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एक साथ पहुंची 12 अर्थियां तो श्मशान भी रो पड़ा…मां-बेटी, दादी-पोता, मां-बेटा, देवरानी-जेठानी की चिताएं देख हर कोई फफक उठा

जोधपुर में सोमवार को चांदपोल मोक्ष धाम में उस समय हृदय विदारक दृश्य देखने को मिला, जब 12 लोगों की अर्थियां एक साथ पहुंची।

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एक साथ किया गया अंतिम संस्कार। फोटो- पत्रिका

जोधपुर। चांदपोल माली समाज मोक्ष धाम में सोमवार को एक साथ 12 अर्थियां पहुंची तो श्मशान भी रो पड़ा। फलोदी जिले के मतोड़ा गांव में रविवार शाम हुए दर्दनाक सड़क हादसे में असमय काल के गाल में समाने वाले सांखला परिवार के 12 सदस्यों की पार्थिव देह अंतिम संस्कार के लिए जब सोमवार दोपहर चांदपोल क्षेत्र के मोक्ष धाम पहुंचीं, तो ऐसा लगा मानो पूरा शहर सिसक उठा हो।

एक ही मोहल्ले से उठीं 12 अर्थियां

चांदपोल नैणची बाग, खटुकुड़ी क्षेत्र में सुबह से ही मातम का माहौल था। दोपहर करीब दो बजे जैसे ही एक के बाद एक 12 लोगों की अंतिम यात्रा मोहल्ले से रवाना हुई तो बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं सब रो पड़े।

श्मशान में पहली बार ऐसा माहौल

मोक्ष धाम में जहां सामान्यतः एक समय में एक अथवा दो शवों का अंतिम संस्कार होता है, वहीं सोमवार को 12 अर्थियां एक साथ पहुंची। इनमें मां-बेटी, दादी-पोता, मां-बेटा, देवरानी-जेठानी की चिताएं एक साथ जलीं। आर्य समाज के विद्वान जब गायत्री और वेद मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे, तभी दोपहर 3:08 बजे परिजनों ने एक साथ मुखाग्नि दी। उस क्षण श्मशान में मौजूद लोग फफक उठे।

दादी की गोद में खेलने वाला पोता, आज उसी के पास चिता पर

मोक्ष धाम में एक दृश्य तब मौजूद लोगों को असहनीय हो उठा जब सज्जन कंवर पत्नी ओमप्रकाश और उनके दस वर्षीय पौत्र प्रणव की चिताएं पास-पास रखी गईं।

कल शाम तक दादी की गोद में खेलने वाला प्रणव आज उसी दादी के पास चिता पर लेटा था। परिवार के सदस्यों ने कांपते हाथों से जब प्रणव की चिता में आग लगाई तो हर आंख नम और हर दिल द्रवित हो उठा।

आंसुओं से विदाई

मीना, मधु, खुश, टीना, शर्मिला, गीता, सानिया, दीक्षा, लता, रामेश्वरी ,सज्जन कंवर और प्रणव की पार्थिवदेह पंचतत्व में विलीन हो गई। चिता को अग्नि से पहले हर पार्थिव देह पर समाजसेवी, संत, जनप्रतिनिधियों और रिश्तेदारों ने फूल नहीं, आंसू अर्पित किए। जोधपुर के माली समाज सहित अनेक समाजों के लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

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