चंद्रशेखर का मेरठ में नया फॉर्मूला | Image Source - 'X' @AzadSamajParty
Chandrashekhar Azad Iqra Hasan Meerut News: मेरठ में आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन के दौरान सांसद चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि सपा सांसद इकरा हसन उनकी “मासूम छोटी बहन” हैं। उन्होंने कहा, “जो बयानबाजी इकरा के खिलाफ हुई, वह पूरी तरह गलत है। मैं उसके साथ खड़ा हूं।” इकरा हसन ने हाल ही में सहारनपुर में भाजपा के पूर्व सांसद प्रदीप कुमार पर गंभीर आरोप लगाए थे और भावुक होकर अपने परिवार के अपमान की बात कही थी।
कार्यकर्ता सम्मेलन में चंद्रशेखर आजाद ने गैंगस्टर बदर अली और उनके लगभग 2000 मुस्लिम समर्थकों को आजाद समाज पार्टी में शामिल कराया। बदर अली के खिलाफ 22 मामले दर्ज हैं और 2019 में उन्होंने बिना अनुमति जुलूस निकला था। उस दौरान दंगा होते-होते बचा था। प्रशासन ने उनके अस्पताल को भी ध्वस्त किया था। इस जॉइनिंग को लेकर राजनीति में हलचल मची है और इसे पश्चिमी यूपी में मुस्लिम युवा वोटरों को जोड़ने की रणनीति माना जा रहा है।
चंद्रशेखर ने सम्मेलन में सरकार पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, “आजादी मांगने से नहीं, छीनने से मिलती है। आज यूपी का ऐसा माहौल है कि सुबह घर से निकलो, शाम को लौटने की कोई गारंटी नहीं है। खाकी भी सरकार में कमजोर है। अगर हम मिलजुलकर आगे बढ़ेंगे, तो सत्ता टिक नहीं पाएगी।” उन्होंने राजनीति और इबादतगाहों को अलग रखने पर भी जोर दिया और छात्रसंघ चुनाव की बहाली का आह्वान किया।
सम्मेलन में कार्यकर्ताओं ने चंद्रशेखर आजाद को नीली पगड़ी पहनाकर और केतली भेंट कर सम्मानित किया। गुर्जर महापंचायत के दौरान जेल के रविंद्र भाटी ने सांसद को सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा भेंट की। साथ ही, एक 80 वर्षीय बुजुर्ग ने महर्षि वाल्मीकि की फोटो लेकर आए, जिन्हें मंच पर बुलाकर सांसद ने अपने बगल में बिठाया। इस दौरान पार्टी ने सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतीकों को मंच पर प्रस्तुत किया।
चंद्रशेखर आजाद और आजाद समाज पार्टी अब पश्चिमी यूपी में दलित-मुस्लिम गठजोड़ को फोकस कर रही है। पार्टी मानती है कि पुराने चुनावों में बसपा की जीत इसी समीकरण पर आधारित थी। दलित युवाओं के बाद अब मुस्लिम युवा वोटर पार्टी में शामिल हो रहे हैं। इसका उद्देश्य पश्चिमी यूपी में राजनीतिक आधार मजबूत करना और नए वोटरों को पार्टी के साथ जोड़ना है।
बदर अली लंबे समय से बिरादरी और समुदाय के कामों में सक्रिय हैं। उन्होंने पहले सपा और बसपा सहित अन्य दलों में अपनी किस्मत आज़माई, लेकिन 2027 के विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट की संभावना कम दिखी। ऐसे में उन्होंने आजाद समाज पार्टी को चुना है ताकि अपने राजनीतिक करियर को नई दिशा दे सकें। चंद्रशेखर ने स्पष्ट किया कि किसी भी बहन या बेटी के अपमान की भाषा का समर्थन नहीं किया जाएगा।
Updated on:
16 Oct 2025 07:38 pm
Published on:
16 Oct 2025 07:28 pm
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