देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों आईआईटी में चल रही जोसा-काउंसलिंग 2025 के राउंड-2 के आंकड़े देश के तकनीकी भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े कर रहे हैं। मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट को मजबूती देने वाली कोर ब्रांचेज इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग में अब स्टूडेंट्स की रुचि लगातार घट रही है। हालांकि इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स की पसंद बनी हुई है, लेकिन मैकेनिकल इंजीनियरिंग की स्थिति केवल सम्मानजनक कही जा सकती है। जबकि सिविल इंजीनियरिंग को लेकर विद्यार्थियों की बेरुखी जस की तस बनी हुई है।एक्सपर्ट के अनुसार अगर देश को मेक इन इंडिया और इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट जैसे अभियानों में आगे बढ़ाना है तो कोर ब्रांचेज में टॉप टैलेंट की भागीदारी जरूरी है। आज की स्थिति में टॉप रैंकर्स का कोर ब्रांचेज की तरफ रुझान नहीं होना आने वाले समय में भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता के लिए खतरे की घंटी है।
आईआईटी टॉप संस्थानों में ब्रांच वाइज रुझान
जोसा काउंसलिंग 2025 के राउंड-2 में जारी ओपनिंग और क्लोजिंग रैंक से साफ है कि सिर्फ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ही टॉप रैंकर्स की पसंद बनी हुई है। वहीं, मैकेनिकल इंजीनियरिंग सीआरएल-3642 तक के विद्यार्थियों को आवंटित हुई है जबकि सिविल इंजीनियरिंग की क्लोजिंग रैंक तो 7000 से भी ऊपर पहुंच गई।
ओपन कैटेगरी (जेंडर न्यूट्रल), सीआरएल रैंकिंग (4-वर्षीय बीटेक पाठ्यक्रम)
संस्थान इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल सिविल
आईआईटी बॉम्बे 106 / 418 490 / 1770 2666 / 4095
आईआईटी दिल्ली 365 / 591 1156 / 1862 3030 / 4228
आईआईटी कानपुर 783 / 1112 1589 / 2649 4280 / 5790
आईआईटी मद्रास 205 / 751 762 / 2359 4234 / 5639
आईआईटी खड़गपुर 1471 / 1898 2684 / 3642 5615 / 7180
टॉप-2500 रैंकर्स ने नहीं चुनी सिविल
विश्लेषण से यह बात भी सामने आई कि जेईई-एडवांस्ड 2025 के टॉप-2500 सीआरएल रैंकर्स में से किसी भी विद्यार्थी ने इन पांच टॉप आईआईटी संस्थानों की सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच नहीं चुनी। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग तो सीआरएल-2000 से पहले ही पूरी तरह भर गई। जबकि मैकेनिकल इंजीनियरिंग की क्लोजिंग रैंक 3642 रही।
कोर ब्रांचेज को फिर से सम्मानजनक और आकर्षक बनाना होगा
एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा के अनुसार विद्यार्थियों की यह प्राथमिकता नौकरी के अवसर, पैकेज की तुलना और तकनीकी पलायन (ब्रांच शिफ्ट) जैसे कारकों पर आधारित है। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की ओर झुकाव इस कारण भी है कि इससे कंप्यूटर साइंस और डेटा साइंस जैसे उभरते क्षेत्रों में जाना अपेक्षाकृत आसान होता है। देश के विकास की नींव कोर ब्रांचेज पर ही टिकी है। अगर यही रुझान बना रहा, तो भविष्य में हमें इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट के लिए विदेशी संसाधनों पर अधिक निर्भर रहना पड़ेगा। 'मेक इन इंडिया' और 'इंफ्रास्ट्रक्चर फर्स्ट' जैसी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए कोर ब्रांचेज में टॉप टैलेंट की हिस्सेदारी जरूरी है। इसके लिए सरकार, नीति-निर्माताओं और तकनीकी शिक्षा संस्थानों को मिलकर कोर ब्रांचेज को फिर से सम्मानजनक और आकर्षक बनाना होगा, तभी देश तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बन पाएगा।
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Published on:
26 Jun 2025 07:25 pm