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बिना फायर एनओसी चल रहा नागौर जिला मुख्यालय का सरकारी अस्पताल

अग्निशमन विभाग की ओर से नोटिस देने के बावजूद चिकित्सा अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी, आग लगी तो हो जाएगा बड़ा हादसा, शिफ्टिंग के समय डॉक्टरों ने उठाए थे सवाल, फिर भी किया अनदेखा, हर वर्ष करवानी होती है फायर एनओसी रिन्यू, लेकिन यहां ली ही नहीं

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Nagaur MCH wing

नागौर. जिला मुख्यालय का पंडित जेएलएन राजकीय जिला अस्पताल एवं पुराना अस्पताल भवन में संचालित एमसीएच विंग बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं। दोनों अस्पतालों में आग बुझाने के इंतजाम नहीं है। जेएलएन अस्पताल में फायर सेफ्टी का पूरा सिस्टम नकारा पड़ा है, जबकि दो साल पहले एमसीएच विंग को पुराना अस्पताल भवन में शिफ्ट करते समय में फायर सेफ्टी को ताक पर रखते हुए बिना एनओसी लिए जिम्मेदारों ने शिफ्टिंग कर दी। दुर्भाग्य तो इस बात का है कि नगर परिषद के अग्निशमन अधिकारी ने सात महीने पहले जेएलएन अस्पताल के पीएमओ को नोटिस भी दिया, लेकिन चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। वर्तमान में सरकारी नियमों की अवहेलना करने वाले अधिकारी हादसे के बाद एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हैं, जबकि परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ता है।

गौरतलब है कि अस्पताल शुरू करने के लिए फायर अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना एक अनिवार्य आवश्यकता है, खासकर उच्च अधिभोग और संवेदनशील उपयोग वाली इमारतों जैसे अस्पतालों के लिए। जेएलएन अस्पताल के एमसीएच परिसर में मुख्य रूप से होज रील, हाइड्रेल प्वाइंट, पानी की राइजिंग लाइन और आईसीयू में स्प्रिंगल फायर सिस्टम ही नहीं है, जबकि जेएलएन अस्पताल में फायर सिस्टम के नाम पर केवल लोहे के पाइप बचे हैं, बाकी सारा सामान चोरी हो चुका है। इस तरह मापदंडों के तहत फायर फाइटिंग सिस्टम खराब है।

कमेटी ने दी थी नेगेटिव रिपोर्ट, फिर भी अनदेखा किया

एमसीएच विंग को दो साल पहले पुराना अस्पताल भवन में शिफ्ट करने से पहले तत्कालीन पीएमओ ने उप नियंत्रक डॉ. अनिल पुरोहित, डॉ. शैलेन्द्र लोमरोड़, अमित सांखला, संजय पाराशर व कैलाश व्यास की कमेटी गठित कर रिपोर्ट मांगी थी, जिस पर कमेटी ने निरीक्षण के बाद नेगेटिव रिपोर्ट दी, जिसे अनदेखा किया गया।

अस्पताल के लिए इसलिए जरूरी फायर एनओसी

कानूनी आवश्यकता : यह एक कानूनी आवश्यकता है जो अस्पतालों को अग्निशमन विभाग के मानकों के अनुसार अपनी आग सुरक्षा का अनुपालन करने का प्रमाण देती है।

सुरक्षा : आग लगने की स्थिति में मरीजों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए फायर एनओसी महत्वपूर्ण है।

जिम्मेदारियां : यह अस्पताल के कर्मचारियों को आग से सुरक्षा प्रशिक्षण देने और नियमित निरीक्षण व आपातकालीन योजनाओं की समीक्षा करने की आवश्यकता पर भी बल देता है।

फायर एनओसी प्राप्त करने की प्रक्रिया

प्रोजेक्ट प्लानिंग : अस्पताल के निर्माण के समय ही फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने के स्थान और आग बुझाने के संसाधनों तक पहुंचने के रास्ते चिह्नित किए जाते हैं।

प्रोविजनल एनओसी : पहले चरण में फायर डिपार्टमेंट से प्रोविजनल एनओसी प्राप्त की जाती है, जिसमें बिल्डिंग के नक्शे का निरीक्षण और आग बुझाने के सिस्टम की स्थापना के लिए योजनाएं शामिल होती हैं।

आग सुरक्षा उपकरण लगाना : प्रस्तावित योजना के अनुसार, होज रील, स्प्रिंकलर सिस्टम, फायर अलार्म और स्मोक सेंसर जैसे उपकरण लगाए जाते हैं।

स्थाई एनओसी : एक बार जब इमारत निर्माण पूरा हो जाता है और आग बुझाने के सभी सिस्टम सही ढंग से काम कर रहे हों, तो फायर डिपार्टमेंट की ओर अंतिम निरीक्षण किया जाता है और फिर स्थाई एनओसी दी जाती है।

अतिरिक्त आवश्यकताएं

- राष्ट्रीय भवन संहिता का पालन सुनिश्चित करना।

- धुएं के जमाव को रोकने के लिए उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करना।

- अग्निशमन उपकरण, स्प्रिंकलर सिस्टम और आपातकालीन निकास की उपलब्धता सुनिश्चित करना।

- कर्मचारियों को नियमित आग सुरक्षा प्रशिक्षण देना।

नोटिस दिए, लेकिन परवाह नहीं कर रहे

बहुमंजिला व बड़ी इमारतों के निर्माण के समय ही फायर फाइटिंग सिस्टम लगवाना अनिवार्य है। इसके लिए अग्निशमन केन्द्र से प्रोविजनल एनओसी लेने का प्रावधान है। इससे नक्शा मौका निरीक्षण कर उपकरण फिटिंग कराने के स्थान व आग बुझाने के संसाधन पहुंचाने के रास्ते आदि को चिह्नित किया जाता है। इसके मुताबिक निर्माण होने के बाद एक बार फिर निरीक्षण कर स्थाई एनओसी दी जाती है। हमने जेएलएन अस्पताल व एमसीएच विंग का निरीक्षण किया तो फायर फाइटिंग सिस्टम खराब मिला, जिस पर पीएमओ को 8 मार्च को नोटिस देकर 15 दिन अग्नि सुरक्षा व्यवस्थाएं निर्धारित मापदंड के अनुसार करते हुए फायर एनओसी लेने के लिए कहा था, लेकिन पीएमओ ने गंभीरता नहीं दिखाई।

- कालूराम, अग्निशमन अधिकारी, नगरपरिषद, नागौर