
अस्पताल में भर्ती मासूम। फोटो- पत्रिका
जोधपुर। दीपावली की रात जब हर घर रोशनी में नहाया हुआ था, उस वक्त आरटीओ कार्यालय के पीछे जाम्भोजी नगर की कृष्णा कंवर के घर अंधेरा उतर आया। सत्येन्द्र सिंह की पत्नी कृष्णा कंवर (26) दीपक से झुलस गई थी। हादसा इतना गंभीर था कि उनका 40 प्रतिशत शरीर जल गया।
इलाज के लिए उन्हें महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया। अपनी मौत से एक दिन पहले उन्होंने एक प्रीमेच्योर बालक को जन्म दिया, जो भी जोधपुर के उम्मेद अस्पताल में जन्म और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा है।
कृष्णा कंवर की कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं, बल्कि मातृत्व और जिजीविषा की भी मिसाल है। मौत से महज एक दिन पहले शुक्रवार रात को उन्होंने एक बच्चे को जन्म दिया। यह बच्चा समय से पहले यानी साढ़े छह माह में पैदा हुआ।
डॉक्टरों के अनुसार बच्चा अत्यंत कमजोर है और वर्तमान में उम्मेद अस्पताल के नवजात गहन चिकित्सा कक्ष (एनआइसीयू) में वेंटिलेटर पर है। एमजीएच अस्पताल में डिलीवरी के बाद परिजनों के साथ बच्चे को बाइक पर ही उम्मेद अस्पताल भेज दिया गया, जबकि प्रीमेच्योर था और उसके जीवन पर संकट बना हुआ है।
उम्मेद अस्पताल के अधीक्षक डॉ. मोहन मकवाना ने बताया कि बच्चा प्रीमेच्योर है, उसका वजन सामान्य से काफी कम है और उसे लगातार मॉनिटरिंग की जरूरत है। चिकित्सक उम्मीद जता रहे हैं कि यदि संक्रमण से बचाव और श्वसन में सुधार होता रहा, तो आने वाले दिनों में उसकी हालत में सुधार संभव है।
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शुक्रवार देर रात तक झुलसी महिला ने बेटे को जन्म दिया तो एमजीएच अस्पताल के कर्मचारियों ने संवेदनहीनता दर्शाते हुए बिना एम्बुलेंस ही गंभीर बच्चे को उम्मेद अस्पताल रवाना किया। अस्पताल अधीक्षक डॉ. एफ.एस. भाटी ने बताया कि एक जांच कमेटी बनाई गई है, जो कि तीन दिन में रिपोर्ट देगी और इसके बाद कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
27 Oct 2025 06:00 am
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