What to Eat and Avoid in Winter : सर्दियों में ये चीजें खाएं, नहीं तो बढ़ेगी ठंड और आलस्य (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Sardiyon Me kya khaye aur kya nahi : शरद ऋतु सिर्फ प्रकृति में ही बदलाव नहीं लाती, बल्कि हमारे शरीर में भी हलचल पैदा करती है। यह वह समय है जब गर्मी का प्रभाव धीरे-धीरे कम होता है, लेकिन शरीर के अंदर पित्त दोष बढ़ने लगता है। अगर आपने ध्यान दिया हो, तो इस दौरान अक्सर पेट में जलन, त्वचा पर दाने, ज्यादा पसीना, आंखों में जलन और कभी-कभी चिड़चिड़ापन महसूस होता है।
आयुर्वेद जो हजारों सालों से लाइफ स्टाइल का विज्ञान रहा है कहता है कि अगर हमें स्वस्थ रहना है, तो मौसम के हिसाब से खाना-पीना (ऋतुचर्या) जरूरी है। तो आइए जानते हैं कि इस खास मौसम में आपको क्या खाना चाहिए और किन चीजों से दूरी बनानी चाहिए ताकि आप फिट और तरोताजा रहें।
शरद ऋतु में हमारा मुख्य लक्ष्य पित्त को शांत करना होता है, क्योंकि यह गर्मी और एसिडिटी (अम्ल पित्त) का कारण बनता है। इसके लिए अपने आहार में शीतल (ठंडी तासीर वाली), आसानी से पचने वाली चीजों को शामिल करें:
अनाज: चावल, जौ और गेहूँ जैसे हल्के अनाज सर्वोत्तम हैं। दलिया या खिचड़ी जैसा हल्का भोजन दोपहर के लिए बेहतरीन है।
फल: ऐसे मौसमी फल खाएं जो शरीर की गर्मी को कम करते हैं, जैसे नारियल, अमरूद (अमरुद), जामुन और बेल। ये डिहाइड्रेशन से भी बचाते हैं।
सब्जियां: लौकी (घीया), तुरई, परवल, कद्दू (पंपकिन) और पालक-मेथी जैसी हरी सब्ज़ियाँ पाचन को दुरुस्त रखती हैं और पित्त को कम करती हैं।
पेय: दिन की शुरुआत नारियल पानी से करें। इसके अलावा, आंवले का रस या नींबू पानी (हल्की चीनी के साथ) शरीर की अंदरूनी सफ़ाई (डिटॉक्स) में बहुत मदद करता है।
डेयरी: गाय का दूध और छाछ (मट्ठा) भी पित्त को शांत करने में सहायक होते हैं।
इस मौसम में कुछ खाने-पीने की चीजें जहर की तरह काम करती हैं, क्योंकि वे पित्त दोष को तुरंत बढ़ा देती हैं। इन चीजों से बचें:
तीखे और गर्म मसाले: अत्यधिक मिर्च, राई और गरम मसाले का सेवन बिलकुल कम कर दें।
तला-भुना: पकोड़े, समोसे या ज्यादा तेल में तले हुए भारी भोजन से बचें। पाचन अग्नि थोड़ी कमजोर होती है, इसलिए ये पचने में मुश्किल होते हैं।
चाय, कॉफी और शराब: ये सभी पेय शरीर में गर्मी और एसिडिटी बढ़ाते हैं। इन्हें पीने की मात्रा कम कर दें।
प्रोटीन: मांस-मछली का सेवन सीमित रखें, खासतौर पर दोपहर के समय।
दही और खट्टे खाद्य पदार्थ: आयुर्वेद के अनुसार दही (खासकर बासी दही) और बहुत ज्यादा खट्टे फल इस ऋतु में पित्त को बढ़ाते हैं, इसलिए इन्हें खाने से बचें।
केवल खान-पान ही नहीं, कुछ घरेलू उपाय और जीवनशैली के बदलाव भी शरद ऋतु में आपको स्वस्थ रखेंगे:
सुबह का काढ़ा: सौंफ और धनिया (धनिया की पत्तियां नहीं, बल्कि बीज) को उबालकर बनाया गया काढ़ा दिन की शुरुआत के लिए शानदार है। यह पेट को तुरंत ठंडक देता है।
ताम्र जल: रात भर तांबे के बर्तन में रखा पानी सुबह पीने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
नस्य कर्म: सुबह उठकर नाक में गाय का शुद्ध घी या अणु तेल की एक-एक बूँद डालने से आंखें और दिमाग शांत रहते हैं, और सिरदर्द की समस्या कम होती है।
चंद्रप्रभा चिकित्सा: रात के भोजन के बाद चाँदनी रात में टहलना (जिसे चंद्रप्रभा चिकित्सा कहते हैं) पित्त को शांत करने का एक बेहतरीन और सरल तरीका है।
व्यायाम: कठिन (ज्यादा पसीना बहाने वाला) व्यायाम या धूप में ज्यादा देर तक रहना इस मौसम में हानिकारक हो सकता है। योग और हल्की स्ट्रेचिंग सबसे बेहतर है।
एक प्राचीन आयुर्वेदिक कहावत है: जो व्यक्ति ऋतु के अनुसार जीता है, उसे रोग छू भी नहीं सकते।
शरद ऋतु तुलसी विवाह, दीपावली जैसे त्योहारों का भी समय है। इस समय अपने शरीर की जरूरतों को समझकर, हल्का, सात्विक और मौसम के अनुकूल भोजन अपनाएं। इससे आपका शरीर अंदर से शुद्ध होगा और आप त्योहारों का पूरा आनंद ले पाएंगे।
डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।
Published on:
14 Oct 2025 06:10 pm
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