोग झूम उठे। देर रात तक दरगाह परिसर में इबादत और फातिहा का दौर चलता रहा।

बड़े उर्स पर दिखाया गया अखाड़ा करतब

सूफी के बड़े उर्स पर निकाले गए ऊंटनी के जुलूस के दौरान अखाड़ा का करतब दिखाया गया, जिसमें अखाड़ा उस्ताद रियाज अहमद अंसारी की ओर बेहतरीन तरीके से अखाड़ा खेला गया, इनके शिष्य की ओर से अलग - अलग तरीके से अखाड़े के बेहतरीन करतब दिखाए गए। जुलूस में शामिल जायरीन, अखाड़ों के करतबों को देखकर अचंभित हो गए।

भारतीय सूफी सम्मेलन का आयोजन

बड़े उर्स के मौके पर भारतीय सूफी सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें मेहमाने खुसूसी व ज़ेरे सदारत औलाद-ए-गरीब नवाज़ हजऱत सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती, दरगाह हजरत मीर कुर्बान अली शाह के सज्जादानशीन डॉ. सैयद हबीबुर्रहमान नियासी, पीर गुलाम नजमी फारूकी चिश्ती, गुलाम नसीर नजमी, इरफान शाह जलाली, जलालुद्दीन, काजी मेराज उस्मानी, पीर सैयद अजीजुद्दीन, सैयद ऐतेमाद्दुदीन चिश्ती, पीर सैयद सदाकत अली जीलानी व अन्य ने शिरकत की।

व्यवस्थाओं में दरगाह के कमेटी का सक्रिय सहयोग

दरगाह सरपरस्त आबिद अल्वी, सचिव मोइनुद्दीन बेहलीम, उपसभापति सदाकत अली सुलेमानी, उस्मान खान, तबरेज खान, शकील अहमद ताकली, मो. शरीफ कुरैशी, रफीक गौरी, एड़वोकेट पीर मोहम्मद, मकबूल अंसारी, असलम मुल्तानी, फारूख अंसारी, याकूब खान पठान, सलीम खां सांखला, याकूब मुल्तानी, खालिद हुसैन सहित अन्य सदस्यों ने अपनी जिम्मेदारियां निभाकर व्यवस्थाओं को सफल बनाया। उर्स में पूरे आयोजन की निगरानी सीसी टीवी कैमरों से की जा रही है।