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डिजिटल युग में क्या होगा बच्चों का भविष्य? जानिए प्रिंसेस केट ने स्क्रीन टाइम और डिसकनेक्शन क्या दी चेतावनी

Princess Kate ने चेतावनी दी है कि डिजिटल युग में बच्चों का भावनात्मक और सामाजिक विकास खतरे में है। उन्होंने पैरेंट्स को सलाह दी कि बच्चे तकनीक का सुरक्षित और संतुलित उपयोग करें।

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Princess Kate Digital Connection Warning

Princess Kate Digital Connection Warning (Image Source: Pexels)

Princess Kate Digital Connection Warning: ब्रिटेन की प्रिंसेस ऑफ वेल्स, कैथरीन (केट) ने चेतावनी दी है कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर स्क्रीन का बढ़ता इस्तेमाल परिवारों के बीच "डिसकनेक्शन की महामारी" यानी जुड़ाव की कमी पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति खास तौर पर बच्चों के विकास और रिश्तों पर नकारात्मक असर डाल रही है। प्रिंसेस ने कहा कि परिवारों में गर्मजोशी भरे रिश्ते बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए जरुरी है।

कैथरीन ने “द पावर ऑफ ह्यूमन कनेक्शन इन ए डिस्ट्रैक्टेड वर्ल्ड” नामक अपने निबंध में लिखा, डिजिटल डिवाइस हमें जोड़ने का वादा करते हैं, लेकिन अक्सर इसका उल्टा होता है। हम शरीर से तो साथ होते हैं, लेकिन मन कहीं और होता है।

प्रिंसेस के अनुसार, मोबाइल और गैजेट अब लगातार ध्यान भटकाने वाले साधन बन गए हैं। ब्रिटेन की प्रिंसेस ऑफ वेल्स, केट मिडलटन, ने हाल ही में एक लेख में चेतावनी दी कि डिजिटल डिवाइस बच्चों के भावनात्मक और सामाजिक विकास पर गंभीर असर डाल रहे हैं। उनका कहना है कि स्क्रीन टाइम, सोशल मीडिया और मोबाइल गेम्स बच्चों को “कनेक्टेड” तो रख रहे हैं, लेकिन असल दुनिया से उन्हें दूर भी कर रहे हैं।

केट ने यह लेख हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर रॉबर्ट वॉल्डिंगर के साथ मिलकर लिखा है। लेख में उन्होंने लिखा, 'डिजिटल डिवाइसेस हमें जोड़ने का वादा करते हैं, लेकिन अक्सर इसका उल्टा होता है। हम बच्चों को एक ऐसी दुनिया में जन्म दे रहे हैं जहां जुड़ाव केवल स्क्रीन तक सीमित है।' उनके पति, प्रिंस विलियम ने भी हाल ही में कहा था कि उनके तीनों बच्चों को स्मार्टफोन इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है।

केट का मानना है कि बच्चों को बचपन से ही असल दुनिया और रिश्तों से जुड़ने का अवसर मिलना चाहिए। उन्होंने हार्वर्ड के Adult Development Study का हवाला देते हुए लिखा कि लंबे समय के शोध से पता चला है कि खुशहाल और संतुलित जीवन का सबसे बड़ा आधार मानवीय रिश्तों की गहराई से है, न कि डिजिटल कनेक्शन से। केट ने 2021 में रॉयल फाउंडेशन सेंटर फॉर अर्ली चाइल्डहुड लॉन्च किया जो बच्चों के शुरुआती वर्षों के महत्व और उनके मानसिक विकास पर केंद्रित है।

स्क्रीन टाइम से जुड़े अहम शोध और तथ्य

  • विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों का अधिक स्क्रीन टाइम उनकी नींद, ध्यान और सामाजिक कौशल पर बुरा असर डालता है।
  • वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की गाइडलाइन के मुताबिक, 5 साल से कम उम्र के बच्चों को रोजाना एक घंटे से ज्यादा स्क्रीन नहीं देखनी चाहिए।
  • बच्चों का कम उम्र से डिजिटल एक्सपोज़र उनके सेंस ऑफ एंपैथी और रिलेशनल स्किल्स को प्रभावित कर सकता है और साथ ही लगातार स्क्रीन देखने से आंखों की सेहत भी प्रभावित होती है।
  • परिवार के साथ बिना फोन और टीवी के समय बिताना बच्चों की भावनात्मक मजबूती बढ़ाता है।
  • लगातार स्क्रीन देखने से दिमाग की रचनात्मकता और आंखों की सेहत भी प्रभावित होती है।

माता-पिता के लिए 3 असरदार सुझाव

  • नो-फोन ज़ोन बनाएं: खाने या पढ़ाई के समय फोन और टैबलेट दूर रखें।
  • बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम रूटीन तय करें: पढ़ाई, खेल और बातचीत के बीच संतुलन रखें।
  • रियल कनेक्शन पर फोकस करे: रोजाना 30 मिनट बच्चों के साथ बात और खेल में बिताएं।

डिजिटल टेक्नोलॉजी के कई फायदें हैं। लेकिन हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि, इनकी अति बच्चों और परिवार के बीच रिश्तों को कमजोर कर रही है, लोग साथ होते हुए भी एक-दूसरे से कट रहे हैं। बच्चों के साथ बिताया गया समय ना केवल रिश्तों को मजबूत बनाता है, बल्कि उनके भावनात्मक विकास के लिए भी जरुरी होता है।