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Jaisalmer Bus Fire: जो बस चलते हुए बनी थी आग का गोला, उसे लेकर हुआ चौंकाने वाला खुलासा

Jaisalmer Bus Fire Update: जैसलमेर हादसा कहां-कहां रोकोगे...सड़कों पर दौड़ रही कई बसें, जो मापदण्डों के अनुरूप तैयार नहीं।

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Jaisalmer Bus Fire

जैसलमेर हादसे के बाद दुर्घटनाग्रस्त बस। फाइल फोटो- पत्रिका

जोधपुर। जैसलमेर बस हादसे के बाद आश्चर्यजनक बात उजागर हुई है कि यहां कई बसें सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स, ऑटोमेटिव इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड के मापदण्डों के अनुसार संचालित नहीं की जा रही हैं। बस बॉडी निर्माण गलत मापदण्डों से कराया जाता है। इसका ताजा उदाहरण जैसलमेर बस हादसा है। इस बस का पंजीयन चित्तौड़गढ़ से कराया हुआ पाया गया।

सामने आई खामियां

1 . बस गलत मापदण्डों से तैयार कराई गई, जबकि जोधपुर आरटीओ ने मापदण्डों के अनुरुप सही नहीं मानते हुए पंजीकरण नहीं किया था।

2 . बस का भौतिक रूप से चित्तौड़गढ़ ले गए बिना ही पंजीयन हो गया। चित्तौड़गढ़ के संबंधित आरटीओ अधिकारी ने बिना भौतिक सत्यापन केवल कागजों के आधार पर ही पंजीयन कर दिया।

3 . मापदण्डों के अनुसार तैयार नहीं की गईं कई गाड़ियां सड़क पर सरपट दौड़ रही हैं। कई बाहर से पंजीकृत कराई हुई हैं।

मापदण्डों के साथ छेड़छाड़

सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स के अनुसार, बसों की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई के मानक अलग-अलग प्रकार की बसों के लिए भिन्न होते हैं। सीटिंग व स्लीपर श्रेणी के मॉडल की अलग-अलग साइज की बसें होती है, जिनकी लंबाई, चौड़ाई, ऊंचाई, सीटों के बीच की गली, इमरजेन्सी गेट, एक्जिट गेट आदि के मापदण्ड निर्धारित होते हैं। इसके बावजूद भी बस बॉडी बिल्डर्स मापदण्डों के अनुरुप बॉडी निर्माण नहीं कर, अपने फायदे के लिए उनको मॉडिफाई करवाकर तैयार कराते हैं।

सामान्य मापदण्ड

1 . ऑटोमेटिव इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड (एआइएस-52) व (एआईएस 153) के अनुसार एक बस की ऊंचाई 3.8 मीटर (सामान्य बस), लेकिन बॉडी निर्माण में इनकी डिग्गी को छोटा-बड़ा करने के लिए ऊंचाई को कम-ज्यादा कर देते हैं।
2 . व्हील बेस की 60 प्रतिशत तक लंबाई बढ़ा सकते हैं। 11 मीटर (दो या अधिक एक्सल वाली बस), लेकिन बस को बड़ा करने के लिए इसकी लंबाई और बढ़ा देते हैं।
3 . बस की चौड़ाई 2.44 मीटर होनी चाहिए।

बिना भौतिक सत्यापन लगा दिया जाता ठप्पा

अधिकांश बसें अरुणाचल प्रदेश (एआर), मणिपुर (एमएन) व नगालैंड (एनएल) आरटीओ से पास कराई जाती हैं। यहां पर भी वाहनों को बिना भौतिक सत्यापन किए चार-पांच घंटे के अंदर पंजीयन पुस्तिका, फिटनेस, वाहन का परमिट आदि जारी कर दिया जाता है। इसका परिणाम दुर्घटना के रूप में सामने आता है। सरकारी इस पर आज तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाई है।

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