
शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे (Photo: X)
मुंबई महानगरपालिका चुनाव (Mumbai BMC Election) से पहले मराठी बनाम गैरमराठी का मुद्दा एक बार फिर गरमाने लगा है। इस बीच उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना के विधायक प्रकाश सुर्वे के एक बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। सुर्वे ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “मराठी मेरी मातृभूमि है, मां है, लेकिन उत्तर भारत मेरी मौसी है। मां मर भी जाए तो चलेगा, पर मौसी नहीं मरनी चाहिए। क्योंकि मौसी ज्यादा प्यार करती है।” उनके इस बयान ने मराठी अस्मिता को लेकर सियासी तूफान खड़ा कर दिया है।
राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। मनसे नेता नयन कदम ने ‘एक्स’ पर विधायक सुर्वे का वीडियो साझा करते हुए लिखा, “मागाठाणे के मराठी लोगों ने क्या ऐसे विधायक को चुना था? जो अपनी मां को मारकर यूपी की मौसी को बचाने की बात करता है?” उद्धव ठाकरे की शिवसेना (उबाठा) ने इस बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह मराठी मानुष का अपमान है।
पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र की राजनीति में मराठी भाषा का मुद्दा गरमाया हुआ है। विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा नीत महायुति सरकार राज्य पर हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है। वहीं, जब सरकार ने प्राथमिक स्कूलों में मराठी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने का निर्णय लिया था, तो उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने इसका तीखा विरोध किया था। उनके कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे, जिसके बाद सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा।
अब जब मुंबई महानगरपालिका चुनाव करीब हैं, मराठी बनाम गैरमराठी का मुद्दा एक बार फिर सियासत के केंद्र में लौटता दिख रहा है। इसी पृष्ठभूमि में प्रकाश सुर्वे का ताजा बयान न केवल विपक्ष को हमला करने का मौका दे रहा है, बल्कि शिवसेना के लिए भी नई परेशानियां खड़ी कर सकता है।
Published on:
03 Nov 2025 09:18 pm
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