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Premanand Ji Maharaj Diet : डायलिसिस और PKD के बीच प्रेमानंद महाराज कैसे रहते हैं एक्टिव, जानें उनका खानपान

Premanand Ji Maharaj Diet : वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज का जीवन अनुशासन, सात्विक भोजन और भगवत स्मरण का प्रतीक है। जानें उनके स्वास्थ्य नियम, सीमित आहार और कठोर दिनचर्या से कैसे बनी उनकी शारीरिक और मानसिक शक्ति।

2 min read

भारत

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Dimple Yadav

Oct 14, 2025

Premanand Ji Maharaj Diet

Premanand Ji Maharaj Diet (Photo- insta @bhajanmarg_official)

Premanand Ji Maharaj Diet : वृंदावन के परम भक्त और राधा रानी के अति प्रिय प्रेमानंद महाराज का जीवन खुद में साधना और अनुशासन का प्रतीक है। उनके उपदेश केवल भक्ति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे स्वस्थ, सात्विक और अनुशासित जीवन जीने के सरल उपाय भी बताते हैं। महाराज जी के अनुसार, जीवन में स्वास्थ्य और पवित्रता बनाए रखना आध्यात्मिक विकास के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना भगवान का स्मरण।

प्रेमानंद जी महाराज भोजन को केवल शरीर की भूख मिटाने का साधन नहीं मानते, बल्कि इसे आध्यात्मिक क्रिया और प्रसाद मानकर ग्रहण करने पर जोर देते हैं। भोजन से पहले भगवान का नाम लेने और इसे सकारात्मक ऊर्जा के रूप में ग्रहण करने से शरीर और आत्मा दोनों शुद्ध होते हैं।

भोजन में सात्विकता और स्वास्थ्य का ध्यान

उनका कहना है कि भोजन हमेशा सात्विक और हल्का होना चाहिए। प्याज, लहसुन और तामसिक पदार्थों से परहेज करें, और खीर, पूड़ी, दाल और हल्की सब्जियों को प्राथमिकता दें। पेट को हमेशा चार हिस्सों में बांटना चाहिए — दो हिस्से भोजन के लिए, एक पानी के लिए और एक हवा के लिए। अधिक भोजन करने से शरीर भारी और मन अशांत हो जाता है।

भोजन का समय और वातावरण भी महत्वपूर्ण

भोजन का समय और वातावरण भी महत्वपूर्ण है। महाराज जी के अनुसार, रात का भोजन शाम 6 बजे से पहले कर लेना चाहिए। शांत वातावरण में मौन रहकर भोजन करने से पाचन बेहतर होता है और मानसिक शांति मिलती है। टीवी, मोबाइल या झगड़े से भोजन करते समय बचना चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करना शुभ है।

कठोर दिनचर्या और स्वास्थ्य प्रबंधन

महाराज जी की दिनचर्या अत्यंत अनुशासित है। पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज और नियमित डायलिसिस के बावजूद, वे अपनी दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं करते। उनकी नींद केवल 3 घंटे या उससे कम होती है, और वे रात 1:30 बजे से 2:00 बजे के बीच उठकर अपने निवास से आश्रम 'श्री राधाकेली कुंज' के लिए पद यात्रा करते हैं।

महाराज जी की दिनचर्या

वे सुबह 3 बजे ध्यान साधना करते हैं और 4:15 बजे से 9 बजे तक सत्संग में भाग लेते हैं। भोजन उनकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार अर्ध रोटी और थोड़ी सब्जी तक सीमित है। पानी और तरल पदार्थ की मात्रा भी कम होती है। इस कठिन और सीमित दिनचर्या के बावजूद, महाराज जी को थकान महसूस नहीं होती। इसका श्रेय वे राधा रानी के नाम जप और भगवत स्मरण को देते हैं।

अनुशासन और स्वास्थ्य का संदेश

पूज्य प्रेमानंद जी महाराज का जीवन यह सिखाता है कि अनुशासन, सात्विक आहार और आध्यात्मिक स्मरण के माध्यम से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति भी प्राप्त होती है। उनके नियम यह बताते हैं कि स्वस्थ जीवन और आध्यात्मिक प्रगति एक-दूसरे के पूरक हैं।