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16 साल पूर्व डीएड करने गई महिला शिक्षक आज तक नहीं लौटी स्कूल

वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिख चुके हैं संस्था प्रभारी, उधर लंबे समय से अनुपस्थित महिला शिक्षक को नौकरी पर रखा, नियमानुसार पांच साल से अधिक समय तक अनुपस्थित रहने पर शासन के आदेश पर मिलती है पदस्थापना, मुरैना में जिला स्तर से ही कर दिए आदेश

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मुरैना. जिला शिक्षा विभाग में पहले तो अनुपस्थित शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती और फिर उन शिक्षकों की दोबारा नियुक्ति में नियमों की अनदेखी की जाती है। मुरैना जिले में ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें नियुक्ति शासन स्तर से होनी चाहिए लेकिन जिला स्तर से ही कर दी गई है, ये जांच के विषय हैं।


शासकीय हायरसेकेंडरी स्कूल संकुल केन्द्र नायकपुरा के अंतर्गत संचालित शासकीय कन्या शाला की महिला शिक्षक नीलेश सक्सेना वर्ष 2009 में डीएड करने गई थी। उसके बाद स्कूल लौटकर नहीं पहुंची हैं। बाद में स्कूल का मिडिल स्कूल गड़ौरा का पुरा में विलय हो गया। संस्था प्रभारी वकील सिंह कंषाना द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है, लेकिन आज तक न तो कोई कार्रवाई हुई है और न शिक्षक लौटकर आई है। शिक्षक नीलेश सक्सेना से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उनका संपर्क नंबर संस्था प्रभारी पर भी नहीं है।

नहीं की कार्रवाई, संस्था बदलकर की नियुक्ति

शासकीय मिडिल स्कूल डोंगरपुर किरार संकुल जींगनी में पदस्थ महिला शिक्षक प्रविता शाडिल्य वर्ष 2009 से लगातार 2025 तक अनुपस्थित रही। विडंवना देखिए कि शिक्षा विभाग ने इस दौरान न तो कोई नोटिस जारी किया और न कोई कार्रवाई की। अब नियम विरुद्ध संस्था बदलकर विभाग ने 2009 से 2019 तक अनुपस्थित में अवैतनिक मानकर वर्ष 2025 के नए सत्र से वेतन देते हुए सिर्फ यह टीप लगाकर कि वर्ष 2019 से मेडिकल का आवेदन देकर लगातार विभाग के चक्कर लगा रही थी इसलिए डीईओ की टीप पर जिला पंचायत से दोबारा नियुक्ति कर दी गई है।

इनकी भी हुई दोबारा निुयक्ति

ेशासकीय मिडिल स्कूल क्रमांक चार में गौरव तोमर शिक्षक की दोबारा नियुक्ति हुई है। गौरव भी वर्ष 2009 से 2013 तक अनुपस्थित रहा। इनकी प्रथम नियुक्ति वर्ष 2003 में दिमनी स्कूल में हुई थी। गौरव तोमर का कहना हैं कि मेरी नियुक्ति कार्य नहीं वेतन नहीं की स्थिति में हुई है। जिस समय मेरी नियुक्ति हुई थी, उस समय पांच साल से अधिक समय तक अनुपस्थित होने पर शासन स्तर से नियुक्ति का नियम नहीं था। अब ये नियम आ गया है।

ऐसे मामलों में ये होता है

05 साल से अधिक समय तक अनुपस्थित शिक्षक की नियुक्ति शासन स्तर से होना चाहिए।
शिक्षक के अनुपस्थिति कार्यकाल की वरिष्ठता समाप्त कर दी जाती है।
अगर शिक्षक को दोबारा नौकरी दी जाए तो अनुपस्थित अवधि का वेतन नहीं दिया जाता।
शिक्षक जिस संस्था में अनुपस्थित रहा, वापसी भी उसी में होना चाहिए, संस्था नहीं बदली जा सकती।

नियमानुसार पांच से अधिक समय तक कोई शिक्षक अनुपस्थित रहता है तो उसकी दोबारा नियुक्ति का अधिकार शासन को ही है। अर्थात शासन स्तर से ही नियुक्ति हो सकती है। इससे कम समय के लिए अनुपस्थित शिक्षक की निुयक्ति का अधिकार नियुक्तिकर्ता संस्था को रहता है।

दीपक पांडेय, संयुक्त संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल मप्र

गड़ौरा का पुरा की शिक्षक नीलेश सक्सेना वर्ष 2009 से अनपुस्थित है, संबंधित संस्था प्रभारी से उसकी जानकारी लेते हैं। वहीं प्रविता शाडिल्य की नियुक्ति जिला पंचायत सीईओ द्वारा की गई है, हमसे जानकारी मांगी थी, वह हमने भेज दी थी।

एस के सक्सेना, जिला शिक्षा अधिकारी