मुरैना. नवरात्र महोत्सव में कोई अन्न-जल त्यागकर शरीर पर जवारे बोकर मां की भक्ति कर रहा है कोई दंडवत परिक्रमा करते हुए मैय्या के दरबार में अपनी अर्जी लगा रहा हैं। नगर के अति प्राचीन माता के मंदिर पर जनकल्याण के लिए कल्याणी मैया उम्र 108 साल कोल्ड स्टोर वाली माता नवरात्र में अन्य जल त्याग कर अपने शरीर पर जवारे उगाकार मैया को प्रसन्न करती थी। उसी संकल्प को आगे बढ़ाते हुए उनके शिष्य महावीर दास ने इस पावन नवरात्र में भगवती माता रानी को प्रसन्न करने का आशीर्वाद प्राप्त किया।
महावीर दास ने नवरात्र के पहले दिन अपने शरीर पर मिट्टी का लेप किया और जवारे बो दिए। अपने गुरु के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए विश्व शांति जगत कल्याण की कामना को लेकर उन्होंने जवारे बोए हैं। कोल्ड वाली माता के नाम से प्रसिद्ध अंबे मैय्या मंदिर की मान्यता है कि यहां हर हफ्ते के सोमवार और शुक्रवार को मैय्या का दरबार लगता है, जहां श्रद्धालु अपनी समस्या लेकर आते है और माता की कृपा से उनकी मनोकामना पूरी होती है। जानकारी के अनुसार 29 सितंबर सोमवार को सप्तमी पर झांकी दर्शन करने की व्यवस्था सुबह 8 से शाम 8 तक रखी गई है।
जवारे खुशहाली का प्रतीक होते हैं। यदि जवारे बेहतर तरीके से उगते हैं तो माना जाता है कि आने वाली फसल अच्छी होगी। नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष जिनेश जैन ने मंदिर का भव्य निर्माण करने की घोषणा की मंदिर का निर्माण कार्य चालू हो गया है।
तहसील मुख्यालय अंबाह मे स्थित है कोल्ड वाली माता के नाम से मंदिर, जिसकी महंत है 108 वर्ष की कल्याणी मैय्या। कल्याणी मैय्या ने पिछली साल नवरात्र में अन्न-जल त्यागकर अपने शरीर पर जवारे बोए थे। यहां हैरत की बात यह है कि इतनी अधिक उम्र होने के बाद भी कल्याणी मैय्या ने नौवी बार अपना संकल्प पूरा करने के लिए जवारे बोए थे। मैया बताती है कि अपना शरीर सहित जवारे चढ़ाने से मातारानी प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती है।
कोल्ड वाले मंदिर में अन्न-जल त्यागकर तप कर रहीं कल्याणी मैय्या के पास बाहर के लोगों को आने-जाने की सख्त मनाही है। उनके तपस्या स्थली पर लगे सीसीटीवी कैमरे से ही लोग उनके दर्शन करने पहुंच रहे हैं।
अंबे आश्रम अंबाह की महंत कल्याणी मैया का जन्म 1916 में डबरा के मस्तूरा गांव में हुआ था। पिता की इकलौती संतान कल्याणी मैया ने चपटिया वाले महाराज के सानिध्य में मात्र 9 वर्ष की उम्र में वैराग्य धारण किया। 25 साल अयोध्या में बिताने के बाद तीर्थ करते हुए यह नगरकोट पहुंची। यहां ज्वाला देवी के आदेश पर ज्योति स्वरूप में ही मां भगवती को लेकर आई थीं। 1990 में अंबाह पिनहाट रोड कोल्ड स्टोर के बगल भक्तों के सहयोग से मंदिर का निर्माण हुआ।
Published on:
27 Sept 2025 03:57 pm
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