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Cyclone METHA: मैंथा चक्रवात से यूपी में बदला मौसम, बारिश ने बढ़ाई ठंड-लखनऊ समेत कई जिलों में तापमान में गिरावट

Cyclone MEHTA 2025: अरब सागर में बने मैंथा चक्रवात और बंगाल की खाड़ी से आई नमी ने उत्तर प्रदेश के मौसम का मिजाज पूरी तरह बदल दिया है। राजधानी लखनऊ सहित कई जिलों में रातभर बारिश हुई। तापमान में 4 से 5 डिग्री तक गिरावट दर्ज की गई है। अगले दो दिनों तक बारिश और ठंड बढ़ने के आसार हैं।

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लखनऊ

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Ritesh Singh

Oct 28, 2025

मौसम की करवट से बारिश ने बढ़ाई ठंड (फोटो सोर्स : AI)

मौसम की करवट से बारिश ने बढ़ाई ठंड (फोटो सोर्स : AI)

Cyclone METHA Turns Weather Upside Down in Uttar Pradesh: अक्टूबर का अंतिम सप्ताह उत्तर प्रदेश के लिए मौसम का बड़ा बदलाव लेकर आया है। अरब सागर में बने मैंथा चक्रवात (Cyclone METHA) और बंगाल की खाड़ी में सक्रिय निम्न दबाव क्षेत्र की वजह से प्रदेश का मौसम अचानक करवट ले चुका है। सोमवार की रात से ही राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में रुक-रुक कर बारिश का सिलसिला जारी है। इस बारिश ने जहां गर्मी और उमस से राहत दी है, वहीं ठंडक भी बढ़ा दी है। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दो से तीन दिनों तक प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में इसी तरह का मौसम बने रहने की संभावना है।

रातभर हुई बारिश, सुबह तक भी जारी रहा सिलसिला

लखनऊ, कानपुर, रायबरेली, बाराबंकी, सुलतानपुर, फैजाबाद और प्रयागराज जैसे जिलों में सोमवार देर रात से ही बारिश शुरू हो गई थी। मंगलवार की सुबह तक कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश का दौर जारी रहा। राजधानी लखनऊ में सुबह का नज़ारा कुछ ऐसा था कि सड़कें भीग चुकी थी, पेड़ों की पत्तियां चमक उठी थीं और ठंडी हवाओं के झोंके सर्दी का एहसास दिला रहे थे। मौसम विभाग के मुताबिक, लखनऊ में पिछले 24 घंटों में औसतन 12.4 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। वहीं, कुछ इलाकों में यह आंकड़ा 20 मिमी से भी ऊपर गया। ठंडी हवाओं ने तापमान में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज कराई है। दिन का अधिकतम तापमान सामान्य से करीब 4 से 5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है।

अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों से आ रही नमी

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल उत्तर प्रदेश का मौसम दोहरे प्रभाव में है। एक तरफ अरब सागर से उठे मैंथा चक्रवात के कारण पश्चिमी हवाएँ नमी लेकर आ रही हैं, तो दूसरी तरफ बंगाल की खाड़ी में बना लो-प्रेशर एरिया (Low Pressure Area) पूर्वी हवाओं के जरिए नमी को बढ़ा रहा है। इस वजह से प्रदेश के आसमान में लगातार बादल छाए हुए हैं। मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह ने बताया कि “अरब सागर से उठे चक्रवात का असर गुजरात, महाराष्ट्र होते हुए मध्य भारत तक पहुँच चुका है। वहीं बंगाल की खाड़ी से आने वाली नमी पूर्वी उत्तर प्रदेश तक सक्रिय है। इन दोनों प्रणालियों के मिलने से प्रदेश के अधिकांश इलाकों में बादलों की सक्रियता बढ़ी है, जिससे बारिश हो रही है।”

अगले दो दिनों में ठंड में और बढ़ोतरी की संभावना

बारिश के साथ ही तापमान में गिरावट दर्ज हो रही है। मंगलवार को लखनऊ का अधिकतम तापमान 27.1 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 19.3 डिग्री सेल्सियस रहा। यह सामान्य से 4 डिग्री कम है। मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले दो दिनों में तापमान में और गिरावट दर्ज होगी, जिससे सुबह-शाम की ठंडक बढ़ जाएगी। मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है कि प्रदेश के कई हिस्सों में अगले 48 घंटों तक गरज-चमक के साथ बारिश हो सकती है। पूर्वांचल के जिलों में बिजली गिरने की भी संभावना है। विभाग ने किसानों और आम जनता को सावधानी बरतने की सलाह दी है।

पूर्वांचल और बुंदेलखंड में 29 से 31 अक्टूबर तक गरज-चमक के साथ बारिश के आसार

29 से 31 अक्टूबर के बीच बिहार की सीमा से सटे जिलों बलिया, गाजीपुर, मऊ, देवरिया, गोरखपुर, आज़मगढ़, और सिद्धार्थनगर में गरज-चमक के साथ मध्यम बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं, बुंदेलखंड क्षेत्र  झांसी, बांदा, चित्रकूट और महोबा में भी हल्की बारिश के आसार बने हुए हैं। इन इलाकों में तापमान में 5 डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट संभव है। मौसम विभाग का कहना है कि इस दौरान तेज़ हवाएँ चल सकती हैं जिनकी रफ्तार 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा तक रहेगी। किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फसलों की कटाई और भंडारण कार्यों को कुछ दिनों के लिए टाल दें ताकि बारिश और नमी से नुकसान न हो।

फसलों और किसानों पर असर

बारिश ने एक तरफ किसानों को राहत दी है क्योंकि इससे मिट्टी में नमी बढ़ेगी, जो रबी फसलों की बुवाई के लिए फायदेमंद होगी। लेकिन जिन इलाकों में धान की कटाई चल रही है, वहां यह बारिश मुसीबत भी बन सकती है। धान की फसल खेत में गिरी रह जाए तो नमी बढ़ने से गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जिन किसानों ने धान की कटाई पूरी नहीं की है, उन्हें फिलहाल इंतज़ार करना चाहिए। बारिश थमने के बाद 2–3 दिन की धूप आने पर ही कटाई और मड़ाई करें। वहीं, गेहूं और सरसों की बुवाई के लिए यह मौसम बेहद अनुकूल है क्योंकि मिट्टी में पर्याप्त नमी मौजूद रहेगी।

शहरों में ट्रैफिक और जलभराव की समस्या

बारिश से राजधानी लखनऊ और आसपास के जिलों में जलभराव की समस्या भी देखने को मिली। कई इलाकों हजरतगंज, चारबाग, आलमबाग, अमीनाबाद, अली गंज और गोमती नगर में सड़कें फिसलन भरी हो गईं। दफ्तरों और स्कूलों के समय में लोगों को ट्रैफिक जाम से भी जूझना पड़ा। नगर निगम की टीमें जल निकासी के काम में जुटी रहीं।

दीवाली से पहले मौसम का बदलाव

इस बार दीवाली से पहले ही ठंड दस्तक दे रही है। आमतौर पर नवंबर के पहले सप्ताह में ठंड की शुरुआत होती है, लेकिन इस साल मौसम ने कुछ जल्दी रुख बदल लिया है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि अगले सप्ताह तक उत्तर-पश्चिमी हवाएँ सक्रिय हुईं, तो नवंबर की शुरुआत तक प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है।

लखनऊ विश्वविद्यालय के मौसम विशेषज्ञ डॉ. ए.के. मिश्रा ने बताया, “यह मौसमी बदलाव दीर्घकालिक दृष्टि से सामान्य है। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में चक्रवातीय गतिविधियाँ बढ़ती हैं, जो ठंड की शुरुआत का संकेत देती हैं। यदि हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम की ओर बनी रहती है, तो नवंबर के पहले सप्ताह से सुबह-शाम की ठंड में तेजी आएगी।”

जनजीवन पर असर

बारिश और ठंड ने लोगों की दिनचर्या में बदलाव ला दिया है। कई जगहों पर गर्म कपड़े अलमारियों से निकलने लगे हैं। चाय और पकौड़ों की दुकानों पर भी भीड़ बढ़ी है। वहीं, स्कूल जाने वाले बच्चों और ऑफिस जाने वालों को सुबह की फुहारों ने थोड़ी मुश्किल में डाल दिया। पर्यटन स्थलों पर भी इस मौसम का अलग ही असर देखने को मिला। गोमती तट, इमामबाड़ा, रूमी दरवाज़ा जैसे स्थानों पर पर्यटक हल्की बारिश का आनंद लेते दिखे।

मौसम विभाग की सलाह

  • बिजली गिरने के दौरान खुले में न जाएं।
  • खेतों में काम करते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।
  • किसानों को सलाह दी गई है कि फसल कटाई व मड़ाई कार्य रोक दें।
  • शहरी इलाकों में नालों और जलभराव वाले स्थानों से दूर रहें।