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UP Contract Teachers: 10 नए मंडलों में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों की तैनाती

UP Contract Teachers Regularization Process: उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए विशेष सचिव (उच्च शिक्षा) आईएएस गिरजेश कुमार त्यागी ने प्रदेश के 10 नए मंडलों में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों की तैनाती का आदेश जारी किया है। इस निर्णय से कॉलेजों की निगरानी, पारदर्शिता और शिक्षा की गुणवत्ता में व्यापक सुधार की उम्मीद जताई जा रही है।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 30, 2025

उच्च शिक्षा व्यवस्था में बड़ा कदम (फोटो सोर्स : Ritesh Singh )

उच्च शिक्षा व्यवस्था में बड़ा कदम (फोटो सोर्स : Ritesh Singh )

Uttar Pradesh Contract Teachers Screening 2025 : उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़, पारदर्शी एवं क्षेत्रीय स्तर पर प्रभावी बनाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए विशेष सचिव, उच्च शिक्षा विभाग, आईएएस गिरजेश कुमार त्यागी ने प्रदेश के 10 नए मंडलों में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों की तैनाती के आदेश जारी किए हैं। यह निर्णय प्रदेश में उच्च शिक्षा संस्थानों के समन्वय, निगरानी और गुणवत्तापरक सुधार के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

प्रदेश के उच्च शिक्षा ढांचे में सुधार की दिशा में बड़ा कदम

उत्तर प्रदेश सरकार लगातार उच्च शिक्षा में सुधार के लिए नीतिगत परिवर्तन और प्रशासनिक पुनर्गठन कर रही है। इसी क्रम में विशेष सचिव (उच्च शिक्षा) गिरजेश कुमार त्यागी द्वारा जारी आदेश के तहत 10 नए मंडलों में क्षेत्रीय स्तर पर अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इन अधिकारियों का दायित्व होगा कि वे अपने-अपने मंडलों में संचालित महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों की शैक्षिक गुणवत्ता, अनुशासन, पाठ्यक्रम क्रियान्वयन और प्रशासनिक पारदर्शिता सुनिश्चित करें। यह कदम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस नीति के अनुरूप है जिसमें प्रदेश के प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को डिजिटल, पारदर्शी और गुणवत्तापरक शिक्षा प्रणाली से जोड़ने की दिशा में ठोस कार्य किए जा रहे हैं।

कौन-कौन से मंडल शामिल हैं

सूत्रों के अनुसार, जिन 10 नए मंडलों में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों की तैनाती की गई है, उनमें प्रमुख रूप से बस्ती, आजमगढ़, मुरादाबाद, झांसी, बरेली, मेरठ, अलीगढ़, गोरखपुर, प्रयागराज और वाराणसी मंडल शामिल हैं। प्रत्येक मंडल में एक वरिष्ठ स्तर के अधिकारी को “क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी” के रूप में नियुक्त किया गया है, जो वहां के सभी सरकारी एवं सहायता प्राप्त महाविद्यालयों की गतिविधियों की देखरेख करेंगे।

उच्च शिक्षा विभाग की प्राथमिकताएँ

विशेष सचिव गिरजेश कुमार त्यागी ने बताया कि यह निर्णय केवल प्रशासनिक पुनर्गठन नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का ठोस प्रयास है। विशेष सचिव (उच्च शिक्षा)  गिरजेश कुमार त्यागी ने कहा कि  प्रदेश के हर मंडल में उच्च शिक्षा संस्थानों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अब यह आवश्यक हो गया है कि क्षेत्रीय स्तर पर अधिकारी तैनात होकर निगरानी और समन्वय सुनिश्चित करें ताकि शिक्षण कार्य, परीक्षाओं की पारदर्शिता और विद्यार्थियों के हित में नीति-निर्माण बेहतर ढंग से हो सके। उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार, क्षेत्रीय अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने मंडल के अंतर्गत आने वाले सभी संस्थानों का निरीक्षण करें, बुनियादी सुविधाओं का आकलन करें और समस्याओं की रिपोर्ट नियमित रूप से शासन को भेजें।

विकेंद्रीकृत प्रशासन और जवाबदेही

अब तक प्रदेश में अधिकांश प्रशासनिक कार्य लखनऊ मुख्यालय से संचालित होते थे, जिससे कई बार दूरस्थ जिलों के कॉलेजों को समय पर सहायता और दिशा-निर्देश नहीं मिल पाते थे। नए आदेश के बाद शिक्षा प्रशासन में विकेंद्रीकरण (Decentralization) को बढ़ावा मिलेगा और हर मंडल में उच्च शिक्षा की निगरानी स्थानीय स्तर पर संभव होगी। इससे न केवल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को तत्काल सहायता मिलेगी, बल्कि शासन तक समस्याओं की जानकारी भी जल्दी पहुँचेगी।

अधिकारियों को सौंपी गई मुख्य जिम्मेदारियां

  • मंडल के सभी महाविद्यालयों का वार्षिक शैक्षिक मूल्यांकन करना।
  • शिक्षण कार्य, उपस्थिति और परिणामों की नियमित मॉनिटरिंग करना।
  • शासन की नीतियों और योजनाओं (जैसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020) का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
  • छात्रवृत्ति, प्रवेश, परीक्षा संचालन और डिजिटल प्लेटफार्मों की पारदर्शिता की निगरानी करना।
  • शिक्षकों की रिक्तियों, पदोन्नति और प्रशिक्षण से संबंधित सुझाव शासन को भेजना।
  • स्थानीय स्तर पर शिक्षा से जुड़ी शिकायतों का निस्तारण करना।

प्रदेश के लिए नई उम्मीद

शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस निर्णय से उत्तर प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा मिलेगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप स्थानीय स्तर पर गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली विकसित करना इस नीति का मूल उद्देश्य है। लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. अनिल त्रिपाठी ने कहा कि “यह कदम प्रदेश में उच्च शिक्षा के विकेंद्रीकृत मॉडल की ओर बड़ा परिवर्तन है। अब कॉलेजों को समय पर निर्देश, निरीक्षण और सहायता मिलेगी, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता में वास्तविक सुधार होगा।”

डिजिटल शिक्षा और पारदर्शिता पर जोर

प्रदेश सरकार उच्च शिक्षा संस्थानों में डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा दे रही है। क्षेत्रीय अधिकारी अब डिजिटल पोर्टल के माध्यम से कॉलेजों के डाटा की रियल-टाइम निगरानी करेंगे। छात्र उपस्थिति, परीक्षा परिणाम, ऑनलाइन कक्षाएं और प्रशासनिक कार्यों की जानकारी अब क्षेत्रीय स्तर पर सत्यापित होगी। इससे भ्रष्टाचार और देरी जैसी समस्याओं में कमी आएगी और शासन को वास्तविक आंकड़ों के आधार पर नीतियां बनाने में सुविधा होगी।

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अधिकारियों को जल्द कार्यभार संभालने के निर्देश

आदेश के अनुसार, सभी नव-नियुक्त क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों को तत्काल अपने-अपने मंडलों में कार्यभार ग्रहण करने और माह के अंत तक अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।रिपोर्ट में उन्हें स्थानीय कॉलेजों की स्थिति, स्टाफ की उपलब्धता, शिक्षण गुणवत्ता और विद्यार्थियों की समस्याओं का विवरण देना होगा।