
चंबल जल बंटवारा 28 अक्टूबर को तय होगा (फोटो- पत्रिका)
कोटा: राजस्थान और मध्यप्रदेश में अच्छी बारिश होने से चंबल के बांध लबालब भरे हुए हैं। इसलिए इस बार रबी सीजन में दोनों राज्यों के किसानों को भरपूर पानी मिलेगा। चंबल जल बंटवारे से पहले मध्यप्रदेश ने राजस्थान के जल संसाधन विभाग को चिट्टी लिखकर पिछले साल रबी सीजन में जल समझौते के अनुरूप पानी नहीं देने पर आपत्ति जताते हुए पानी का हिसाब मांगा है।
उधर, राजस्थान ने पलटवार करते हुए मध्यप्रदेश से उसके हिस्से का नहरों की मरम्मत के लिए बजट नहीं देने पर जवाब मांगा है। राजस्थान ने कहा कि बजट के अभाव में नहरों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। दोनों राज्यों में जल बंटवारों को लेकर बैठक से पहले ही विवाद की स्थिति पैदा हो गई है।
मध्यप्रदेश-राजस्थान अंतरराज्यीय (सिंचाई एवं परियोजना) नियंत्रण बोर्ड, कोटा की 30वीं तकनीकी समिति की बैठक 28 अक्टूबर को गूगल मीट पर होगी। इस मिटिंग का दोनों राज्यों ने कार्य सूची टिप्पणी (एजेंडा नोट) तय कर दिया है। बैठक की अध्यक्षता इस बार मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता करेंगे। सात सूत्री एजेंडा तय किया गया है। इस बैठक में तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी।
दोनों राज्यों की पूर्व बैठकों में तय दिशा-निर्देशों के अनुसार, हर वर्ष 15 सितंबर को चंबल कॉप्लेक्स में उपलब्ध जल की स्थिति को ‘डेटम डेट’ मानते हुए मापना एवं दोनों राज्यों के अधीक्षण अभियंता (एसई), एलसीसी मोरेना (मप्र) तथा एसई, सिंचाई सर्कल, सीएडी कोटा (राजस्थान) द्वारा हस्ताक्षरित किया जाना निर्धारित है। मध्यप्रदेश का पानी का आकलन 8 अक्टूबर 2025 तक चंबल कॉप्लेक्स के गांधीसागर एवं राणाप्रताप सागर बांधों में कुल जल उपलब्धता 6.5157 मिलियन एकड़ फीट (8037.03 एमसीयूएम) है।
मध्यप्रदेश का कहना है कि 4 नवंबर 2011 को आयोजित स्थाई समिति की 77वीं बैठक के निर्णयानुसार, चंबल कॉप्लेक्स से सिंचाई के लिए जल का बंटवारा दोनों राज्यों में समान रूप से होना चाहिए। मध्यप्रदेश का हिस्सा पार्वती एक्वाडक्ट पर 3900 क्यूसेक (8.40 गेज) निर्धारित है।
राजस्थान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पार्वती एक्वाडक्ट पर इतना जल प्रवाह लगातार उपलब्ध रहे। रबी 2024-25 में पार्वती एक्वाडक्ट पर औसत जल मात्रा 2680 क्यूसेक रही, जबकि अपेक्षित 3900 क्यूसेक थी।
मप्र का कहना है कि यह अंतर जल हानि के बजाय नहर नियंत्रण प्रबंधन में कमी के कारण है। इसलिए मप्र की यह मांग है कि सीआरएमसी मेन नहर के राजस्थान हिस्से में एक स्वतंत्र डिवीजन बनाया जाए। इसलिए आगामी रबी सीजन 2025-26 (अक्टूबर 2025 से प्रारंभ) के लिए राजस्थान यह सुनिश्चित करे कि मप्र को उसके अधिशेष अभियंता, एलसीसी मोरेना द्वारा दिए गए इंडेंट के अनुसार जल उपलब्ध कराया जाए।
गांधीसागर एवं राणाप्रताप सागर बांधों में जल भंडारण रबी 2025-26 के संचालन के लिए पर्याप्त है। दोनों राज्यों के अधिकारियों द्वारा जनवरी-फरवरी 2025 में संयुक्त निरीक्षण के बाद वर्ष 2025-26 के सामान्य कार्यों की स्वीकृति पर सहमति बनी थी। मप्र का हिस्सा वित्त विभाग में लंबित है।
उमेदगंज क्रॉस रेगुलेटर (16 किमी) तथा कल्याणपुरा क्रॉस रेगुलेटर (43.9 किमी) पुनर्निर्माण आवश्यक है। अत: शीघ्र कार्रवाई के लिए मप्र के अधिकारियों का निर्णय अपेक्षित है। मध्यप्रदेश से बजट नहीं मिलने के कारण नहरों की मरम्मत नहीं हो रही है। इस कारण पूरी क्षमता से जल प्रवाह जारी नहीं हो पाता है। पिछले साल जल प्रवाह बढ़ाने पर दाईं मुख्य नहर दो जगह से डैमेज हो गई थी।
मप्र का मत है कि सीआरएमसी किमी 0 से 124 तक एक सामान्य वहन नहर है, जिसमें प्रतिवर्ष संयुक्त निरीक्षण (एसई, एलसीसी मोरेना एवं एसई, सीएडी कोटा) के बाद मरम्मत कार्य किए जाते हैं। मध्यप्रदेश 75.4 प्रतिशत तथा राजस्थान 24.6 प्रतिशत अनुपात में लागत साझा की जाती है।
वर्ष 2026-27 का निर्माण कार्यक्रम दिसंबर 2025 व फरवरी 2026 में प्रस्तावित संयुक्त निरीक्षण के बाद तैयार किया जाएगा। वर्ष 2025-26 के लिए एसई, सीएडी कोटा द्वारा आवश्यक कार्यों की सूची दी गई है, जिसे संयुक्त निरीक्षण के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा।
मध्यप्रदेश ने अपने नोट में लिखा है कि नवंबर 2024 एवं फरवरी 2025 के पानी की मांग चरम पर थी, जब भी राजस्थान ने पार्वती एक्वाडक्ट पर औसत प्रवाह क्रमश: 2089 एवं 2487 क्यूसेक ही दिया है, जबकि दाईं मुख्य नहर के हेड डिस्चार्ज 6225 क्यूसेक था। फिर भी जल समझौते के अनुरूप पानी नहीं दिया गया।
मध्यप्रदेश-राजस्थान अंतरराज्यीय (सिंचाई एवं परियोजना) नियंत्रण बोर्ड, की 30वीं तकनीकी समिति की बैठक 28 अक्टूबर होगी। इसका दोनों राज्यों की सहमति से एजेंडा तय हो गया है। एजेंडे पर बिन्दुवार चर्चा होगी।
-सत्येंद्र पारीक, सचिव, मध्यप्रदेश-राजस्थान अंतरराज्यीय (सिंचाई एवं परियोजना) नियंत्रण बोर्ड राजस्थान
Published on:
25 Oct 2025 08:48 am
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